ETV Bharat / state

महिलाओं को ज्योति योजना के लाभ से वंचित नहीं कर सकती सरकार-हाईकोर्ट

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 13, 2024, 10:05 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि राज्य सरकार महिलाओं की ज्योति योजना से लाभार्थियों को वंचित नहीं कर सकती है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राज्य सरकार अपने वादे से मुकरते हुए आमजन के लिए शुरू की गई किसी योजना को बंद नहीं कर सकती और ना ही महिलाओं को ज्योति योजना के लाभ से वंचित कर सकती है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को कहा है कि वे चिकित्सा व स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाए जो तीन महीने में उन सभी महिलाओं को ज्योति योजना का लाभ मुहैया कराए, जिनके नसबंदी के समय एक या दो बच्चियां थीं.

अदालत ने कहा है कि राज्य सरकार ज्योति योजना के संबंध में 19 अगस्त, 2011 को जारी किए गए परिपत्र के अनुसार ऐसे दावों की छानबीन करते हुए योग्य लोगों को योजना का लाभ दे. वहीं याचिकाकर्ता के मामले में राज्य सरकार को कहा है कि वह उसे ज्योति योजना का लाभ देते हुए उसकी सेकंडरी से जीएनएम कोर्स तक हुई शिक्षा पर खर्च हुई राशि 9 फीसदी ब्याज सहित भुगतान करे. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश वंदना की याचिका पर दिए.

पढ़ें: रतन देवासी बोले- हार का विश्लेषण होना चाहिए, सरकार ने हमारी योजनाएं बंद की तो करेंगे विरोध

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने 2011 में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए ऐसी महिलाओं के लिए ज्योति योजना शुरू की, जिन्होंने एक या दो पुत्रियां होने के बाद नसबंदी करा ली थी. इस योजना के अनुसार ऐसी महिलाओं को पीजी तक निशुल्क शिक्षा सहित एएनएम व जीएनएम के पद पर नियुक्ति में वरीयता भी दी गई. याचिकाकर्ता ने भी 16 जुलाई, 2012 को नसबंदी ऑपरेशन कराया और 26 जनवरी, 2013 को उसे ज्योति कार्ड जारी किया. उसने दसवीं से जीएनएम तक की शिक्षा प्राप्त की और इस पर खर्चा किया. इस दौरान 2016 में इस योजना को अचानक बंद कर दिया और याचिकाकर्ता सहित अन्य महिलाएं इस योजना का लाभ प्राप्त करने से वंचित रह गई. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए उसे ज्योति योजना का लाभ मुहैया कराए जाने का आग्रह किया गया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राज्य सरकार अपने वादे से मुकरते हुए आमजन के लिए शुरू की गई किसी योजना को बंद नहीं कर सकती और ना ही महिलाओं को ज्योति योजना के लाभ से वंचित कर सकती है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को कहा है कि वे चिकित्सा व स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाए जो तीन महीने में उन सभी महिलाओं को ज्योति योजना का लाभ मुहैया कराए, जिनके नसबंदी के समय एक या दो बच्चियां थीं.

अदालत ने कहा है कि राज्य सरकार ज्योति योजना के संबंध में 19 अगस्त, 2011 को जारी किए गए परिपत्र के अनुसार ऐसे दावों की छानबीन करते हुए योग्य लोगों को योजना का लाभ दे. वहीं याचिकाकर्ता के मामले में राज्य सरकार को कहा है कि वह उसे ज्योति योजना का लाभ देते हुए उसकी सेकंडरी से जीएनएम कोर्स तक हुई शिक्षा पर खर्च हुई राशि 9 फीसदी ब्याज सहित भुगतान करे. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश वंदना की याचिका पर दिए.

पढ़ें: रतन देवासी बोले- हार का विश्लेषण होना चाहिए, सरकार ने हमारी योजनाएं बंद की तो करेंगे विरोध

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने 2011 में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए ऐसी महिलाओं के लिए ज्योति योजना शुरू की, जिन्होंने एक या दो पुत्रियां होने के बाद नसबंदी करा ली थी. इस योजना के अनुसार ऐसी महिलाओं को पीजी तक निशुल्क शिक्षा सहित एएनएम व जीएनएम के पद पर नियुक्ति में वरीयता भी दी गई. याचिकाकर्ता ने भी 16 जुलाई, 2012 को नसबंदी ऑपरेशन कराया और 26 जनवरी, 2013 को उसे ज्योति कार्ड जारी किया. उसने दसवीं से जीएनएम तक की शिक्षा प्राप्त की और इस पर खर्चा किया. इस दौरान 2016 में इस योजना को अचानक बंद कर दिया और याचिकाकर्ता सहित अन्य महिलाएं इस योजना का लाभ प्राप्त करने से वंचित रह गई. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए उसे ज्योति योजना का लाभ मुहैया कराए जाने का आग्रह किया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.