पटना: बिहार में करोड़ों युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों के पेपर लीक होना ऐसा दंश बन गया है, जिसके जहर का तोड़ कोई नहीं निकाल पा रहा है. पेपर लीक प्रकरण पर पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने चौंकने वाला खुलासा किया है. पेपर लीक में मंत्री और एक कोचिंग संचालक की भूमिका सबसे बड़ी है. बिना बारकोड का क्वेश्चन पेपर अभ्यार्थियों तक पहुंचा है. इससे स्पष्ट है कि बीपीएससी का कोई अधिकारी या कर्मचारी की मिलीभगत से हुई है.
50 से 100 करोड़ पर होती है डील: पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने पेपर लीक मामले में कहा कि ईओयू ने विशाल चौरसिया को गिरफ्तार किया है. उसके तार सिपाही बहाली प्रश्न पत्र लिक से भी जुड़े हुए हैं. विशाल जैसे लोग कोचिंग संस्थानों के लड़कों से संबंध जोड़ते हैं. प्रत्येक सीट का 10 से 12 लाख रुपए में सौदा करते हैं. जालसाज अपने भीतर 10 से 12 छोटे माफिया को जोड़ते हैं. ओरिजिनल क्वेश्चन देने के बदले 50 करोड़ अथवा 100 करोड़ की बोली लगती है.
जिलों में करते हैं कंसल्टेंसी: यही नहीं गिरोह के सदस्य छोटे-छोटे जिलों में जाकर कंसल्टेंसी करने वाले लड़के अथवा शिक्षा के क्षेत्र में छोटे-मोटे इधर-उधर का काम करने वाले लड़कों को जोड़ते हैं. यह लड़के अभ्यर्थियों को पास कराने के लिए विश्वास में लेते हैं और फिर अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड या कोई ओरिजिनल डॉक्यूमेंट गिरवी रख लेते हैं. आधे पैसे काम से पहले लेते हैं और आधे पैसे काम के बाद लिया जाता है.
"बिना बारकोड का क्वेश्चन पेपर अभ्यार्थियों तक पहुंचने का मतलब स्पष्ट है बीपीएससी का कोई अधिकारी या कर्मचारी की मिलीभगत है. पेपर लीक में टॉप मास्टरमाइंड मंत्री हैं. दूसरे नंबर पर बीपीएससी के अधिकारी और कोचिंग संचालक है. बीपीएससी और कोचिंग संचालक की मदद से प्रिंटिंग प्रेस वाले को फेवर में लेकर क्वेश्चन लीक किया गया है." -अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी
एक कैंडिडेट से लेते हैं 10 लाख : अमिताभ दास ने बताया कि 266 कैंडिडेट तो पकड़े गए हैं, लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि हजारीबाग में 313 लोगों को बस में बैठाया गया और 276 लोग ही पटना पहुंच पाए. नेता, मंत्री, अधिकारी के रिश्तेदार बीच रास्ते में ही उतर गए होंगे. एक अभ्यर्थी से यदि 10 लाख रुपया लिया जा रहा है और कम से कम 10,000 सीटों का भी सौदा हुआ. यह सीधे 1000 करोड़ रुपए का खेल बन रहा है.
ईओयू पर जांच रोकने का दबाव: अमिताभ दास ने बताया कि उन्हें विश्वास है कि अब ईओयू पर भी जांच रोकने के लिए दबाव बन रहा है. जितने साक्ष्य ईओयू के पास हैं, उसके अनुसार ईओयू को बीपीएससी कार्यालय में जाकर छापेमारी करते हुए जांच शुरू कर देनी चाहिए थी. जितने सबूत हैं स्पष्ट है कि बीपीएससी की मिली भगत है. बावजूद अब आयोग को समय दिया जा रहा है कि सबूत से छेड़छाड़ कर दे.
