देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने अपनी बेटी अनुपमा रावत को हरिद्वार ग्रामीण से टिकट दिलवाया था. उसके बाद से चर्चा थी कि कुमाऊं में लगातार युवाओं के बीच सक्रियता बनाए हुए हरीश रावत के छोटे बेटे आनंद रावत को आने वाले दिनों में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए देखा जा सकता है, मगर ऐसा नहीं हुआ. लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने वीरेंद्र रावत को टिकट दे दिया. वीरेंद्र हरीश रावत के बड़े बेटे हैं. आखिरकार क्यों आनंद रावत इस बार भी चुनाव नहीं लड़ पाए? पार्टी ने उन्हें टिकट से क्यों दूर रखा? इन तमाम मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने आनंद रावत से बातचीत की.
तो कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में टिकट क्यों नहीं दिया? इस सवाल के जवाब में आनंद रावत ने कहा, 'मौजूदा समय में देश के हालात बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं. इन सब बातों को करने का कोई फायदा नहीं है. अच्छी बात यह होगी कि हर कार्यकर्ता अपनी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कांग्रेस के लिए खड़ा रहे. हम सबको साथ मिलकर चलना होगा. हो सकता है कि पार्टी ने उनके लिए कुछ अच्छा सोचा होगा. वह उस समय का इंतजार कर रहे हैं.'
आनंद रावत ने कहा- 'मैं कांग्रेस का ब्रह्मास्त्र हूं. पार्टी मुझे उचित समय पर इस्तेमाल करेगी, ऐसा मुझे विश्वास है.' उन्होंने कहा कि, पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगी वे उस पर खरा उतरेंगे. आनंद रावत से मुख्यधारा की पॉलिटिक्स, कांग्रेस छोड़कर जा रहे नेताओं के बारे में भी सवाल किया गया. जिस पर आनंद रावत ने कहा कि, जो नेता जा रहे हैं उसका पार्टी पर किसी तरह का कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा है. कार्यकर्ता नेता को बनाते हैं. हमारे कार्यकर्ता मजबूती से हमारे साथ खड़े हैं.
उन्होंने इसे लेकर दिनेश अग्रवाल का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि वो कल बीजेपी में शामिल हो गए हैं, इसके बाद भी अग्रवाल के क्षेत्र में तमाम कांग्रेस के चुनावी कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर सभी कार्यकर्ता भारी संख्या में एक साथ खड़े रहे. बता दें कि, हरीश रावत के खास माने जाने वाला दिनेश अग्रवाल ने कल ही कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी का हाथ थामा है.
दल बदलुओं पर आनंद का तंज: वहीं, ऐसे ही दल बदलने वाले नेताओं पर तंज कसते हुए आनंद रावत ने कहा कि, कांग्रेस हमेशा से नेता तैयार करती है. नेता बनने के बाद लोग कांग्रेस को अलविदा कहकर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. बीजेपी ने दूसरे दलों से आये तमाम नेताओं को पन्ना प्रमुख बनाकर रख दिया है. उसमें बड़े और छोटे नेता का कोई अंतर नहीं है.
क्या है परिवारवाद? परिवारवाद के सवाल पर आनंद रावत कहते हैं कि, परिवारवाद की एक परिभाषा तय होनी चाहिए. आखिरकार कौन नेता परिवारवाद को आगे बढ़ा रहा है. अगर कोई परिवार का सदस्य 25 साल से सक्रिय राजनीति में है और उसे मौका दिया जाता है तो क्या यह परिवारवाद है? उन्होंने कहा कि, अमित शाह के बेटे को जिस तरह से बीसीसीआई अध्यक्ष बना दिया वो क्या है, जबकि उनका क्रिकेट से कोई लेना देना नहीं है. आनंद कहते हैं- परिवारवाद पर चर्चा होनी चाहिए. इसे लेकर एक क्राइटेरिया सेट होना चाहिए.
पढे़ं-