जयपुर : नवरात्रि के साथ ही पूरे देश में गरबा और डांडिया रास के आयोजन शुरू हो जाते हैं. इस बार के त्योहारी सीजन की खास बात यह है कि राजस्थान आने वाले सैलानी भी इस आयोजन का हिस्सा बनने रहे हैं. यही वजह है कि जयपुर पर्यटन से जुड़े कारोबारी और होटल इन विदेशी सैलानियों के लिए बाकायदा ट्रेनिंग प्रोग्राम यानी बॉलीवुड डांस क्लासेस की ट्रेनिंग भी अपने पैकेज में शामिल कर रहे हैं. होटल कारोबारी पुष्पेंद्र के अनुसार वे होम स्टे की सुविधा अपने यहां ठहरने वाले सैलानियों को देते हैं. इस दौरान उनका मकसद होता है कि वे आने वाले पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा राजस्थानी और देसी संस्कृति से जोड़कर रख सकें.
पर्यटकों को लुभा रहे देसी रंग : इटली से आई पर्यटक वेरोनिका के अनुसार भ्रमण के साथ-साथ इस तरह की इवेंट्स में हिस्सा बनना काफी रोचक होता है. उनके लिए यह पहला अनुभव है, जहां इस तरह से महिला और पुरुष एक फ्यूजन डांस करते हैं. इसी के साथ उन्होंने बताया कि नवरात्रि की शुरुआत के मौके पर उन्होंने एक पूजा का हिस्सा बनकर भी आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किया था, जो कि उनके लिए जिंदगी भर यादगार रहेगा. एक और पर्यटक वेरोनिका ने भी अपना अनुभव ईटीवी के साथ साझा करते हुए कहा कि यह काफी यादगार मौका है. जब वह बॉलीवुड के गीतों पर डांस क्लास को एंजॉय कर रही हैं. उन्होंने भी कहा कि यहां आकर इस तरह की आयोजन का हिस्सा बनना उनकी प्लानिंग का भाग नहीं था, लेकिन वह इस तरह के आयोजन में शिरकत करके काफी खुश हैं. उन्होंने कहा कि हिंदी गीतों में शामिल होने वाली ऊर्जा और उसके रंग उन्हें काफी लुभाते हैं.
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पर्यटन में एक्सपीरिएंशियल टूरिज्म का बढ़ता चलन : पर्यटन विशेषज्ञ संजय कौशिक ने बताया कि अब कोरोना के बाद आ रहे सैलानी घूमने के साथ-साथ उस देश की संस्कृति को करीब से महसूस करना चाहते हैं. पर्यटन कारोबार की भाषा में इसे एक्सपीरियंशियल टूरिज्म नाम दिया गया है. उन्होंने बताया कि इस तरह के आयोजनों के साथ-साथ शाही परिवारों के साथ मिलना और देसी खान-पान यहां के लोगों के साथ बनाकर खाना भी इसमें शामिल है. उन्होंने कहा कि यही पर्यटक अपने देश में जाकर राजस्थान की संस्कृति का प्रचार-प्रसार करके यहां के ब्रांड एंबेसडर बनेंगे.
देसी अंदाज आ रहा रास : सैलानियों के डांस इंस्ट्रक्टर के मुताबिक आने वाले पर्यटक उनसे हिंदी बॉलीवुड गीतों पर डांस स्टेप सीखने की मांग रखते हैं. इस दौरान यहां की संस्कृति से जुड़े घूमर, भांगड़ा और डांडिया जैसे नृत्यों की खास मांग होती है. उनके मुताबिक गानों के सिलेक्शन के दौरान इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि जब भी पर्यटक अपने देश लौटे, तो एक बेहतर तजुर्बा उनके साथ हो, जिसे वह अपनों के बीच बांट सकें.