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इस दिन मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, जानें तारीख और तिथि का इस बार क्या है हिसाब-किताब! - GURU PURNIMA 2024 - GURU PURNIMA 2024

GURU PURNIMA 2024: इस साल गुरु पूर्णिमा को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है कि यह 20 जुलाई को मनाई जाएगी या 21 जुलाई. आइए जानते हैं इस बार क्या है तिथि का हिसाब और किस दिन इसे मनाया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...

गुरु पूर्णिमा 2024
गुरु पूर्णिमा 2024 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 19, 2024, 10:31 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व बताया गया है. इस दिन लोग यज्ञ आदि भी करते हैं, क्योंकि ऐसा करना शुभ माना जाता है. इन्हीं पूर्णिमा में से एक है गुरु पूर्णिमा. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जाएगी. हालांकि पूर्णिमा का व्रत 20 जुलाई को रखा जाएगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि 20 जुलाई को शाम 17:59 बजे से पूर्णिमा आएगी, जो सूर्य अस्त व प्रदोष काल के समय रहेगी और अगले दिन दोपहर 3:40 बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी. इसलिए शाम को प्रदोष काल में पूर्णिमा का अभाव रहेगा, जिसके चलते व्रत 20 जुलाई को ही रखा जाएगा.

पूर्णिमा में भगवान विष्णु के पूजन का विधान है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व सत्यनारायण व्रत कथा सुनना शुभ माना जाता है. जो व्यक्ति गुरु दीक्षा लिए हुए हैं, वे अपने गुरु के पास पहुंचकर श्रद्धापूर्वक पूजन भी करते हैं. सच्चे भाव से जो भी गुरु का पूजन करता है उसको पुण्य की प्राप्ति होती है. गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास की जयंती भी मनाई जाती है. वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को गंगा नदी के एक द्वीप पर हुआ था. इसलिए उनका बचपन का नाम कृष्ण द्वैपायन था.

बाद में माता की आज्ञा से वे तपस्या करने वन चले गए और कठोर तपस्या करके ऋषि वेदव्यास कहलाए, क्योंकि इन्होंने वेदों को मानव उपयोगी बनाने के लिए चार भागों में विभाजित किया. बाद में इन्होंने ही महाभारत लिखा था. महर्षि वेदव्यास को भी गुरु का सम्मान प्राप्त है. इस दिन साधक अपने गुरु के प्रति समर्पण भाव लेकर जाए, चरण स्पर्श कर नमन करें और उनका पूजन करे. साथ ही उन्हें उपहार एवं दक्षिणा दें. गुरु पूजन के समय कुछ विशिष्ट मंत्रों का उच्चारण करें. ये मंत्र इश प्रकार हैं-

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर: ।गुरु: साक्षात् परमब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम:

अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनेन शलाकया। चक्षून्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः।

सन्त कबीर दास जी ने कहा है - गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय

यह भी पढ़ें- मानसून में घर ले आएं ये 5 पौधे, इनके पत्तियों के नियमित सेवन से खुद को रख सकते हैं निरोग

नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व बताया गया है. इस दिन लोग यज्ञ आदि भी करते हैं, क्योंकि ऐसा करना शुभ माना जाता है. इन्हीं पूर्णिमा में से एक है गुरु पूर्णिमा. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जाएगी. हालांकि पूर्णिमा का व्रत 20 जुलाई को रखा जाएगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि 20 जुलाई को शाम 17:59 बजे से पूर्णिमा आएगी, जो सूर्य अस्त व प्रदोष काल के समय रहेगी और अगले दिन दोपहर 3:40 बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी. इसलिए शाम को प्रदोष काल में पूर्णिमा का अभाव रहेगा, जिसके चलते व्रत 20 जुलाई को ही रखा जाएगा.

पूर्णिमा में भगवान विष्णु के पूजन का विधान है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व सत्यनारायण व्रत कथा सुनना शुभ माना जाता है. जो व्यक्ति गुरु दीक्षा लिए हुए हैं, वे अपने गुरु के पास पहुंचकर श्रद्धापूर्वक पूजन भी करते हैं. सच्चे भाव से जो भी गुरु का पूजन करता है उसको पुण्य की प्राप्ति होती है. गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास की जयंती भी मनाई जाती है. वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को गंगा नदी के एक द्वीप पर हुआ था. इसलिए उनका बचपन का नाम कृष्ण द्वैपायन था.

बाद में माता की आज्ञा से वे तपस्या करने वन चले गए और कठोर तपस्या करके ऋषि वेदव्यास कहलाए, क्योंकि इन्होंने वेदों को मानव उपयोगी बनाने के लिए चार भागों में विभाजित किया. बाद में इन्होंने ही महाभारत लिखा था. महर्षि वेदव्यास को भी गुरु का सम्मान प्राप्त है. इस दिन साधक अपने गुरु के प्रति समर्पण भाव लेकर जाए, चरण स्पर्श कर नमन करें और उनका पूजन करे. साथ ही उन्हें उपहार एवं दक्षिणा दें. गुरु पूजन के समय कुछ विशिष्ट मंत्रों का उच्चारण करें. ये मंत्र इश प्रकार हैं-

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर: ।गुरु: साक्षात् परमब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम:

अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनेन शलाकया। चक्षून्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः।

सन्त कबीर दास जी ने कहा है - गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय

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