सिवान: पूर्णिया के बाद सिवान लोकसभा सीट आरजेडी और लालू परिवार के लिए सिरदर्द बनी हुई है. पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के परिवार की नाराजगी और हिना शहाब के निर्दलीय चुनाव लड़ने के ऐलान से पार्टी के लिए मुसीबत बढ़ी हुई है. यही वजह है कि जब राष्ट्रीय जनता दल ने अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की तो उसमें सिवान को छोड़ दिया गया है. जानकार बताते हैं कि लालू यादव अभी भी हिना शहाब को मनाने में जुटे हैं. इसलिए लिस्ट से सिवान और अवध बिहारी चौधरी के नाम को हटा दिया गया है.
अवध बिहारी चौधरी के साथ खेला?: मंगलवार को आरजेडी विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पटना से ही यह ऐलान करते हुए निकले थे कि मैं टिकट लेकर आ रहा हूं. मुझे टिकट मिल गया है. जैसे ही यह सूचना मिली, वैसे ही उनके समर्थक सड़क पर उमड़ गए और जगह-जगह उनका भव्य स्वागत भी किया. एक लंबे रूट के साथ अवध बिहारी चौधरी पूरे जिले का भ्रमण किया लेकिन रात होते-होते पता चल गया कि उनका टिकट होल्ड पर रख दिया गया है.
सिवान में प्रत्याशी की घोषणा क्यों नहीं?: आरजेडी के ऑफिसियल एक्स हैंडल पर जारी उम्मीदवारों की सूची में कुल 22 कैंडिडेट के नाम और लोकसभा क्षेत्र के नाम लिखे थे लेकिन उसमें सिवान का कहीं जिक्र नहीं था. यह खबर पूरे सिवान में आग की तरह फैल गई और यह चर्चा होने लगी कि लालू यादव ने सिवान सीट पर फिर से खेला कर दिया है. जानकार बताते हैं कि लालू यादव अभी भी हिना शहाब को मनाने में जुटे हैं.
क्या बोले अवध बिहारी चौधरी?: टिकट कटने के सवाल पर अवध बिहारी चौधरी ने कहा, 'ऐसा नहीं हो सकता है. मैंने बात किया था और बात कर के ही वहां से चला हूं. रही सिंबल की बात तो सिंबल नॉमिनेशन की अधिसूचना जारी होने के कुछ दिन पहले ही जमा कर दी जाती है.'
लालू परिवार से नाराज हैं हिना शहाब?: दरअसल, जब से पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की मौत हुई है, तब से उनकी पत्नी हिना शहाब की लालू परिवार से दूरियां बढ़ती चली गई. हिना का आरोप है कि जिंदगी पर लालू फैमिली और आरजेडी का साथ देने वाले शहाबुद्दीन के परिवार का लालू और तेजस्वी ने मुश्किल वक्त में साथ छोड़ दिया. हालांकि ओसामा की शादी में तेजस्वी खुद सिवान स्थित उनके पैतृक गांव गए थे लेकिन पिछले दिनों जब ओसामा जेल गए थे, तब किसी तरह का सहयोग नहीं मिला.
निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान: हिना शहाब 2009, 2014 और 2019 में आरजेडी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में माना जा रहा है कि वह चाहती थीं कि उनको राज्यसभा भेजा जाए लेकिन लालू परिवार ने उनकी अनदेखी की. इस बीच चिराग पासवान, नीतीश कुमार और ओवैसी की पार्टी से भी उनकी नजदीकी बढ़ी लेकिन आखिरकार उन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.
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