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बागवानों को सस्ते रेट पर मिलेंगे खाद और कीटनाशक, HPMC ने लाभ मार्जिन 15 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी किया - fertilizers and pesticides price

हिमाचल प्रदेश में बागवानों की आर्थिक सेहत सुधारने के सरकार ने खाद और कीटनाशकों के दाम कम कर दिए हैं.

सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश
सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 6, 2024, 6:03 PM IST

शिमला: हिमाचल में सेब और अन्य फलों की पैदावार से बागवानों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए सरकार ने एक और पहल की है. बागवानों को फल उत्पादन से अधिक कमाई हो इसके लिए सरकार ने बगीचों में डाली जाने वाली खाद, फूल और फलों को कीड़ों से बचाने के लिए पौधों में किए जाने वाले कीटनाशक छिड़काव के रेट कम किए हैं.

इसके लिए एचपीएमसी ने अपने लाभ मार्जिन को 15 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी किया है. ऐसे में अब बागवानों को सस्ते रेट पर खाद और कीटनाशक उपलब्ध होंगे. वहीं, सरकार ने बागवानों को खराब हुए सेब से लाभ पहुंचाने के लिए तीन संयंत्रों के माध्यम से 1,545 मीट्रिक टन सेब जूस कंसन्ट्रेट का प्रसंस्करण किया है जो एक रिकॉर्ड है.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा शिमला जिला के पराला संयंत्र से 814 मीट्रिक टन, सोलन जिला के परवाणु संयंत्र से 653 मीट्रिक टन और मंडी जिला के जरोल संयंत्र से 78 मीट्रिक टन सेब जूस कंसंट्रेट का प्रसंस्करण किया गया है.

एमआईएस के तहत खरीदे 29,200 मीट्रिक टन सेब

सीएम सुक्खू ने कहा है कि एचपीएमसी द्वारा खरीदे गए करीब सभी सेबों का सर्वोत्तम उपयोग किया जा रहा है और बहुत कम मात्रा में फलों को नीलामी के माध्यम से बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि खरीद मानकों की अनुपालना करते हुए इस सीजन में खरीदे गए 92 फीसदी सेबों का प्रसंस्करण किया जा रहा है.

इस साल एमआईएस के तहत प्रदेश में कुल 29,200 मीट्रिक टन सेब खरीदे गए हैं. इसमें से एचपीएमसी के 206 खरीद केंद्रों के माध्यम से 19,437 मीट्रिक टन, हिमफैड के 109 केंद्रों में 9,764 मीट्रिक टन सेब खरीदे गए हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल में सेब का सीजन जारी है और मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत सेब खरीदे जा रहे हैं.

इससे प्रसंस्करण में और बढ़ोतरी होने की संभावना है. एमआईएस के तहत सेब खरीद की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास में एचपीएमसी ने क्रेटों का उपयोग करके किसानों से 1,219 मीट्रिक टन सेब की खरीद की है. पहली बार चंबा जिले के दूरदराज के क्षेत्र पांगी में भी सेब की खरीद शुरू हो गई है.

किन्नौर में स्थापित होगा जियोथर्मल कोल्ड स्टोर

मुख्यमंत्री ने कहा कि एचपीएमसी ने एमआईएस में सुधार के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है. इसके माध्यम से खरीद की प्रक्रिया अब ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से की जाती है. इसमें खरीद, परिवहन, प्रसंस्करण संयंत्रों में फलों की नीलामी, सीए स्टोर की बुकिंग और सीधे बैंक हस्तांतरण लिंकेज के आंकड़े उपलब्ध होते हैं.

इससे सेब उत्पादकों को पारदर्शी तरीके से सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने सीए स्टोर के लिए किराया शुल्क भी 1.90 रुपये से घटाकर 1.60 रुपये प्रति किलोग्राम किया है.

वहीं, सरकार किन्नौर जिला के टापरी में जियोथर्मल कोल्ड स्टोर बनाने की योजना बना रही है. एचपीएमसी ने अपनी प्रसंस्करण क्षमता में बढ़ोतरी की है. बीते वर्ष की 21,000 मीट्रिक टन की तुलना में क्रसिंग क्षमता में इस साल 39,000 मीट्रिक टन की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

इसके अलावा ग्रेडिंग और पैकेजिंग क्षमता 15,900 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 33,900 मीट्रिक टन हो गई है. पराला और जरोल की वाइन इकाइयों की संयुक्त वार्षिक क्षमता 1.50 लाख लीटर है. पराला में एक नई सिरका इकाई की वार्षिक क्षमता 50,000 लीटर है.

वहीं, पराला में एक नई पेक्टिन इकाई प्रतिदिन 1.2 मीट्रिक टन उत्पादन कर सकती है और रेडी टू सर्व जूस इकाई की दैनिक क्षमता 20,000 लीटर है. मुख्यमंत्री ने कहा कि एचपीएमसी देश में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए भारतीय वितरकों को शामिल कर रही है.

