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कपास में अलवर बना अव्वल, अच्छी गुणवत्ता के चलते यूरोपीय देशों में बढ़ी मांग - COTTON PRODUCTION IN ALWAR

अलवर की मंडी में बड़ी मात्रा में किसान कपास लेकर पहुंच रहे हैं, जिसकी मांग विदेशों तक है और अच्छे दाम भी मिल रहे हैं.

COTTON PRODUCTION IN ALWAR
अलवर में कपास की खेती (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 16, 2024, 7:06 PM IST

अलवर : कृषि उपज मंडी अलवर बीते चार सालों में कपास का हब बनकर उभर रही है. इससे पहले किसानों का रुख खैरथल कृषि उपज मंडी की तरफ रहता था. इन दिनों अलवर कृषि उपज मंडी में बड़ी संख्या में किसान अपने कपास को लेकर पहुंच रहे हैं. इस साल किसानों को कपास का अच्छा दाम भी मिल रहा है, जिसके चलते रोजाना करीब 2500 हजार पोट (पोटली) अलवर कृषि उपज मंडी में पहुंच रही हैं.

अलवर में होने वाली कपास की अच्छी गुणवत्ता होने के चलते इसकी मांग यूरोपीय देशों में अधिक रहती है. बीते कई सालों तक बांग्लादेश में बड़ी मात्रा में अलवर की कपास जाती रही है, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के चलते वर्तमान में कपास बांग्लादेश नहीं जा रही है. कृषि मंडी अध्यक्ष ने बताया कि अलवर की कपास आस-पास की मीलों तक पहुंचती है, इनके माध्यम से वह विदेशों तक जाती है.

कपास में अलवर बना अव्वल (ETV Bharat Alwar)

इसे भी पढ़ें- अलवर मंडी में कपास की आवक शुरू, किसानों को फिर भी नहीं मिल रहे दाम

मंडी में कपास की अच्छी आवक : अलवर कृषि मंडी अध्यक्ष सुरेश जलालपुरिया ने बताया कि अलवर कृषि उपज मंडी में पिछले कई दिनों से करीब 2500 पोट कपास की आवक है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष बीते वर्ष की तुलना में कपास की गुणवत्ता अच्छी है. सुरेश जलालपुरिया का कहना है कि अलवर कृषि उपज मंडी में प्रतिदिन नीलामी प्रक्रिया का होना व आढ़तियों द्वारा समय पर भुगतान करना सहित अन्य कई व्यवस्थाओं के चलते अलवर कृषि उपज मंडी में कपास की आवक अन्य मंडियों की अपेक्षा अच्छी है.

अलवर मंडी में वर्तमान में कपास के दाम 7500-7700 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से मिल रहे हैं. इस कारण किसान अलवर मंडी में अपनी कपास को लाने के इच्छुक हैं. सुरेश जलालपुरिया ने बताया कि बीते कई वर्षों तक खैरथल कृषि उपज मंडी में कपास का केंद्र था, लेकिन बीते 4 सालों में अलवर कृषि उपज मंडी कपास का हब बनकर उभरी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में बड़ौदामेव, गोविंदगढ़, खैरथल सहित अन्य मंडियों की तुलना में अलवर कृषि उपज मंडी में भी कपास की अच्छी आवक है.

अलवर में कपास की खेती
अलवर में कपास की रकबा (ETV Bharat GFX)

इसे भी पढ़ें- प्याज-सरसों के बाद कपास बन रही अलवर की नई पहचान, प्रतिदिन देश भर में हो रही सप्लाई

विदेशों तक पहुंच रही है कपास : सुरेश जलालपुरिया ने बताया कि अलवर की कपास, खैरथल, बहरोड़, कोटपूतली सहित अन्य 25 से ज्यादा मीलों पर पहुंचती है. उन्होंने बताया कि अलवर की कपास से मिलने वाली रुई पंजाब, हरियाणा, गुजरात व भीलवाड़ा तक पहुंचती है. यहां से रुई से धागा बनाया जाता है, जिनकी डिमांड फ्रांस, डेनमार्क व पोलैंड सहित अन्य यूरोपीय देशों तक है. वहां इससे प्रीमियम क्वालिटी का कपड़ा तैयार होता है. उन्होंने बताया कि पहले बांग्लादेश में भी अलवर की कपास पहुंचती थी, लेकिन वर्तमान में राजनीतिक अस्थिरता के चलते कपास नहीं पहुंच पा रही है.

