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सिवान में जमीन पर जबरन कब्जा करने के मामले में HC में सुनवाई, कोर्ट ने एसपी से किया जवाब तलब, दिया निर्देश - सिवान में जमीन पर जबरन कब्जा

पटना हाईकोर्ट ने सिवान में जमीन को जबरन कब्जा करने के मामले में सुनवाई करते हुए पीड़ित पक्ष को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया है. साथ ही सिवान एसपी से जवाब भी तलब किया है. पढ़ें पूरा मामला-

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 8, 2024, 9:00 PM IST

पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने सिवान में जमीन को जबरन हड़पने, उसके बदले 50 लाख रुपये की फिरौती मांगने और जमीन मालिक को जान की धमकी देने के मामले पर सुनवाई की. जस्टिस संदीप कुमार ने इस मामले पर जानकारी मिलने के बावजूद पुलिस द्वारा शिथिलता बरतने के आरोप पर सिवान के एसपी से जवाब तलब किया.

जमीन हड़पने के मामले पर सुनवाई : जस्टिस संदीप कुमार ने विकास कुमार मिश्रा की रिट याचिका को सुनते हुए सिवान एसपी को यह भी बताने के लिए आदेश दिया है कि जब याचिकाकर्ता को धमकी देने वाले लोगों पर सिवान टाउन थाने में कई मुकदमे दर्ज हैं, तो पुलिस उन्हें क्यों नहीं गिरफ्तार किया. यदि वे वांटेड अपराधी हैं, तो ऐसा क्या है जो पुलिस को वांटेड अपराधी को गिरफ्तार करने से रोक रहा है?

पक्षकार ने कोर्ट में दी दलील : कोर्ट ने सभी विपक्षी आरोपियों को नोटिस निर्गत करने का आदेश देते हुए सिवान पुलिस को याचिकाकर्ता को सुरक्षा देने का भी निर्देश दिया. विकास ने यह रिट याचिका उसकी जमीन को हड़पने वाले कुछ तथाकथित भू माफिया के खिलाफ लगाई थी. याचिका कर्ता के वकील चंद्रकांत ने बताया की उनके मुवक्किल के पूर्वज रामपति मिश्रा ने सिवान शहर के निराला नगर की एक भूखंड के सवा सात कट्ठा जमीन 1926 में खरीदा था.

95 साल से निर्विवाद कब्जा : जमीन खरीदने के बाद रामपति मिश्रा और उनके उत्तराधिकारी उस जमीन पर काबिज रहते हुए पूर्व जमींदार को और 1950 के बाद बिहार सरकार को मालगुजारी लगान देते आ रहे हैं. भूमि पर याचिकाकर्ता और उनके पूर्वजों का निर्विवाद कब्जा 95 सालों से है. दो साल पहले कुछ अपराधिक चरित्र के लोगों ने जालसाजी कर याचिकाकर्ता की भूमि में से 16 धुर जमीन किसी तीसरे व्यक्ति को बेच दिया, जिसके कारण विकास को उक्त भूखंड पर टाइटल (हक वो हकियत) का मुकदमा करना पड़ा.

फिरौती और मुकदमा वापस करने का दबाव : लेकिन विकास एवं उसके परिवार को सिवान के अपराधिक चरित्र वाले प्रिंस उपाध्याय और राज कुमार वर्मा 50 लाख की फिरौती देने और हकीयत मुकदमे को वापस लेने का दबाव बना रहे हैं. याचिकाकर्ता और उनके परिवार को जान की भी धमकी मिल रही है, और बार बार शिकायत करने के बावजूद, सिवान पुलिस हाथ धरकर बैठी है.

5 हफ्ते बात फिर सुनवाई : चंद्रकांत ने कोर्ट को हलफनामे में अंकित अपराधिक मुकदमों की सूची की ओर कोर्ट का ध्यान खींचा. प्रिंस पर सिवान टाउन थाने में 5 अपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और राज प्रताप वर्मा के खिलाफ दो अपराधिक मामले हैं. चंद्रकांत ने बताया कि ये अपराधी इसलिए बेखौफ हैं, क्योंकि इन्हें पुलिस का संरक्षण मिला हुआ है. इन दोनों को सिवान पुलिस गिरफ्तार करने की कोशिश तक नहीं कर रही. हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सिवान एसपी से जवाब तलब किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई पांच हफ्ते बाद की जाएगी.