आयोग परीक्षा रद्द करने की नहीं जुटा पा रहा हिम्मत: ईओयू के पास जानकारी है कि गिरफ्तार 250 से अधिक अभ्यर्थियों में पटना के कोचिंग संस्थान के डेढ़ सौ से अधिक छात्र शामिल हैं. साक्ष्य के आधार पर परीक्षा रद्द हो सकता है, लेकिन लेवल 1 और लेवल 2 के मास्टरमाइंड नहीं पकड़े जाएंगे. लेवल 1 और लेवल 2 के लोग लेवल 3 के माफियाओं को बेल कराने के लिए लग जाएंगे. आयोग और सरकार की मिली भगत से बड़े पैमाने पर पैसे का खेल हुआ है जिसके कारण आयोग परीक्षा रद्द करने की हिम्मत नहीं कर पा रही.
विशाल जेल में रहकर कराता था पेपर लीक: विशाल शिक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक कांड का मुख्य सरगना है. विशाल को बालेश्वर पुलिस ने जुलाई 2023 में पटना से गिरफ्तार किया था. विशाल ग्रामीण कार्य विभाग में अकाउंटेंट के पद पर था. जिसके बाद उसे सस्पेंड कर दिया गया. विशाल जेल में रहते हुए भी कई पेपर लीक कांड में संलिप्त रहा. जेल से ही उसने प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले कर्मियों के साथ मिलकर बिहार पुलिस की सिपाही भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक कराया था.
पेपर लीक में 266 आरोपी गिरफ्तार: पेपर लीक करने वाले शिक्षक माफिया के सिस्टम में विशाल तीसरे दर्जे का शिक्षा माफिया है. जिसके भीतर दर्जनों शिक्षा माफिया काम करते हैं. पेपर लीक के मामले में पुलिस ने अब तक 266 को गिरफ्तार किया है और 276 अभ्यार्थियों और परीक्षा माफियाओं पर केस दर्ज किया है.
50 करोड़ से अधिक की डील: ईओयू को अभी भी विशाल जैसे ही हिमांशु, जितेंद्र, संजीव, डब्लू मुखिया, सुचिंद्र और अजय की तलाश है. ईओयू को विशाल की कार से बिना बारकोड के प्रश्न पत्र मिले हैं. पूछताछ में उसने बताया है कि 500 से अधिक अभ्यर्थियों से डील हुई थी और यह 50 करोड़ से अधिक की डील थी. ऐसे में विशाल जैसे यदि 10 है तो पेपर लीक का पूरा रैकेट 500 करोड़ से अधिक है.
"कठिन तपस्या करते हुए वह परीक्षा की तैयारी करते हैं, लेकिन चंद माफिया आते हैं जो पैसों से उनके सपने खरीद ले जाते हैं. परीक्षा अच्छी दे गई थी और परीक्षा देकर निकले तो पता चला पेपर लीक हो गया है. जिसके बाद से वह निराश हैं. हम चाहते हैं कि परीक्षा रद्द होनी चाहिए." -अंकित कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी
"बिहार में सिस्टम से भरोसा उठ चुका है. आखिरी उम्मीद है कि नीतीश कुमार परीक्षा को रद्द करवाएंगे और नहीं करेंगे तो बिहार छोड़कर दूसरे प्रदेश में प्राइवेट कंपनी में कमाने चले जाएंगे. परीक्षा की तैयारी के लिए बीते 4 महीने से वह घर नहीं गए हैं. होम ट्यूशन पढ़ाकर पढ़ाई का खर्च निकालते हैं. परीक्षा देने के बाद पेपर लीक होने से गहरा आघात लगात है." - आदित्य कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी
"परीक्षा अच्छी गई थी, नाते रिश्तेदार शादी और अन्य फंक्शन को भूलकर परीक्षा की तैयारी में लग गए थे. परीक्षा भी इस बार अच्छी गई थी. जब परीक्षा देकर निकले थे तो काफी खुश थे, लेकिन घर आए तो पता चला पेपर लीक हो गया है. जिसके बाद से अब उन्हें ना नींद आ रही है ना कोई काम करने में मन लग रहा है." - सुमन कुमार, अभ्यर्थी
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