लखनऊ : बदलती जीवन शैली और तनाव के कारण लोग अधिक संख्या में डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं. डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण तनाव भरी जिंदगी को जीना है. जब शरीर के पैन्क्रियाज में इन्सुलिन की कमी हो जाती है. मतलब कम मात्रा में इन्सुलिन पहुंचता है तो खून में ग्लूकोज की मात्रा भी ज्यादा हो जाती है. इसी को डायबिटीज कहते हैं. इसे नियंत्रित रखने के लिए लोग दवाई खाते हैं, लेकिन कुछ घरेलू चीज भी हैं जिसे डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है. बाजार में शुगर फ्री शक्कर आती है, लेकिन उसका भी इस्तेमाल बहुत ही कम करना चाहिए, क्योंकि इसका भी दुष्प्रभाव मरीजों में देखने को मिलता है.
शरीर में नहीं बनता इंसुलिन : सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जिन बच्चों के माता-पिता दोनों मधुमेह से ग्रसित हैं तो उनके बच्चों को मधुमेह होने का खतरा 70 फीसदी तक होता है. अगर माता-पिता में अगर किसी एक को मधुमेह है तो बच्चों को इसका खतरा 30 फीसदी तक होता है. दरअसल मधुमेह टाइप 1 अनुवांशिक होता है. इसका होने का मुख्य कारण यह है कि शरीर में इंसुलिन नहीं बनता है. इसलिए बच्चे को जीवन भर इंसुलिन लगवाना पड़ता है.
डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक डायबिटीज में शरीर के ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ जाता है. इसके कारण कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं और हार्ट अटैक तक की नौबत आ सकती है. इसलिए आप कुछ देसी और घरेलू उपाय कर के अपने शुगर लेवल को नियंत्रित कर सकते हैं. आप मेथी, काली मिर्च, दालचीनी, नीम, करेला, जामुन इत्यादि का सेवन कर के शुगर को कंट्रोल कर सकते हैं. डायबिटीज में अनाज, दाल, फल इत्यादि का सेवन कर सकते हैं जो बीमारी में फायदेमंद होते हैं. खराब जीवनशैली और खान-पान की आदतें डायबिटीज का मुख्य कारण है.
10 फीसदी तक बच्चों में हो रही मधुमेह टाइप 1 की पुष्टि
एनसीडी क्लीनिक प्रभारी डॉ. मयंक के अनुसार हर माह यहां आने वाले 100 मरीजों में 5 से 10 ऐसे बच्चे हैं जो कि मधुमेह टाइप 1 से ग्रसित हैं. इन मरीजों में 5 से 18 साल तक के मरीज शामिल हैं. हालांकि मरीजों के इलाज के लिए पर्याप्त दवाएं, इंसुलिन समेत अन्य संसाधन मौजूद हैं. हालांकि हर कुछ बच्चे जिनका इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है वह भी केंद्र पर आकर इंसुलिन लगवा रहे हैं.
(नोटः खबर में किसी भी दावे की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है. यह खबर चिकित्सक की सलाह पर आधारित है)
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