पटना: केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने अपनी पारंपरिक सीट इमामगंज को बहू के हवाले कर दिया है. उन्होंने बड़े बेटे संतोष मांझी की पत्नी दीपा मांझी को उपचुनाव में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का प्रत्याशी बनाया है. सीधे तौर पर तो राजनीति में उनका दखल नहीं रहा है लेकिन सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से वह अक्सर चर्चा में रहा करती हैं. लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य से लेकर अभिनेत्री कंगना रनौत तक पर वह बेहद तल्ख अंदाज में टिप्पणी कर चुकी हैं.
रोहिणी आचार्य और दीपा मांझी में जुबानी जंग: सोशल मीडिया पर रोहिणी आचार्य से दो-दो हाथ करने वाली दीपा मांझी ने चुनावी राजनीति में कदम बढ़ाया है. हालांकि इससे पहले वह हम पार्टी की गतिविधियों में कभी-कभार शामिल होती रहती थीं लेकिन बहुत सक्रिय नहीं थीं. वहीं, विवाह से पहले दीपा मांझी अपने पिता के एनजीओ में काम करती थी. नक्सल प्रभावित इलाकों में वह अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के बीच शिक्षा को लेकर जागरूकता फैलाने का काम कर चुकी हैं.
रोहिणी पर क्या बोलीं दीपा: ईटीवी भारत से बात करते हुए दीपा मांझी ने कहा कि उनसे मेरी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है लेकिन जब वह व्यक्तिगत या नीतिगत टिप्पणी दुर्भावना से प्रेरित होकर करती हैं तो मुझे जवाब देना पड़ता है. हालांकि जब रोहिणी ने पिता लालू यादव को अपनी एक किडनी डोनेट किया था, तब दीपा ने उनकी तारीफ भी की थी.
हम पार्टी ने इमामगंज सीट पर तय किया अपना उम्मीदवार। केन्द्रीय मंत्री श्री जीतन राम माँझी ने दिया दीपा मांझी को सिंबल। pic.twitter.com/g2CVZrjmoI
— Dr. Santosh Kumar Suman (@santoshmanjhi_) October 20, 2024
विनोबा भावे से प्रभावित हैं दीपा मांझी: दीपा मांझी गया जिले के फतेहपुर प्रखंड की रहने वाली हैं. उनका गांव 'बापू ग्राम' कोडरमा बॉर्डर के पास स्थित है. विनोबा भावे ने बापू ग्राम को बसाया था. दीपा मांझी भी विनोबा भावे से प्रेरित रही हैं और छात्र जीवन के दौरान गरीबों के लिए संघर्ष किया. दीपा मांझी नक्सल प्रभावित इलाकों में दो दशक पहले बेखौफ होकर घूमती थीं और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी.
नक्सलियों से नहीं डरती दीपा मांझी: हम कैंडिडेट दीपा मांझी का घर नक्सल प्रभावित इलाके में था. जहां शाम ढलने के बाद लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे, उस दौर में दीपा मांझी मोटरसाइकिल से घूमती थी. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि उनके पिताजी एक स्वयंसेवी संस्था चलाते थे. वह भी वहां काम करती थी. गरीबों के बच्चों को शिक्षित करना उनको अच्छा लगता था. उन्हें जागरूक करने के उद्देश्य से साइकिल और मोटरसाइकिल से गांव-गांव जाती थी.
"पहले सड़के नहीं थी. इस वजह से मुझे साइकिल और मोटरसाइकिल का सहारा लेना पड़ता था. नक्सल प्रभावित इलाका होने के बाद मुझे नक्सलियों से कोई डर नहीं था और मैं निर्भीक होकर काम करती थी."- दीपा मांझी, जीतनराम मांझी की बहू
'शराबबंदी के पक्ष में हैं हम': शराबबंदी को लेकर दीपा मांझी ने अपनी स्पष्ट राय व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी सही कदम है और इसे मजबूती के साथ लागू किया जाना चाहिए. शराबबंदी कानून लागू करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बधाई के पात्र हैं. दीपा ने कहा कि शराबबंदी से हमारे राज्य को बहुत फायदा हुआ है. महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर रहीं हैं. गरीब परिवार आज शराबबंदी के चलते तरक्की कर रहा है.
इमामगंज में त्रिकोणीय मुकाबला: गया की इमामगंज सीट पर पिछली दो बार से जीतनराम चुनाव जीतते रहे हैं. ऐसे में उपचुनाव में दीपा मांझी के लिए राजनीतिक विरासत को बचाने की चुनौती है. उनका मुकाबला आरजेडी प्रत्याशी रौशन कुमार मांझी उर्फ राजेश मांझी और जन सुराज पार्टी के कैंडिडेट डॉ. जितेंद्र पासवान से है. 13 नवंबर को वहां वोट डाले जाएंगे और 23 को परिणाम आएगा.
"इमामगंज विधानसभा में पापा (जीतनराम मांझी) ने काफी काम किया है. अगर मैं जीतती हूं तो शिक्षा के लिए भरपूर काम करूंगी. पापा केंद्र में मंत्री हैं तो एमएसएमई से जुड़ा काम कराने का हमारे पास सुनहरा अवसर है. बिहार सरकार में संतोष मांझी जी भी मंत्री हैं, ऐसे में विकास कार्य में तेजी आएगी. मैं पार्टी, परिवार और क्षेत्र की जनता के भरोसे पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगी."- दीपा मांझी, हम प्रत्याशी, इमामगंज विधानसभा सीट
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