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खौफ के साए में पढ़ने को मजबूर मासूम! स्कूल भवन की छत से गिरता प्लास्टर और टपकता है पानी - Government School

Government Middle School building in dilapidated condition. खूंटी के राजकीयकृत मध्य विद्यालय के भवन की स्थिति काफी जर्जर है. इस कारण यहां पढ़ने वाले बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Government Middle School building in dilapidated condition in Khunti
खूंटी के राजकीयकृत मध्य विद्यालय के भवन की जर्जर स्थिति (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 1, 2024, 6:33 PM IST

खूंटीः झारखंड में स्कूली शिक्षा और शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए आधुनिक व्यवस्थायें की जा रही है. लेकिन खूंटी जिला का एक ऐसा राजकीयकृत मध्य विद्यालय जहां आज भी बच्चे जर्जर भवन के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं.

ईटीवी भारत ग्राउंड रिपोर्टः खूंटी के राजकीयकृत मध्य विद्यालय के भवन की जर्जर स्थिति (ETV Bharat)

यहां की स्थिति ऐसी विकट है कि भवन की छत टूटकर नीचे फर्श पर गिर रही है. इसके बावजूद छोटे-छोटे बच्चे इसी छत के नीचे डर के बीच बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. स्कूल में पढ़ने वाले 143 आदिवासी बच्चे डरे सहमे रहते हैं. स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक भी डर के साये में बच्चो को पढ़ाते हैं. शिक्षकों को भी डर है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए लेकिन कोई सुनने वाला नहीं.

राजधानी से सटे खूंटी के फूदी पंचायत सचिवालय से महज चंद कदमों की दूरी पर राजकीयकृत मध्य विद्यालय है और यह 1954 से संचालित हो रहा है. 70 साल पहले बने खपरैल स्कूल भवन में छोटे छोटे बच्चे पढ़ते हैं जबकि उसके बगल में बने स्कूल बिल्डिंग भी जर्जर अवस्था में है और उसी जर्जर बिल्डिंग में बच्चे जान हथेली में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं. बारिश के मौसम में छत का प्लास्टर गिरने और पानी के टपकने से बचने के लिए विद्यार्थी अपने अपने कॉपी, किताब, बैग समेत उठा लेते हैं. एक ही क्लास में दो तीन क्लास के बच्चों को एकसाथ रखने की मजबूरी शिक्षकों की होती है. स्कूली बच्चों के साथ साथ शिक्षक भी डरे सहमे नजर आते हैं. एक शिक्षक ने बताया कि विद्यालय परिसर की बाउंड्री भी नहीं है, साथ ही विद्यालय में कई वर्षों से डेस्क बेंच की खरीददारी भी नहीं की गई है. विद्यालय के कमरे में बारिश में जलजमाव होना रूटीन सा बन गया है.

स्कूल के प्रिंसिपल जुबीलान गुड़िया ने बताया कि स्कूल की दुर्दशा को लेकर कई बार पत्रचार किया गया लेकिन अधिकारियों ने सुध नहीं ली. स्कूल के जर्जर होने और स्कूल के प्लास्टर झड़ने की शिकायत फिर से विभाग को की जाएगी. उन्होंने बताया कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ही नहीं यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों में भी खौफ है. खासकर बारिश के दिनों में परेशानियां बढ़ जाती है, बावजूद इस स्कूल में पठन पाठन हो रहा है. प्रिंसिपल ने बताया कि एक बार प्रयास किया गया था लेकिन जमीन विवाद के कारण स्कूल बिल्डिंग का नवनिर्माण नहीं हो सका.

इसे भी पढ़ें- खूंटी ग्रामीण विकास की बिल्डिंग की जर्जर हालत, जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर हैं कर्मचारी - Khunti Rural Development building

इसे भी पढे़ं- धनबाद में कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा, हीरापुर पार्क मार्केट का दो मंजिला भवन बेहद जर्जर - dilapidated building in Hirapur

इसे भी पढ़ें- भारी बारिश के बाद भरभरा कर गिरी जर्जर भवन की सीढ़ी, प्रशासन की टीम ने फंसे लोगों को किया रेस्क्यू - Building Stair Collapsed

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यहां की स्थिति ऐसी विकट है कि भवन की छत टूटकर नीचे फर्श पर गिर रही है. इसके बावजूद छोटे-छोटे बच्चे इसी छत के नीचे डर के बीच बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. स्कूल में पढ़ने वाले 143 आदिवासी बच्चे डरे सहमे रहते हैं. स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक भी डर के साये में बच्चो को पढ़ाते हैं. शिक्षकों को भी डर है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए लेकिन कोई सुनने वाला नहीं.

राजधानी से सटे खूंटी के फूदी पंचायत सचिवालय से महज चंद कदमों की दूरी पर राजकीयकृत मध्य विद्यालय है और यह 1954 से संचालित हो रहा है. 70 साल पहले बने खपरैल स्कूल भवन में छोटे छोटे बच्चे पढ़ते हैं जबकि उसके बगल में बने स्कूल बिल्डिंग भी जर्जर अवस्था में है और उसी जर्जर बिल्डिंग में बच्चे जान हथेली में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं. बारिश के मौसम में छत का प्लास्टर गिरने और पानी के टपकने से बचने के लिए विद्यार्थी अपने अपने कॉपी, किताब, बैग समेत उठा लेते हैं. एक ही क्लास में दो तीन क्लास के बच्चों को एकसाथ रखने की मजबूरी शिक्षकों की होती है. स्कूली बच्चों के साथ साथ शिक्षक भी डरे सहमे नजर आते हैं. एक शिक्षक ने बताया कि विद्यालय परिसर की बाउंड्री भी नहीं है, साथ ही विद्यालय में कई वर्षों से डेस्क बेंच की खरीददारी भी नहीं की गई है. विद्यालय के कमरे में बारिश में जलजमाव होना रूटीन सा बन गया है.

स्कूल के प्रिंसिपल जुबीलान गुड़िया ने बताया कि स्कूल की दुर्दशा को लेकर कई बार पत्रचार किया गया लेकिन अधिकारियों ने सुध नहीं ली. स्कूल के जर्जर होने और स्कूल के प्लास्टर झड़ने की शिकायत फिर से विभाग को की जाएगी. उन्होंने बताया कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ही नहीं यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों में भी खौफ है. खासकर बारिश के दिनों में परेशानियां बढ़ जाती है, बावजूद इस स्कूल में पठन पाठन हो रहा है. प्रिंसिपल ने बताया कि एक बार प्रयास किया गया था लेकिन जमीन विवाद के कारण स्कूल बिल्डिंग का नवनिर्माण नहीं हो सका.

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