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सभी पक्षों को आपत्तियां दाखिल करने का निर्देश, श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में 22 फरवरी को सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह परिसर (Shri Krishna Janmabhoomi Shahi Idgah) के विवाद पर दाखिल वादों पर 22 फरवरी को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने इससे पहले सभी पक्षों को अपनी आपत्तियां दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 10:17 PM IST

प्रयागराज: श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह परिसर के विवाद पर दाखिल सिविल वादों पर हाईकोर्ट में 22 फरवरी को अगली सुनवाई होगी. कोर्ट ने इससे पूर्व सभी पक्षों को अपनी आपत्तियां, प्रति शपथ पत्र आदि दाखिल करने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई पर नियम सात आदेश 11 के तहत दाखिल प्रार्थना पत्रों की सुनवाई व निस्तारण किया जाएगा.

हाईकोर्ट ने कहा कि इससे पूर्व सभी पक्ष अपनी आपत्तियां व प्रति शपथ पत्र आदि दाखिल कर दें. क्योंकि, इसके बाद उनको अवसर नहीं दिया जाएगा. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन कर रहे हैं. श्री कृष्ण विराजमान की ओर से दाखिल सिविल वाद को मुख्य वाद के तौर पर स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट इस मामले में दाखिल सभी 18 सिविल वादों की एक साथ सुनवाई करेगा.

हाईकोर्ट द्वारा मंगलवार को नियुक्त न्याय मित्र अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका पर पक्ष रखा. वहीं, विपक्षी वकीलों की ओर से भी अपने-अपने पक्ष रखे गए. मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने आदेश सात नियम 11 के तहत अपना प्रार्थना पत्र वापस लेने की मांग तथा नया प्रार्थना पत्र दाखिल करने की छूट दिए जाने की मांग की. इस पर विपक्षियों की ओर से कोई आपत्ति नहीं की गई.

हाईकोर्ट ने उनकी यह मांग स्वीकार कर ली. सभी पक्षकारों की ओर से अदालत से यह मांग की गई कि सबसे पहले आदेश सात नियम 11 के तहत दाखिल प्रार्थना पत्र और धारा 151 सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रार्थना पत्र सुने जाएं. अन्य प्रार्थना पत्र जो प्रतिनिधि के तौर पर मुकदमे को चलाने और सभी मुकदमे एक साथ सुने जाने के आदेश को वापस लिए जाने के संबंध में दाखिल हैं, उन पर इसके बाद सुनवाई होगी.

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हाईकोर्ट ने कहा कि इससे पूर्व सभी पक्ष अपनी आपत्तियां व प्रति शपथ पत्र आदि दाखिल कर दें. क्योंकि, इसके बाद उनको अवसर नहीं दिया जाएगा. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन कर रहे हैं. श्री कृष्ण विराजमान की ओर से दाखिल सिविल वाद को मुख्य वाद के तौर पर स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट इस मामले में दाखिल सभी 18 सिविल वादों की एक साथ सुनवाई करेगा.

हाईकोर्ट द्वारा मंगलवार को नियुक्त न्याय मित्र अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका पर पक्ष रखा. वहीं, विपक्षी वकीलों की ओर से भी अपने-अपने पक्ष रखे गए. मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने आदेश सात नियम 11 के तहत अपना प्रार्थना पत्र वापस लेने की मांग तथा नया प्रार्थना पत्र दाखिल करने की छूट दिए जाने की मांग की. इस पर विपक्षियों की ओर से कोई आपत्ति नहीं की गई.

हाईकोर्ट ने उनकी यह मांग स्वीकार कर ली. सभी पक्षकारों की ओर से अदालत से यह मांग की गई कि सबसे पहले आदेश सात नियम 11 के तहत दाखिल प्रार्थना पत्र और धारा 151 सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रार्थना पत्र सुने जाएं. अन्य प्रार्थना पत्र जो प्रतिनिधि के तौर पर मुकदमे को चलाने और सभी मुकदमे एक साथ सुने जाने के आदेश को वापस लिए जाने के संबंध में दाखिल हैं, उन पर इसके बाद सुनवाई होगी.

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