अजमेर: बुद्धिस्ट सोसायटी के चेयरमैन और संविधान सुरक्षा आंदोलन के राष्ट्रीय सचिव राजरत्न अंबेडकर ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर बड़ा बयान दिया है. अंबेडकर ने कहा कि यदि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर भारत सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करे, नहीं तो बुद्धिस्ट सोसाइटी सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, तिरुपति मंदिर समेत अन्य कई मंदिरों के सर्वे और जांच को लेकर याचिका दायर करेगी. याचिका की तैयारी हो चुकी है और याचिका के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत भी हैं.
बुधवार को अजमेर दरगाह की अंजुमन कमेटी के कार्यालय परिसर में आयोजित प्रेस वार्ता में संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर के पड़पोते राजरत्न अंबेडकर ने कहा कि सन 1950 से पहले प्लेस ऑफ वर्शिप जो स्थिति थी, वही रहनी चाहिए. संविधान में यह व्यवस्था की गई थी. इसके बाद प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 भी बना. जिसमें साफ है कि ऐसे मसलों पर रिट पिटीशन कोर्ट में दायर नहीं होगी. कोर्ट ऐसी याचिकाओं को स्वीकार नहीं करेगा और ना ही बहस करेगा. कानून बनने के बाद भी निचली अदालतों की ओर से प्लेस ऑफ वर्शिप का उल्लंघन करते हुए याचिकाएं स्वीकार की जा रही हैं. बल्कि नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कोर्ट के माध्यम से संविधान का अपमान हो रहा है और संविधान को हटाने की कोशिश की जा रही है. प्लेस ऑफ वर्शिप 1991 एक्ट लागू होने के बावजूद कोर्ट जांच की स्वीकृति भी दे रहे हैं. बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट को हटाया जाएगा और जांच की स्वीकृति दी जाएगी, तो हम बुद्धिस्ट पार्टी भी पीछे नहीं रहेगी. अंबेडकर ने कहा कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत पहले बुद्ध विहार था. वह आज भी बुद्ध विहार ही रहेगा. उससे पहले भले ही वहां मंदिर रहा हो या मज्जिद, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
भारत सरकार अपनी स्थिति करे स्पष्ट: उन्होंने कहा कि बुद्धिस्ट सोसाइटी चाहती है कि किसी भी मंदिर और मस्जिद की जांच करने की नौबत नहीं आनी चाहिए. भारत की धर्मनिरपेक्षता और भाईचारा बना रहना चाहिए. बुद्धिस्ट सोसाइटी के चेयरमैन राजरत्न अंबेडकर ने कहा कि भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का सर्वे पहले हो चुका है. 8 करोड़ रुपए भारत सरकार ने खर्चा करके सर्वे करवाया था. सर्वे की रिपोर्ट में साफ है कि मंदिर के नीचे एक और इमारत है जिसमें बुद्धिस्ट अवशेष होने के प्रमाण है. इसकी रिपोर्ट भारत सरकार के पास मौजूद है.
भारत सरकार प्लेस ऑफ वर्शिप के मामले में यदि अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करती है, तो बुद्धिस्ट सोसाइटी भी याचिका कोर्ट में दायर करेगी. अभी तक जो भी जांच रिपोर्ट मंदिरों के बारे में छुपाई गई है, उसे वापस खुलवाई जाएगी. सोमनाथ मंदिर के सभी पुरातत्व साक्ष्य मौजूद है. तिरुपति बालाजी मंदिर के भी सभी साक्ष्य हैं. भारत में जहां भी बुद्धिस्ट हेरीटेज रहा है, वहां मंदिर बन गए हैं. बुद्धिस्ट सोसाइटी की ओर से इन मंदिरों के खिलाफ याचिका भी तैयार है. हम नहीं चाहते कि हमें याचिका लगाने को मजबूर होना पड़े. बुद्धिस्ट सोसाइटी चाहती है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का सम्मान हो और उसे लागू किया जाए. भारत में कोई धर्म, दूसरे धर्म स्थलों की जांच की मांग ना करें और भारत में धर्मनिरपेक्षता और भाईचारा कायम रहे, यही बुद्धिस्ट सोसाइटी की मांग रहेगी.
17 दिसंबर को मोदी जयपुर से दें संदेश: प्रेस वार्ता में शामिल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) की राष्ट्रीय महासचिव यासमीन फारूकी ने कहा कि देश में महंगाई, रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा के मुद्दे को छोड़कर हम मंदिर-मस्जिद दरगाहें खुदने लगे हैं. 17 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जयपुर आ रहे हैं. मोदी को यहां स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि वह दरगाह को कुछ नहीं होने देंगे और प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की पालना होगी. किसी मंदिर, मस्जिद, दरगाह, गिरजाघर गुरुद्वारे पर कोई कार्रवाई नहीं होगी.
उन्होंने कहा कि दरगाह वाद प्रकरण में निचली अदालत ने याचिका पर नोटिस सरकार को दिए हैं. मसलन दरगाह कमेटी, भारतीय पुरातत्व विभाग और केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग शामिल हैं. नोटिस का जवाब भी सरकार ही देगी. उन्होंने कहा कि मोदी जयपुर में कार्यक्रम के दौरान ही जवाब दें कि यह सब बंद होना चाहिए और संविधान के मुताबिक याचिका गलत है. यह संदेश मुसलमानों के लिए होगा कि सबका साथ सबका विकास होना चाहिए. उन्होंने कहा कि एसडीपीआई गलत का विरोध करती आई है और करती रहेगी.