करनाल: भारत एक कृषि प्रधान देश है. जहां पर कृषि के साथ-साथ किसान पशुपालन भी करते हैं. पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार और पशुपालन विभाग के द्वारा योजनाएं चलाई हुए हैं. ताकि पशुपालक उनका लाभ उठाकर दूध उत्पादन में देश को नंबर एक के स्थान पर लेकर आ सके. इसी के चलते पशुपालन विभाग के द्वारा पूरे देश में भारत सरकार के अंतर्गत 21 वी पशुधन गणना अभियान चलाई हुई है. कुछ राज्यों में यह शुरू हो चुकी है. लेकिन हरियाणा में आने वाले कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी. जिसको लेकर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है.
डिजिटल माध्यम पशुधन गणना: पूरे देश में 21वी पशुधन गणना की जा रही है. 2019 में 20वीं पशुधन गणना पहली बार डिजिटल माध्यम से की गई थी. अब दूसरी बार यह पशुधन गणना डिजिटल माध्यम से की जा रही है. जहां पर एक ऐप के माध्यम से प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र में जाकर हर घर, हर कार्यालय, संस्था में जाकर इस गणना को किया जाएगा. ताकि हरियाणा में पशुओं के आंकड़े को इकट्ठा कर सके.
गणना को लेकर ट्रेनिंग: हरियाणा में कुछ ही दिनों में पशुधन गणना शुरू होने जा रही है. जिसको लेकर पशुपालन विभाग के द्वारा सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. गणना की ट्रेनिंग को लेकर पूरे भारत में सभी राज्यों को अलग-अलग चरण में बांटा गया था. उत्तरी भारत के कई राज्यों की गणना को लेकर कर्मचारी और अधिकारियों की ट्रेनिंग पंजाब के अमृतसर में हुई थी. जहां पर उनको यह बताया गया था कि किस प्रकार जनगणना की जाएगी और इसमें कितने प्रजाति के पशु शामिल रहेंगे.
16 प्रजाति के 219 नस्ल के पशुओं गणना: उन्होंने बताया कि 2024 में होने जा रही 21वीं पशुधन गणना में 16 प्रजातियों के पशुओं की गणना की जाएगी. जिसमें 219 नस्ल के पशु आते हैं. इसमें मुख्यता तौर पर भैंस, गाय, शुगर, बकरी, भेड़, कुत्ते शामिल रहेंगे. इस गणना में इस प्रजाति के पशु चाहे किसी सरकारी विभाग में हो किसी गौशाला में हो या फिर किसी ने अपने घर पर फार्म पर कहीं भी रखे हो सभी की गणना की जाएगी.
गणना के लिए अधिकारियों की नियुक्ति: उन्होंने बताया कि हरियाणा में हाल ही में यह गणना शुरू होनी है. जिसको लेकर जिला स्तर पर गणना की जाने वाले कर्मचारी और अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी गई है. करनाल जिले में पशुपालन विभाग के 115 कर्मचारियों को फील्ड पर उतारा जाएगा. जिनकी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है और वह ड्राइव रन भी करके देख चुके हैं. इनके ऊपर 28 सुपरवाइजर तैनात किए गए हैं और यह सभी उपनिदेशक पशुपालन विभाग जिला करनाल की निगरानी में गणना करेंगे.
गणना करने का मुख्य उद्देश्य: उन्होंने बताया कि भारत शुरू से ही कृषि के साथ पशुपालन में अग्रणी देश रहा है और हरियाणा में भी बड़े स्तर पर पशुपालन किया जाता है. जिसके चलते भारत में दूध उत्पादन में हरियाणा दूसरे नंबर पर आता है. जबकि प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन में हरियाणा पहले नंबर पर आता है. गणना करने का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि सरकार के द्वारा पशुपालकों के लिए और पशुपालन के लिए जो योजनाएं चलाई जाती है.
उनका एक विवरण तैयार किया जा सके, कि कौन से जिले में और प्रदेश में कितनी संख्या में कौन सी प्रजाति के पशु है. ताकि उनके लिए योजनाओं को लागू किया जा सके. जिसमें किसानों के लिए और पशुपालकों के लिए बहुत सी योजनाएं हैं. जिसमें अनुदान दिए जाते हैं, या बीमारियों के लिए टीकाकरण किए जाते हैं. इन सभी चीजों के लिए ही इस प्रकार की गणना की जाती है.
पशुधन गणना से फायदा: पहले 1919 में पशु गणना हुई थी. इस बार 21वीं पशुधन गणना की जा रही है. हालांकि पशुओं की संख्या पहले से कुछ काम जरूर हुई है. लेकिन पशुपालन विभाग ने पशुओं की नस्ल सुधार पर अच्छा काम किया है. जिसके चलते हमारा दूध उत्पादन पहले से ज्यादा हुआ है और हरियाणा की मुर्रा नस्ल की भैंस भारत ही नहीं विदेशों में भी सबसे ज्यादा दूध देने वाले पशु में शामिल है. इसलिए निश्चित तौर पर अगर हम गणना के आधार पर योजनाएं शुरू करते हैं. तो उसका पशुपालकों को लाभ मिलता है और दूध उत्पादन और नस्ल सुधार में अच्छा काम होता है.
2019 पशुधन गणना: डॉ. अमित जिला नोडल अधिकारी ने बताया कि 2019 में 20वीं पशुधन गणना की गई थी. जिसमें करनाल जिले में 1 लाख 55000 के करीब सभी प्रजातियों की गाय की गणना की गई थी. तो वहीं, भैंसो की संख्या 2 लाख थी. इस बार भी अनुमान लगाया जा रहा है कि गए और भैंस का आंकड़ा इस बार भी 2019 के जितना ही रहेगा.
ये भी पढ़ें: 'मुर्रा' ने कर डाला मालामाल, हरियाणा के झज्जर में 4.60 लाख रुपए में बिकी भैंस, नोटों की माला के साथ मालिक ने दी विदाई