अजमेर : दुबलापन युवा वर्ग में एक आम समस्या है. इसके कारण दुबले पतले युवकों को शारारिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसका असर उनके व्यक्तित्व पर भी पड़ता है. कई युवा तो मानसिक अवसाद के शिकार हो जाते हैं. ऐसे में युवा वर्ग ऐसी चीजों का भी सेवन करने लगता है, जिनके उपयोग से दूरगामी परिणाम शरीर के लिए काफी घातक होते हैं. दुबलापन को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक तरीके ज्यादा कारगर हैं. जानते हैं दुबलेपन के कारण और इसके निदान को लेकर आयुर्वेद अनुसार हेल्थ टिप्स.
आयुर्वेद के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि आयुर्वेद वात, पित्त और कफ के सिद्धांत पर चलता है. इनका संतुलित रहना मतलब शरीर का स्वस्थ रहना. इनमें से एक भी असंतुलित हुआ तो शरीर को कई तरह के रोग जकड़ लेते हैं. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार भोजन के जरिए मिलने वाले पौष्टिक तत्वों से शरीर का पोषण होता और आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है भोजन का पाचन भी उचित तरीके से हो. मानव शरीर 7 धातुओं से निर्मित होता है. इनमें रस, रक्त, मांस, मेद ( चर्बी) अस्थि, मज्जा और शुक्र (वीर्य) शामिल है. यह 7 धातु पौष्टिक आहार के सेवन के उपरांत पाचन से निर्मित होते हैं. इनसे शरीर मासल और ओज युक्त होकर सुंदर और आकर्षित बनता है.
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ऐसे बनाएं पाचन क्रिया को बेहतर : उन्होंने बताया कि भोजन करना ही शरीर के लिए काफी नहीं है, बल्कि उसका पाचन भी अच्छे से होना आवश्यक है, इसलिए दुबलापन को दूर करने के लिए पौष्टिक आहार के साथ साथ पाचन क्रिया भी बेहतर होनी चाहिए. स्वस्थ रहने के लिए प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, आयरन और जल की पूर्ति होना काफी महत्वपूर्ण है. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि पाचन क्रिया को बेहतर बनाए रखने के लिए सबसे आवश्यक शारारिक श्रम है. बाल्यकाल में ही बच्चों पर पढ़ाई का बोझ डाल दिया जाता है. इस बोझ के कारण बच्चें शारारिक श्रम नहीं कर पाते. मसलन खेलना कूदना उनका न के बराबर हो जाता है. इसकी जगह टीवी, मोबाइल, वीडियो गेम या इनडोर गेम ने ले ली है, जिससे बच्चों की पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है.
आउटडोर खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं : इसका असर बच्चों के स्वास्थ पर पड़ता है और उनका शारारिक विकास होने की प्रक्रिया प्रभावित होने से उनमें दुबलापन आने लगता है, जो किशोर अवस्था से युवावस्था में भी रहता है. कई बच्चे या किशोर भूख लगने पर फास्ट फूड और जंक फूड भी खाते हैं, जिससे उनमें चर्बी की मात्रा बढ़ने लगती है. ऐसे बच्चों और युवाओं को तंदरुस्त नहीं कहा जा सकता. इसके परिणाम आगे चलकर कई तरह के रोग के रूप में भुगतने पड़ते हैं, इसलिए बाल्यकाल से ही बच्चों को शारारिक और आउटडोर गतिविधियां करनी चाहिए. साथ ही पौष्टिक आहार लेना चाहिए. इसी तरह युवाओं को भी मॉर्निंग वॉक, इवनिंग वॉक, योग, व्यायाम, प्राणायाम, जिम, स्विमिंग या कोई आउटडोर खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए.
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कई युवाओं में है गलत धारणा : डॉ. मिश्रा बताते हैं कि कई युवाओं में शारारिक श्रम मसलन दौड़ना, मॉर्निंग वॉक या व्यायाम को लेकर भी गलत धारणा है कि ये करने से उनका वजन और कम हो जाएगा, जबकि ऐसा नहीं है. इनको करने से प्राकृतिक रूप से शरीर को ऊर्जा मिलती है जो शारीरिक गतिविधियों के संचालन के साथ-साथ पाचन को भी बेहतर बनाती है. कई युवा दुबलेपन को दूर करने के लिए कई तरह के प्रोटीन पाउडर, शेक या दवाओं का सेवन करने लगते हैं. इनके उपयोग से उन्हें फायदा भी होने लगता है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बड़े ही घातक होते हैं. लिहाजा ऐसे विकल्पों का दुबलापन दूर करने के लिए उपयोग न करें.