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पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने सिवान में जमीन को जबरन हड़पने, उसके बदले 50 लाख रुपये की फिरौती मांगने और जमीन मालिक को जान की धमकी देने के मामले पर सुनवाई की. जस्टिस संदीप कुमार ने इस मामले पर जानकारी मिलने के बावजूद पुलिस द्वारा शिथिलता बरतने के आरोप पर सिवान के एसपी से जवाब तलब किया.

जमीन हड़पने के मामले पर सुनवाई : जस्टिस संदीप कुमार ने विकास कुमार मिश्रा की रिट याचिका को सुनते हुए सिवान एसपी को यह भी बताने के लिए आदेश दिया है कि जब याचिकाकर्ता को धमकी देने वाले लोगों पर सिवान टाउन थाने में कई मुकदमे दर्ज हैं, तो पुलिस उन्हें क्यों नहीं गिरफ्तार किया. यदि वे वांटेड अपराधी हैं, तो ऐसा क्या है जो पुलिस को वांटेड अपराधी को गिरफ्तार करने से रोक रहा है?

पक्षकार ने कोर्ट में दी दलील : कोर्ट ने सभी विपक्षी आरोपियों को नोटिस निर्गत करने का आदेश देते हुए सिवान पुलिस को याचिकाकर्ता को सुरक्षा देने का भी निर्देश दिया. विकास ने यह रिट याचिका उसकी जमीन को हड़पने वाले कुछ तथाकथित भू माफिया के खिलाफ लगाई थी. याचिका कर्ता के वकील चंद्रकांत ने बताया की उनके मुवक्किल के पूर्वज रामपति मिश्रा ने सिवान शहर के निराला नगर की एक भूखंड के सवा सात कट्ठा जमीन 1926 में खरीदा था.

95 साल से निर्विवाद कब्जा : जमीन खरीदने के बाद रामपति मिश्रा और उनके उत्तराधिकारी उस जमीन पर काबिज रहते हुए पूर्व जमींदार को और 1950 के बाद बिहार सरकार को मालगुजारी लगान देते आ रहे हैं. भूमि पर याचिकाकर्ता और उनके पूर्वजों का निर्विवाद कब्जा 95 सालों से है. दो साल पहले कुछ अपराधिक चरित्र के लोगों ने जालसाजी कर याचिकाकर्ता की भूमि में से 16 धुर जमीन किसी तीसरे व्यक्ति को बेच दिया, जिसके कारण विकास को उक्त भूखंड पर टाइटल (हक वो हकियत) का मुकदमा करना पड़ा.

फिरौती और मुकदमा वापस करने का दबाव : लेकिन विकास एवं उसके परिवार को सिवान के अपराधिक चरित्र वाले प्रिंस उपाध्याय और राज कुमार वर्मा 50 लाख की फिरौती देने और हकीयत मुकदमे को वापस लेने का दबाव बना रहे हैं. याचिकाकर्ता और उनके परिवार को जान की भी धमकी मिल रही है, और बार बार शिकायत करने के बावजूद, सिवान पुलिस हाथ धरकर बैठी है.

5 हफ्ते बात फिर सुनवाई : चंद्रकांत ने कोर्ट को हलफनामे में अंकित अपराधिक मुकदमों की सूची की ओर कोर्ट का ध्यान खींचा. प्रिंस पर सिवान टाउन थाने में 5 अपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और राज प्रताप वर्मा के खिलाफ दो अपराधिक मामले हैं. चंद्रकांत ने बताया कि ये अपराधी इसलिए बेखौफ हैं, क्योंकि इन्हें पुलिस का संरक्षण मिला हुआ है. इन दोनों को सिवान पुलिस गिरफ्तार करने की कोशिश तक नहीं कर रही. हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सिवान एसपी से जवाब तलब किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई पांच हफ्ते बाद की जाएगी.

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