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Health Tips: नेत्र ज्योति कम हो रही है, तो संभल जाएं, इस आयुर्वेद पद्धति से नेत्रों का रखें ख्याल

दैनिक जीवन में मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल के चलते आंखों में तकलीफ के चांसेस बढ़ जाते हैं. इसके अलावा कम नींद, कम रोशनी जैसे कारणों से भी नेत्र ज्योति प्रभावित होती है. ऐसे में आयुर्वेद पद्धति से आंखों का बेहतर ख्याल रखा जा सकता है.

eye care tips by doctor
आयुर्वेद पद्धति से नेत्रों का ख्याल
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 31, 2024, 9:33 PM IST

आंखों का ख्याल रखने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक टिप्स

अजमेर. मानव शरीर के कोमल अंगों में से एक नेत्र है. नेत्र ही है जिससे ईश्वर के बनाए हुए खूबसूरत संसार को देखते हैं. आयुर्वेद के मुताबिक 5 ज्ञानेंद्रिय में से एक नेत्र है. कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल यह आम जीवन का हिस्सा बन गए हैं. तकनीकी युग में नेत्रों का ख्याल रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है. यही वजह है कि कम उम्र में भी नेत्र रोग होने के साथ नेत्र ज्योति भी कमजोर होने लगी है. अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीएल मिश्रा से जानते है हेल्थ टिप्स...

आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक बीएल मिश्रा बताते हैं कि पंचमहाभूत से बने मानव शरीर में पांच ज्ञानेंद्रिय और पांच अधिष्ठान होते हैं. इनमें नेत्र भी ज्ञानेंद्रियों में शामिल है. उन्होंने बताया कि मानव शरीर के निर्माण में वात पित्त और कफ का बराबर संयोग होना आवश्यक है. पित्त का एक अधिष्ठान नेत्र है. आयुर्वेद के मुताबिक पित्त का दूसरा नाम आलोचक (तेजस) है. इससे रोशनी, रंग देखना आदि आलोचक (तेजस) पित्त का होता है.

उन्होंने बताया कि पित्त और कफ की समानता से नेत्र से हम देख पाते हैं. यानी सामने की वस्तु का प्रतिबिंब नेत्र के पीछे के पटल पर निर्धारित बिंदु पर पड़ता है, तब सामने वाली वस्तु का आकार नजर आता है. जिस वस्तु का ज्ञान होता है. नेत्र में पित्त वात और कफ की असमानता होने पर नेतृत्व से संबंधित विभिन्न रोग उत्पन्न होते हैं. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में नेत्र के 76 प्रकार के रोग होते हैं. इनमें ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, निकट दृष्टि और दूर दृष्टि दोष, आंखों का सूखना या आंखों से पानी आना आदि शामिल है. रक्त में शर्करा बढ़ाने के कारण नेत्र रोग होते हैं.

पढ़ें: आंखों में रक्त प्रवाह परिवर्तन माइग्रेन रोगियों में दृश्यता संबंधी लक्षणों को कर सकता है प्रभावित

खुद बनें अनुशासित: डॉ मिश्रा बताते हैं कि हमारे दैनिक जीवन में तकनीक का उपयोग काफी बढ़ गया है. मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैं. शिक्षा, व्यवसाय, मनोरंजन के लिए इन गैजेट्स का इस्तेमाल भी काफी होने लगा है. हर उम्र के लोग मोबाइल को घंटे इस्तेमाल करते हैं. वहीं व्यवसाय और कार्यालय में काम के लिए कंप्यूटर, लैपटॉप पर भी लोग घंटा बैठते हैं. इस कारण नेत्र ज्योति कमजोर होने लगती है. आवश्यक काम होने पर ही मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाए. मनोरंजन के चक्कर में लोग अपनी आंखों का नुकसान नहीं करें. स्क्रीन टाइम जितना कम होगा, उतना ही नेत्र ज्योति को नुकसान होने से बचाया जा सकता है. इसके लिए व्यक्ति को खुद अनुशासित होना होगा. लगातार मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम कर रहे हैं तो बीच-बीच में आंखों को आराम दें.

