ग्वालियर: जयारोग्य अस्पताल समूह के ट्रामा सेंटर आईसीयू में लगी आग के बाद अब पिछले 12 घंटे के दौरान हुई मौतों को लेकर विवाद सामने आ रहा है. परिजनों का आरोप है कि आग लगने के बाद शिफ्टिंग के दौरान ऑक्सीजन न मिलने से मौत हुई है. जबकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि किसी भी मरीज की मौत शिफ्टिंग के दौरान नहीं हुई है. आग सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर लगी थी. जबकि मरीजों की मौत 11 बजे दोपहर 1 बजे और रात 8 बजे हुई है.
घटना की जांच के आदेश
बता दें कि, मंगलवार की सुबह ट्रॉमा सेंटर आईसीयू में आग लग गई थी. इस समय आईसीयू के अंदर 10 मरीज भर्ती थे. इनमे 6 वेंटिलेटर और 4 ऑक्सीजन स्पोर्ट पर थे. आगजनी के दौरान सभी मरीजों को बाहर शिफ्ट किया गया. शिवपुरी निवासी 63 साल के कांग्रेस नेता आजाद खान की मौत को लेकर आरोप लगाया कि शिफ्टिंग के दौरान ऑक्सीजन नहीं मिलने पर उनकी मौत हुई है. वहीं, इसके बाद मुरैना के अंबार निवासी 55 वर्षीय रजनी राठौर और छतरपुर जिले के 32 वर्षीय बाबू पाल की मौत हो गई. इस घटना में मंगलवार सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक 3 मरीजों की मौत हो गई. इस घटना को लेकर गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. आरकेएस धाकड़ ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं और अपनी रिपोर्ट को संभागीय को सौंपने की बात कही है.
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'ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई मौत'
इस मामले को लेकर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आरकेएस धाकड़ का कहना है कि "तीनों मरीज की मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते नहीं हुई है, बल्कि वह तीनों मरीज गंभीर स्थिति में थे. इस घटना को लेकर विभाग अध्यक्ष न्यूरो सर्जन, ट्रॉमा और मेडिसिन इंचार्ज के साथ विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है. वहीं, दूसरी और पीडब्ल्यूडी नगर निगम के साथ मिलकर फायर और इलेक्ट्रिसिटी को लेकर एक कमेटी बनाई गई है. इसके अलावा एक आंतरिक कमेटी भी बनाई गई है, जिसमें 5 लोग शामिल हैं. वह भी इस पूरे घटना की जांच कर रहे हैं."