गाजीपुर: जिले का केंद्रीय विद्यालय एक टीन शेड में बने गोदाम में संचालित हो रहा है. यहां गर्मी और उमस से बच्चों को परेशान होना पड़ता है. विद्यालय के लिए निजी भवन की मांग कई बार की गई लेकिन अभी तक विद्यालय को भवन नहीं मिल सका है.
इस बारे में प्रधानाचार्य विनीता सिंह ने बताया कि केंद्रीय विद्यालय की कक्षाएं टीन शेड में चल रही हैं. इससे वह अत्यधिक गर्म हो जाता है. बच्चों के लिए क्लास में 6 घंटा बैठना काफी मुश्किल हो रहा है. यदि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है, तो विद्यालय का निजी भवन का होना बेहद जरूरी है. वही नई शिक्षा नीति के तहत पठन-पाठन चला पाना काफी मुश्किल हो रहा है.
ब्रिटिश शासन काल हुआ करती थी ओपियम फैक्ट्री: गाजीपुर के ओपियम फैक्ट्री में 1986 से यह केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहा है. ब्रिटिश शासन काल में यह ओपियम फैक्ट्री का गोदाम हुआ करता था. इस गोदाम की बिल्डिंग में केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहा है. इस विद्यालय की स्पॉन्सरिंग एजेंसी ओपियम फैक्ट्री की है. ओपियम फैक्ट्री के जनरल मैनेजर केंद्रीय विद्यालय के प्रबंध समिति के अध्यक्ष हुआ करते थे.
गाजीपुर केंद्रीय विद्यालय के लिए ओपियम फैक्ट्री के बाहर साईं मंदिर के पास 5.96 एकड़ जमीन ली गई थी. उसका भूमि पूजन भी किया गया था लेकिन, बाद में कंस्ट्रक्शन नहीं कराया जा सका. उसे मानक विहीन बताकर निरस्त कर दिया गया है. प्रधानाचार्य विनीता सिंह ने बताया, कि इसको लेकर ऊपर के अधिकारियों से बातचीत चल रही है. जल्द ही इस समस्या का स्थाई समाधान निकलेगा. इस अस्थाई बिल्डिंग में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में कई प्रकार के दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
मिट्टी की भराई के लिए अत्यधिक खर्च: प्रधानाचार्य विनीता सिंह ने बताया, इस दिशा में काम करने का प्रयास किया जा रहा है. डिपार्टमेंट भी लगा हुआ है. जल्द ही इस समस्या का समाधान होने की संभावना है. केंद्रीय विद्यालय के लिए ला गई जमीन को लेकर जब प्रधानाचार्य ने पत्राचार किया, तो रिपोर्ट में पता चला कि लो लैंड एरिया होने की वजह से करीब तीन करोड़ केवल मिट्टी की भराई का खर्च आएगा. मिट्टी की भराई के लिए अत्यधिक खर्च आने पर विद्यालय का निर्माण शुरू नहीं किया जा सकता.
एमएलसी ने जमीन दिलाने का दिया भरोसा: एमएलसी विशाल सिंह चंचल ने विद्यालय प्रशासन को भरोसा दिलाया है कि वह इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात करेंगे और केंद्रीय विद्यालय के लिए स्थाई जमीन दिलाने का प्रयास करेंगे. वही बारिश के मौसम में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. तीन सेट में विद्यालय संचालित होने की वजह से बारिश के मौसम में पानी भी टपकने लगता है, जिससे पढ़ाई बाधित होती है.
विद्यालय को मिलता है फिटनेस प्रमाण पत्र: प्रधानाचार्य ने एक और चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया, कि फैक्ट्री के द्वारा विद्यालय का फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है लेकिन जो भवन की आयु है वह पूरा हो चुकी है लेकिन, अब सवाल यह उठता है कि इतनी जर्जर और पुरानी बिल्डिंग को अफीम फैक्ट्री किस आधार पर फिटनेस जारी होता है. यह अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है. विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है. इसको लेकर प्रधानाचार्य भी काफी चिंतित हैं. केंद्रीय विद्यालय के व्यवस्था से प्रधानाचार्य भी काफी असंतुष्ट हैं.
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