पढ़ें: EYE CARE : मोहब्बत वाला कजरा पहुंचा सकता है आंखों को नुकसान, नेत्र रोग विशेषज्ञ से जानिए समाधान

इसलिए होता है नेत्र रोग: उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को पर्याप्त रोशनी में अध्ययन करना चाहिए. कम रोशनी के कारण नेत्रों पर दबाव पड़ता है और नुकसान पहुंचता है. डॉ मिश्रा ने बताया कि तेज धूप की किरणों, लगातार मोबाइल देखने या वाहनों की सीधी रोशनी से नेत्रों में मौजूद बहुत ही महीन रक्त वाहिकाएं जल जाती हैं. इस कारण दृष्टि पर असर पड़ता है. पित्त की अधिकता के कारण आंखे लाल हो जाती हैं. कफ की अधिकता से आंखों से पानी बहने लगता है और आंखों में सूजन आ जाती है. वायु की अधिकता से आंखों में खुसकी आती है और लगातार आंखों से पानी बहता है. वातावरण में धूल मिट्टी के कण आंखों में चले जाते हैं. इसकी वजह से कई बार लोग आंखों को मसल लेते हैं. जिससे आंखों में घाव बन जाते हैं. डायबिटीज के कारण भी आंखों की दृष्टि कमजोर होने लगती है. इसके अलावा परागकण से भी एलर्जी का खतरा रहता है.

पढ़ें: Eye Donation Survey Report: नेत्रदान में पुरुषों से पीछे रहती हैं महिलाएं, चंडीगढ़ PGI एडवांस आई सेंटर के सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा

ऐसे रखें नेत्रों का ख्याल: डॉ मिश्रा बताते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए खासकर आंखों के लिए पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है. सात्विक भोजन लें. साथ ही अपने आहार में हरी सब्जियां, गाजर, मूली, फल शामिल करें. तीक्ष्ण रोशनी से बचे. आयुर्वेद में त्रिफला को नेत्रों के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है. त्रिफला के पानी से आंखों को धोना, त्रिफला चूर्ण का सेवन करना, सुबह उठने पर ठंडे पानी से आंखों को धोने से काफी हद तक नेत्र रोगों से बचा जा सकता है.

आयुर्वेद में त्रिफला, घृत, दवा, कॉफी फायदेमंद नेत्रों के लिए होती है. यह दवा गाय की घी से बनती है. इसके सेवन से शरीर में चिकनाई और ताकत पहुंचती है. साथ ही यह नेत्र ज्योति के लिए काफी फायदेमंद रहता है. उन्होंने बताया कि घरेलू नुस्खे के तौर पर काली मिर्च और शहद और काली मिर्च के साथ देसी घी का सेवन करने से नेत्र ज्योति बढ़ती है. सरसों के तेल से सिर में और पैरों के नीचे नित्य मालिश की जाए तो उससे भी नेत्र ज्योति को फायदा मिलता है.

आंखों का ख्याल रखने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक टिप्स

अजमेर. मानव शरीर के कोमल अंगों में से एक नेत्र है. नेत्र ही है जिससे ईश्वर के बनाए हुए खूबसूरत संसार को देखते हैं. आयुर्वेद के मुताबिक 5 ज्ञानेंद्रिय में से एक नेत्र है. कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल यह आम जीवन का हिस्सा बन गए हैं. तकनीकी युग में नेत्रों का ख्याल रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है. यही वजह है कि कम उम्र में भी नेत्र रोग होने के साथ नेत्र ज्योति भी कमजोर होने लगी है. अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीएल मिश्रा से जानते है हेल्थ टिप्स...

आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक बीएल मिश्रा बताते हैं कि पंचमहाभूत से बने मानव शरीर में पांच ज्ञानेंद्रिय और पांच अधिष्ठान होते हैं. इनमें नेत्र भी ज्ञानेंद्रियों में शामिल है. उन्होंने बताया कि मानव शरीर के निर्माण में वात पित्त और कफ का बराबर संयोग होना आवश्यक है. पित्त का एक अधिष्ठान नेत्र है. आयुर्वेद के मुताबिक पित्त का दूसरा नाम आलोचक (तेजस) है. इससे रोशनी, रंग देखना आदि आलोचक (तेजस) पित्त का होता है.

