देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में वन क्षेत्राधिकारी संघ के अध्यक्ष विनोद चौहान के खिलाफ कार्रवाई के आदेश किए गए हैं. विभाग के मुखिया धनंजय मोहन ने इस संदर्भ में आदेश जारी करते हुए पांच वेतन वृद्धि रोके जाने का दंडादेश जारी किया है.
उत्तराखंड वन विभाग में करीब दो साल पुराने मामले पर अब जाकर कार्रवाई के आदेश हुए हैं. खास बात यह है कि जिस वन क्षेत्राधिकारी पर ये कार्रवाई करने का पत्र जारी हुआ है, वह उत्तराखंड वन क्षेत्राधिकारी संघ के अध्यक्ष विनोद चौहान हैं. मामला साल 2022 का है, जब उन पर सरकारी आदेशों का पालन नहीं करने का आरोप लगा था.
विनोद चौहान के जवाबों से संतुष्ट नहीं हुआ विभाग: दरअसल, जुलाई 2022 में विनोद चौहान का स्थानांतरण देहरादून से नैनीताल जनपद में किया गया था, लेकिन आरोप है कि उन्होंने तय समय खत्म होने के बाद भी नए कार्य स्थल पर ज्वाइनिंग नहीं ली, जिसके लिए साल 2022 में अगस्त के महीने उन्हें नोटिस भी जारी किया गया था. हालांकि इस मामले में कारण बताओं नोटिस जारी होने के बाद विनोद चौहान ने अपना जवाब देते हुए इसके लिए स्वास्थ्य कारणों को वजह बताया. लेकिन इस जवाब को वन विभाग द्वारा नहीं माना गया और संतोषजनक जवाब न मिलने का हवाला देते हुए 15 सितंबर 2022 को विनोद चौहान को चार्जशीट (आरोप पत्र) दे दिया गया.
आरोपों को किया था खारिज: वन क्षेत्राधिकार संघ के अध्यक्ष विनोद चौहान ने सभी आरोपों को खारिज किया था. इसके बाद मामले में जांच अधिकारी नामित किया गया. इसके लिए आईएफएस अधिकारी अभिलाषा सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था. मामले में अप्रैल 2023 में जांच अधिकारी ने जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की. जिसमें कहा गया कि तमाम बिंदुओं से स्पष्ट है कि विनोद चौहान को अस्थि से जुड़ी कोई समस्या नहीं है. इसमें चिकित्सा बोर्ड की मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया और सभी लगे आरोप सही पाए जाने की बात कही गई. हालांकि इस जांच रिपोर्ट को भी विनोद चौहान ने अस्वीकार किया.
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से मांगा परामर्श: इसके बाद शासन स्तर पर उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से क्षेत्राधिकारी विनोद चौहान के खिलाफ कार्रवाई के लिए परामर्श मांगा गया. जिस पर लोक सेवा आयोग ने अनुशासनिक कार्रवाही की सहमति दी. इसके बाद अब जाकर मामले में विनोद चौहान के खिलाफ आदेश जारी किया गया है, जिसमें उनपर संचयी प्रभाव के साथ पांच वेतन वृद्धि स्थाई रूप से रोके जाने का आदेश जारी किया गया है.
पांच सालों तक वेतन वृद्धि नहीं होगी: इसका अर्थ यह है कि अगले 5 सालों की वेतन वृद्धि अब वन क्षेत्राधिकारी विनोद चौहान को नहीं मिल पाएगी. इस मामले पर विनोद चौहान से भी बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनका नंबर स्विच ऑफ था. वैसे विभाग में विनोद चौहान के दूसरे कई मामले चल रहे हैं और वह इस मामले में अब कोर्ट की शरण ले सकते हैं.
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