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वन विभाग ने दीपावली पर उल्लू की बढ़ाई निगरानी, तस्करों पर रखी जा रही पैनी नजर

दीपावली में उत्तराखंड के जंगलों में उल्लू की तस्करी बढ़ जाती है. जिसे रोकने के लिए वन विभाग ने जंगलों में गश्त बढ़ा दी है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 4 hours ago

Forest department workers patrolling
गश्त करते वन विभाग के कर्मी (Photo-ETV Bharat)

विकासनगर: सर्दियों और दीपावली पर्व पर वन्यजीव तस्कर भी सक्रिय हो जाते हैं. जिसको देखते हुए वन विभाग ने भी कमर कस ली है.आरक्षित वन क्षेत्रों में वन्य जीवों के शिकार के खतरे को देखते हुए वन विभाग की टीम ने गश्त बढ़ा दी है. साथ ही संभावित इलाकों में गश्त की जा रही है.

उत्तराखंड में सर्दियों के मौसम में वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं आम तौर पर सामने आती रहती हैं.हालांकि शिकारियों की कई वारदातें वन महकमें की सक्रियता के चलते नाकाम हो जाती हैं. वन विभाग की चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं सामने आने से वन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो जाते हैं. खासकर त्यौहारी सीजन दीपावली के मौके पर माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू की तस्करी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

वन्यजीव तस्करी रोकने के लिए वन विभाग ने बढ़ाई गश्त (Video-ETV Bharat)

माना जाता है कि दीपावली के मौके पर उल्लू की पूजा से मां ल्क्षमी का आर्शीवाद बना रहता है. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस दौरान उल्लू के अंगों का तंत्र विधा में उपयोग होता है.जिस कारण से उल्लू की कीमत लाखों रूपए तक पहुंच जाती है. जिसके कारण शिकारी आरक्षित वन क्षेत्रों का रूख करते हैं .जिसको देखते हुए वन विभाग लगातार वन क्षेत्र जगंलों में गश्त कर रहा है.कालसी वन प्रभाग की टिमली रेंज तीन राज्यों की सीमा लगी हुई है.

वन विभाग की सीमाओं पर कर्मियों की मुस्तैदी बढ़ा दी गई है. कालसी वन प्रभाग टिमली रेंज के वन रेंजर मुकेश कुमार ने कहा कि सर्दियों के शुरूआत में ही शिकार की घटनाएं बढ जाती है. कुछ दिनों पश्चात ही दिवाली का पर्व भी है. अंधविश्वास के चलते उल्लू की तस्करी की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इसके लिए संपूर्ण क्षेत्र में सघन चेकिंग अभियान चलाए गया है, ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा ठीक प्रकार से कर सके.
पढ़ें-आतंक का पर्याय बने गुलदार को किया ट्रेंकुलाइज, 3 साल की मासूम को बनाया था निवाला

विकासनगर: सर्दियों और दीपावली पर्व पर वन्यजीव तस्कर भी सक्रिय हो जाते हैं. जिसको देखते हुए वन विभाग ने भी कमर कस ली है.आरक्षित वन क्षेत्रों में वन्य जीवों के शिकार के खतरे को देखते हुए वन विभाग की टीम ने गश्त बढ़ा दी है. साथ ही संभावित इलाकों में गश्त की जा रही है.

उत्तराखंड में सर्दियों के मौसम में वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं आम तौर पर सामने आती रहती हैं.हालांकि शिकारियों की कई वारदातें वन महकमें की सक्रियता के चलते नाकाम हो जाती हैं. वन विभाग की चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं सामने आने से वन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो जाते हैं. खासकर त्यौहारी सीजन दीपावली के मौके पर माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू की तस्करी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

वन्यजीव तस्करी रोकने के लिए वन विभाग ने बढ़ाई गश्त (Video-ETV Bharat)

माना जाता है कि दीपावली के मौके पर उल्लू की पूजा से मां ल्क्षमी का आर्शीवाद बना रहता है. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस दौरान उल्लू के अंगों का तंत्र विधा में उपयोग होता है.जिस कारण से उल्लू की कीमत लाखों रूपए तक पहुंच जाती है. जिसके कारण शिकारी आरक्षित वन क्षेत्रों का रूख करते हैं .जिसको देखते हुए वन विभाग लगातार वन क्षेत्र जगंलों में गश्त कर रहा है.कालसी वन प्रभाग की टिमली रेंज तीन राज्यों की सीमा लगी हुई है.

वन विभाग की सीमाओं पर कर्मियों की मुस्तैदी बढ़ा दी गई है. कालसी वन प्रभाग टिमली रेंज के वन रेंजर मुकेश कुमार ने कहा कि सर्दियों के शुरूआत में ही शिकार की घटनाएं बढ जाती है. कुछ दिनों पश्चात ही दिवाली का पर्व भी है. अंधविश्वास के चलते उल्लू की तस्करी की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इसके लिए संपूर्ण क्षेत्र में सघन चेकिंग अभियान चलाए गया है, ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा ठीक प्रकार से कर सके.
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