उन्होंने बताया कि पित्त और कफ की समानता से नेत्र से हम देख पाते हैं. यानी सामने की वस्तु का प्रतिबिंब नेत्र के पीछे के पटल पर निर्धारित बिंदु पर पड़ता है, तब सामने वाली वस्तु का आकार नजर आता है. जिस वस्तु का ज्ञान होता है. नेत्र में पित्त वात और कफ की असमानता होने पर नेतृत्व से संबंधित विभिन्न रोग उत्पन्न होते हैं. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में नेत्र के 76 प्रकार के रोग होते हैं. इनमें ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, निकट दृष्टि और दूर दृष्टि दोष, आंखों का सूखना या आंखों से पानी आना आदि शामिल है. रक्त में शर्करा बढ़ाने के कारण नेत्र रोग होते हैं.

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खुद बनें अनुशासित: डॉ मिश्रा बताते हैं कि हमारे दैनिक जीवन में तकनीक का उपयोग काफी बढ़ गया है. मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैं. शिक्षा, व्यवसाय, मनोरंजन के लिए इन गैजेट्स का इस्तेमाल भी काफी होने लगा है. हर उम्र के लोग मोबाइल को घंटे इस्तेमाल करते हैं. वहीं व्यवसाय और कार्यालय में काम के लिए कंप्यूटर, लैपटॉप पर भी लोग घंटा बैठते हैं. इस कारण नेत्र ज्योति कमजोर होने लगती है. आवश्यक काम होने पर ही मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाए. मनोरंजन के चक्कर में लोग अपनी आंखों का नुकसान नहीं करें. स्क्रीन टाइम जितना कम होगा, उतना ही नेत्र ज्योति को नुकसान होने से बचाया जा सकता है. इसके लिए व्यक्ति को खुद अनुशासित होना होगा. लगातार मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम कर रहे हैं तो बीच-बीच में आंखों को आराम दें.

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इसलिए होता है नेत्र रोग: उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को पर्याप्त रोशनी में अध्ययन करना चाहिए. कम रोशनी के कारण नेत्रों पर दबाव पड़ता है और नुकसान पहुंचता है. डॉ मिश्रा ने बताया कि तेज धूप की किरणों, लगातार मोबाइल देखने या वाहनों की सीधी रोशनी से नेत्रों में मौजूद बहुत ही महीन रक्त वाहिकाएं जल जाती हैं. इस कारण दृष्टि पर असर पड़ता है. पित्त की अधिकता के कारण आंखे लाल हो जाती हैं. कफ की अधिकता से आंखों से पानी बहने लगता है और आंखों में सूजन आ जाती है. वायु की अधिकता से आंखों में खुसकी आती है और लगातार आंखों से पानी बहता है. वातावरण में धूल मिट्टी के कण आंखों में चले जाते हैं. इसकी वजह से कई बार लोग आंखों को मसल लेते हैं. जिससे आंखों में घाव बन जाते हैं. डायबिटीज के कारण भी आंखों की दृष्टि कमजोर होने लगती है. इसके अलावा परागकण से भी एलर्जी का खतरा रहता है.

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ऐसे रखें नेत्रों का ख्याल: डॉ मिश्रा बताते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए खासकर आंखों के लिए पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है. सात्विक भोजन लें. साथ ही अपने आहार में हरी सब्जियां, गाजर, मूली, फल शामिल करें. तीक्ष्ण रोशनी से बचे. आयुर्वेद में त्रिफला को नेत्रों के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है. त्रिफला के पानी से आंखों को धोना, त्रिफला चूर्ण का सेवन करना, सुबह उठने पर ठंडे पानी से आंखों को धोने से काफी हद तक नेत्र रोगों से बचा जा सकता है.

आयुर्वेद में त्रिफला, घृत, दवा, कॉफी फायदेमंद नेत्रों के लिए होती है. यह दवा गाय की घी से बनती है. इसके सेवन से शरीर में चिकनाई और ताकत पहुंचती है. साथ ही यह नेत्र ज्योति के लिए काफी फायदेमंद रहता है. उन्होंने बताया कि घरेलू नुस्खे के तौर पर काली मिर्च और शहद और काली मिर्च के साथ देसी घी का सेवन करने से नेत्र ज्योति बढ़ती है. सरसों के तेल से सिर में और पैरों के नीचे नित्य मालिश की जाए तो उससे भी नेत्र ज्योति को फायदा मिलता है.

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