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टीचर हो तो ऐसा... सरकारी स्कूल की बदल दी सूरत, अब प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएं - Govt School Teachers Innovation

खैरथल के कादर नगला गांव के सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने अपने निजी खर्च से बदहाल विद्यालय की सूरत बदल दी. शिक्षा में पिछड़े गांव के स्टूडेंट उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. सरकारी स्कूल में प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएं दी. इस रिपोर्ट में जानिए इस स्कूल के विकास की यात्रा में शिक्षकों के योगदान की कहानी...

GOVT SCHOOL TEACHERS INNOVATION
शिक्षकों ने निजी खर्च से बदली स्कूल की दशा और दिशा (फोटो : ईटीवी भारत खैरथल)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 11, 2024, 11:43 AM IST

शिक्षकों ने निजी खर्च से बदली स्कूल की दशा और दिशा (वीडियो : ईटीवी भारत खैरथल)

खैरथल. कहते हैं शिक्षक समाज का वो आईना है जो खुद को अंधेरे में रखकर दूसरों के घरों को रोशन करता है. खैरथल जिले के मुंडावर उपखंड के गांव कादर नगला में भी एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया, जहां शहीद श्याम सिंह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों ने विद्यार्थियों का जीवन इस तरह रोशन किया कि हर कोई उनके इस कदम की सराहना करने से अपने आप को नहीं रोक पा रहा. शिक्षकों ने अपने निजी खर्चे से बदहाल स्कूल की सूरत बदल डाली. जहां कभी कोई ग्रामीण 10वीं कक्षा से ऊपर नहीं पढ़ा वहां आज गांव के छात्र सरकारी नौकरी कर रहे हैं.

घर-घर जाकर शिक्षा के महत्व को समझाया : ये कहानी है गांव कादर नगला की, जहां प्रधानाध्यापक सुमित यादव ने 2012 में जब पद ग्रहण किया तब स्कूल की स्थिति अच्छी नहीं थी. इस छोटे से गांव में शिक्षा के प्रति बच्चों का रुझान कम था. माता-पिता बच्चों को स्कूल में भेजते भी नहीं थे. घर-घर जाकर उन्होंने शिक्षा के प्रति बच्चों को मोटिवेट किया. बच्चों को शिक्षा का महत्व समझाया. इसके बाद अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल में भेजना शुरू कर दिया.

सरकारी स्कूल में प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएं : कार्यवाहक प्रधानाध्यापक सुमित यादव ने बताया कि उन्होंने स्कूल के शिक्षकों के सहयोग से विद्यालय में कई प्रकार के पौधे लगवाएं. पूरी तरह से इस सरकारी विद्यालय में प्राइवेट विद्यालयों जैसी सुविधाएं मुहैया करवाईं. भामाशाहों से सहयोग को लेकर भी कई बार बात की गई, लेकिन विद्यालय विकास को लेकर किसी भी भामाशाह का सहयोग नहीं मिला. तब, विद्यालय के ही शिक्षकों ने अपनी-अपनी कमाई से स्कूल के विकास में सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया. शिक्षकों के सहयोग से ही बच्चों को जूते, बेल्ट, आईकार्ड बांटे गए. पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर शिक्षकों ने विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया. जब विद्यालय में उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया तब गांव के अधिकतर लोग 10वीं पास ही थे, लेकिन आज इस विद्यालय से पढ़कर छात्र सरकारी नौकरी कर रहे हैं, तो कई छात्र उच्च शिक्षा भी प्राप्त कर रहे हैं.

विद्यालय में विकास की यात्रा को बनाया अनवरत : विद्यालय परिसर में मां सरस्वती मंदिर का निर्माण व बारिश के पानी के संग्रहण के लिए पाइप लाइन डालकर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया. पहले असामाजिक तत्व विद्यालय की छुट्टी के बाद स्कूल प्रांगण में शराब पीते और जुआ खेलते थे. उस पर पूर्ण लगाम लगाने के लिए चारदीवारी की गई. स्कूल स्टाफ के सहयोग से संपूर्ण विद्यालय परिसर और गांव की गोचर भूमि पर वृक्षारोपण करवाया गया. विद्यालय की पूरी बिल्डिंग पर प्लास्टिक पेंट और आकर्षक पेंटिंग बनवाई गई. उन्होंने बताया कि लगातार दो वर्षों से शिक्षकों के निजी खर्च से बच्चों को शैक्षिणक भ्रमण पर ले जाया जा रहा है. अतिरिक्त कक्षाओं का संचालन कर बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार का सतत प्रयास भी किया गया.

इसे भी पढ़ें- जोधपुर के सरकारी स्कूल में डेढ़ साल से मोबाइल का उपयोग है बंद - mobile ban in jodhpur

ड्राइंग व पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन भी : बच्चों में स्किल डवलपमेंट करने के लिए हर सप्ताह ड्राइंग व पेंटिंग कंपटीशन का आयोजन किया गया, जिसकी संपूर्ण सामग्री प्रधानाध्यापक की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जाती है. इन पेंटिंग्स और मॉडल को सभी कक्षाओं में सौंदर्य पूर्ण तरीके से लगाया गया. बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए पूरा स्टाफ स्वयं भी एक निश्चित यूनिफॉर्म में विद्यालय आता है. सतत प्रयासों से पानी की टंकी का निर्माण करवाया गया. सुलभ शौचालय बनाए गए. विशेष बात यह है कि यह सभी कार्यवाहक प्रधानाध्यापक सुमित कुमार यादव और उनके संपूर्ण स्टाफ ने मिलकर किया है. यह अलवर में ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में एक अनूठा उदाहरण है.