अलवर जिले के ढाढोली गांव के किसान जगदीश ने बताया कि इस बार अलवर मंडी में कपास के भाव अच्छे मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे करीब 400 किलो कपास लेकर आए हैं. किसान ने बताया कि एक बीघा में करीब 6 हजार रुपए की लागत आती है और 7 क्विंटल तक कपास की पैदावार मिलती है. कृषि विभाग के सहायक निदेशक अरविंद ने बताया कि 2024 में अलवर जिले में कपास की बुवाई 17,079 हेक्टेयर में की गई. पिछले वर्ष 2023 में यह रकबा 22,314 हैकटेयर था.

अलवर : कृषि उपज मंडी अलवर बीते चार सालों में कपास का हब बनकर उभर रही है. इससे पहले किसानों का रुख खैरथल कृषि उपज मंडी की तरफ रहता था. इन दिनों अलवर कृषि उपज मंडी में बड़ी संख्या में किसान अपने कपास को लेकर पहुंच रहे हैं. इस साल किसानों को कपास का अच्छा दाम भी मिल रहा है, जिसके चलते रोजाना करीब 2500 हजार पोट (पोटली) अलवर कृषि उपज मंडी में पहुंच रही हैं.

अलवर में होने वाली कपास की अच्छी गुणवत्ता होने के चलते इसकी मांग यूरोपीय देशों में अधिक रहती है. बीते कई सालों तक बांग्लादेश में बड़ी मात्रा में अलवर की कपास जाती रही है, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के चलते वर्तमान में कपास बांग्लादेश नहीं जा रही है. कृषि मंडी अध्यक्ष ने बताया कि अलवर की कपास आस-पास की मीलों तक पहुंचती है, इनके माध्यम से वह विदेशों तक जाती है.

कपास में अलवर बना अव्वल (ETV Bharat Alwar)

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मंडी में कपास की अच्छी आवक : अलवर कृषि मंडी अध्यक्ष सुरेश जलालपुरिया ने बताया कि अलवर कृषि उपज मंडी में पिछले कई दिनों से करीब 2500 पोट कपास की आवक है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष बीते वर्ष की तुलना में कपास की गुणवत्ता अच्छी है. सुरेश जलालपुरिया का कहना है कि अलवर कृषि उपज मंडी में प्रतिदिन नीलामी प्रक्रिया का होना व आढ़तियों द्वारा समय पर भुगतान करना सहित अन्य कई व्यवस्थाओं के चलते अलवर कृषि उपज मंडी में कपास की आवक अन्य मंडियों की अपेक्षा अच्छी है.

अलवर मंडी में वर्तमान में कपास के दाम 7500-7700 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से मिल रहे हैं. इस कारण किसान अलवर मंडी में अपनी कपास को लाने के इच्छुक हैं. सुरेश जलालपुरिया ने बताया कि बीते कई वर्षों तक खैरथल कृषि उपज मंडी में कपास का केंद्र था, लेकिन बीते 4 सालों में अलवर कृषि उपज मंडी कपास का हब बनकर उभरी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में बड़ौदामेव, गोविंदगढ़, खैरथल सहित अन्य मंडियों की तुलना में अलवर कृषि उपज मंडी में भी कपास की अच्छी आवक है.

अलवर में कपास की खेती
अलवर में कपास की रकबा (ETV Bharat GFX)

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विदेशों तक पहुंच रही है कपास : सुरेश जलालपुरिया ने बताया कि अलवर की कपास, खैरथल, बहरोड़, कोटपूतली सहित अन्य 25 से ज्यादा मीलों पर पहुंचती है. उन्होंने बताया कि अलवर की कपास से मिलने वाली रुई पंजाब, हरियाणा, गुजरात व भीलवाड़ा तक पहुंचती है. यहां से रुई से धागा बनाया जाता है, जिनकी डिमांड फ्रांस, डेनमार्क व पोलैंड सहित अन्य यूरोपीय देशों तक है. वहां इससे प्रीमियम क्वालिटी का कपड़ा तैयार होता है. उन्होंने बताया कि पहले बांग्लादेश में भी अलवर की कपास पहुंचती थी, लेकिन वर्तमान में राजनीतिक अस्थिरता के चलते कपास नहीं पहुंच पा रही है.

अलवर जिले के ढाढोली गांव के किसान जगदीश ने बताया कि इस बार अलवर मंडी में कपास के भाव अच्छे मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे करीब 400 किलो कपास लेकर आए हैं. किसान ने बताया कि एक बीघा में करीब 6 हजार रुपए की लागत आती है और 7 क्विंटल तक कपास की पैदावार मिलती है. कृषि विभाग के सहायक निदेशक अरविंद ने बताया कि 2024 में अलवर जिले में कपास की बुवाई 17,079 हेक्टेयर में की गई. पिछले वर्ष 2023 में यह रकबा 22,314 हैकटेयर था.

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