ये भी पढ़ें: अब सुखविंदर सरकार को पेंशनर्स के भुगतान की टेंशन , नौ अक्टूबर को 800 करोड़ का करना है इंतजाम

शिमला: हिमाचल में सेब और अन्य फलों की पैदावार से बागवानों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए सरकार ने एक और पहल की है. बागवानों को फल उत्पादन से अधिक कमाई हो इसके लिए सरकार ने बगीचों में डाली जाने वाली खाद, फूल और फलों को कीड़ों से बचाने के लिए पौधों में किए जाने वाले कीटनाशक छिड़काव के रेट कम किए हैं.

इसके लिए एचपीएमसी ने अपने लाभ मार्जिन को 15 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी किया है. ऐसे में अब बागवानों को सस्ते रेट पर खाद और कीटनाशक उपलब्ध होंगे. वहीं, सरकार ने बागवानों को खराब हुए सेब से लाभ पहुंचाने के लिए तीन संयंत्रों के माध्यम से 1,545 मीट्रिक टन सेब जूस कंसन्ट्रेट का प्रसंस्करण किया है जो एक रिकॉर्ड है.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा शिमला जिला के पराला संयंत्र से 814 मीट्रिक टन, सोलन जिला के परवाणु संयंत्र से 653 मीट्रिक टन और मंडी जिला के जरोल संयंत्र से 78 मीट्रिक टन सेब जूस कंसंट्रेट का प्रसंस्करण किया गया है.

एमआईएस के तहत खरीदे 29,200 मीट्रिक टन सेब

सीएम सुक्खू ने कहा है कि एचपीएमसी द्वारा खरीदे गए करीब सभी सेबों का सर्वोत्तम उपयोग किया जा रहा है और बहुत कम मात्रा में फलों को नीलामी के माध्यम से बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि खरीद मानकों की अनुपालना करते हुए इस सीजन में खरीदे गए 92 फीसदी सेबों का प्रसंस्करण किया जा रहा है.

इस साल एमआईएस के तहत प्रदेश में कुल 29,200 मीट्रिक टन सेब खरीदे गए हैं. इसमें से एचपीएमसी के 206 खरीद केंद्रों के माध्यम से 19,437 मीट्रिक टन, हिमफैड के 109 केंद्रों में 9,764 मीट्रिक टन सेब खरीदे गए हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल में सेब का सीजन जारी है और मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत सेब खरीदे जा रहे हैं.

इससे प्रसंस्करण में और बढ़ोतरी होने की संभावना है. एमआईएस के तहत सेब खरीद की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास में एचपीएमसी ने क्रेटों का उपयोग करके किसानों से 1,219 मीट्रिक टन सेब की खरीद की है. पहली बार चंबा जिले के दूरदराज के क्षेत्र पांगी में भी सेब की खरीद शुरू हो गई है.

किन्नौर में स्थापित होगा जियोथर्मल कोल्ड स्टोर

मुख्यमंत्री ने कहा कि एचपीएमसी ने एमआईएस में सुधार के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है. इसके माध्यम से खरीद की प्रक्रिया अब ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से की जाती है. इसमें खरीद, परिवहन, प्रसंस्करण संयंत्रों में फलों की नीलामी, सीए स्टोर की बुकिंग और सीधे बैंक हस्तांतरण लिंकेज के आंकड़े उपलब्ध होते हैं.

इससे सेब उत्पादकों को पारदर्शी तरीके से सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने सीए स्टोर के लिए किराया शुल्क भी 1.90 रुपये से घटाकर 1.60 रुपये प्रति किलोग्राम किया है.

वहीं, सरकार किन्नौर जिला के टापरी में जियोथर्मल कोल्ड स्टोर बनाने की योजना बना रही है. एचपीएमसी ने अपनी प्रसंस्करण क्षमता में बढ़ोतरी की है. बीते वर्ष की 21,000 मीट्रिक टन की तुलना में क्रसिंग क्षमता में इस साल 39,000 मीट्रिक टन की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

इसके अलावा ग्रेडिंग और पैकेजिंग क्षमता 15,900 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 33,900 मीट्रिक टन हो गई है. पराला और जरोल की वाइन इकाइयों की संयुक्त वार्षिक क्षमता 1.50 लाख लीटर है. पराला में एक नई सिरका इकाई की वार्षिक क्षमता 50,000 लीटर है.

वहीं, पराला में एक नई पेक्टिन इकाई प्रतिदिन 1.2 मीट्रिक टन उत्पादन कर सकती है और रेडी टू सर्व जूस इकाई की दैनिक क्षमता 20,000 लीटर है. मुख्यमंत्री ने कहा कि एचपीएमसी देश में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए भारतीय वितरकों को शामिल कर रही है.

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