मुंडावर उपखंड के गांव कादर नगला में हिन्दू, सिक्ख और मुस्लिम तीन समुदाय के लोग निवास करते हैं, जो की अधिकतर पंजाब हरियाणा सहित अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए भी जाते रहते हैं. उनके द्वारा गांव से अधिकतर समय पलायन में गुजरता है. ग्रामीण जब अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए जाते हैं तब अपने बच्चों को भी साथ ले जाते थे, लेकिन विद्यालय परिवार की समझाइस पर उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा.

शिक्षकों ने निजी खर्च से बदली स्कूल की दशा और दिशा (वीडियो : ईटीवी भारत खैरथल)

खैरथल. कहते हैं शिक्षक समाज का वो आईना है जो खुद को अंधेरे में रखकर दूसरों के घरों को रोशन करता है. खैरथल जिले के मुंडावर उपखंड के गांव कादर नगला में भी एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया, जहां शहीद श्याम सिंह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों ने विद्यार्थियों का जीवन इस तरह रोशन किया कि हर कोई उनके इस कदम की सराहना करने से अपने आप को नहीं रोक पा रहा. शिक्षकों ने अपने निजी खर्चे से बदहाल स्कूल की सूरत बदल डाली. जहां कभी कोई ग्रामीण 10वीं कक्षा से ऊपर नहीं पढ़ा वहां आज गांव के छात्र सरकारी नौकरी कर रहे हैं.

घर-घर जाकर शिक्षा के महत्व को समझाया : ये कहानी है गांव कादर नगला की, जहां प्रधानाध्यापक सुमित यादव ने 2012 में जब पद ग्रहण किया तब स्कूल की स्थिति अच्छी नहीं थी. इस छोटे से गांव में शिक्षा के प्रति बच्चों का रुझान कम था. माता-पिता बच्चों को स्कूल में भेजते भी नहीं थे. घर-घर जाकर उन्होंने शिक्षा के प्रति बच्चों को मोटिवेट किया. बच्चों को शिक्षा का महत्व समझाया. इसके बाद अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल में भेजना शुरू कर दिया.

सरकारी स्कूल में प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएं : कार्यवाहक प्रधानाध्यापक सुमित यादव ने बताया कि उन्होंने स्कूल के शिक्षकों के सहयोग से विद्यालय में कई प्रकार के पौधे लगवाएं. पूरी तरह से इस सरकारी विद्यालय में प्राइवेट विद्यालयों जैसी सुविधाएं मुहैया करवाईं. भामाशाहों से सहयोग को लेकर भी कई बार बात की गई, लेकिन विद्यालय विकास को लेकर किसी भी भामाशाह का सहयोग नहीं मिला. तब, विद्यालय के ही शिक्षकों ने अपनी-अपनी कमाई से स्कूल के विकास में सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया. शिक्षकों के सहयोग से ही बच्चों को जूते, बेल्ट, आईकार्ड बांटे गए. पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर शिक्षकों ने विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया. जब विद्यालय में उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया तब गांव के अधिकतर लोग 10वीं पास ही थे, लेकिन आज इस विद्यालय से पढ़कर छात्र सरकारी नौकरी कर रहे हैं, तो कई छात्र उच्च शिक्षा भी प्राप्त कर रहे हैं.

विद्यालय में विकास की यात्रा को बनाया अनवरत : विद्यालय परिसर में मां सरस्वती मंदिर का निर्माण व बारिश के पानी के संग्रहण के लिए पाइप लाइन डालकर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया. पहले असामाजिक तत्व विद्यालय की छुट्टी के बाद स्कूल प्रांगण में शराब पीते और जुआ खेलते थे. उस पर पूर्ण लगाम लगाने के लिए चारदीवारी की गई. स्कूल स्टाफ के सहयोग से संपूर्ण विद्यालय परिसर और गांव की गोचर भूमि पर वृक्षारोपण करवाया गया. विद्यालय की पूरी बिल्डिंग पर प्लास्टिक पेंट और आकर्षक पेंटिंग बनवाई गई. उन्होंने बताया कि लगातार दो वर्षों से शिक्षकों के निजी खर्च से बच्चों को शैक्षिणक भ्रमण पर ले जाया जा रहा है. अतिरिक्त कक्षाओं का संचालन कर बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार का सतत प्रयास भी किया गया.

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ड्राइंग व पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन भी : बच्चों में स्किल डवलपमेंट करने के लिए हर सप्ताह ड्राइंग व पेंटिंग कंपटीशन का आयोजन किया गया, जिसकी संपूर्ण सामग्री प्रधानाध्यापक की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जाती है. इन पेंटिंग्स और मॉडल को सभी कक्षाओं में सौंदर्य पूर्ण तरीके से लगाया गया. बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए पूरा स्टाफ स्वयं भी एक निश्चित यूनिफॉर्म में विद्यालय आता है. सतत प्रयासों से पानी की टंकी का निर्माण करवाया गया. सुलभ शौचालय बनाए गए. विशेष बात यह है कि यह सभी कार्यवाहक प्रधानाध्यापक सुमित कुमार यादव और उनके संपूर्ण स्टाफ ने मिलकर किया है. यह अलवर में ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में एक अनूठा उदाहरण है.

मुंडावर उपखंड के गांव कादर नगला में हिन्दू, सिक्ख और मुस्लिम तीन समुदाय के लोग निवास करते हैं, जो की अधिकतर पंजाब हरियाणा सहित अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए भी जाते रहते हैं. उनके द्वारा गांव से अधिकतर समय पलायन में गुजरता है. ग्रामीण जब अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए जाते हैं तब अपने बच्चों को भी साथ ले जाते थे, लेकिन विद्यालय परिवार की समझाइस पर उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा.

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