ETV Bharat / state

रेगिस्तान के विस्तार को रोकने के प्रयास देखने जोधपुर पहुंचे 15 देशों के वैज्ञानिक - WORK ON LAND DEGRADATION

आफरी द्वारा डेजर्टिफिकेशन और लैंड डिग्रेडेशन रोकने के कार्यों को देखने और सीखेने के लिए 15 देशों के वैज्ञानिक जोधपुर पहुंचे.

विदेशी वैज्ञानिक जोधपुर पहुंचे
विदेशी वैज्ञानिक जोधपुर पहुंचे (ETV Bharat Jodhpur)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 4 hours ago

जोधपुर : आफरी में डेजर्टिफिकेशन और लैंड डिग्रेडेशन रोकने के लिए किए गए कार्यों को देखने और सीखने के लिए विदेशी वैज्ञानिक जोधपुर आए हैं. अगले पांच दिनों तक वे क्षेत्र का भ्रमण करेंगे और आफरी में हुई रिसर्च के बारे में जानेंगे. इसके साथ ही, अपने देशों में इस विषय पर हो रहे प्रयासों और अनुसंधान पर अपने विचार साझा करेंगे.

भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.) के शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) के तत्वावधान में पांच दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में 15 देशों के प्रतिभागी शामिल हुए हैं. वे पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थलीकरण रोकने के लिए संस्थान द्वारा किए गए कार्यों को देखेंगे और अपने देशों में चल रहे अनुसंधान और प्रयासों से वाकिफ करवाएंगे.

डेजर्टिफिकेशन और लैंड डिग्रेडेशन (ETV Bharat Jodhpur)

इसे भी पढ़ें- डेजर्ट इकोसिस्टम को जानने जोधपुर में जुटे 13 राज्यों के वन सेवा अधिकारी

आफरी के निदेशक डॉ. तरुण कान्त ने बताया कि हमारे कार्यों के मॉडल के साथ-साथ फील्ड में किए गए काम दिखाने के लिए इन प्रतिभागियों को विजिट करवाई जाएगी. उन्होंने बताया कि इस ट्रेनिंग की शुरुआत भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद की महानिदेशक कंचन देवी की मौजूदगी में हुई. महानिदेशक ने बताया कि परिषद पूरे देश में आफरी जैसे नौ केंद्र संचालित कर रही है, जहां अलग-अलग प्रोजेक्ट चलते हैं. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम से इस समस्या से निपटने के लिए नए समाधान और तकनीकों पर काम किया जाएगा.

समस्या से ग्रसित देशों से आए वैज्ञानिक : डॉ. तरुण कान्त ने बताया कि दुनिया के कई देशों में मरुस्थलीकरण और लैंड डिग्रेडेशन बड़ी समस्या बन रही है. इसमें ऑस्ट्रेलिया, मंगोलिया, रवांडा, बोत्सवाना, कैमरून, अल्जीरिया, तुर्की, नेपाल, केन्या और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल हैं, जहां यह समस्या अलग-अलग रूपों में मौजूद है. निदेशक ने बताया कि इन 15 विभिन्न देशों के 19 प्रतिभागी इस प्रशिक्षण में हिस्सा ले रहे हैं. ये सभी प्रतिभागी खुद भी विभिन्न अनुसंधान कार्यों से जुड़े हैं और इस ज्वलंत समस्या पर काम कर रहे हैं.

लूणा खारावास की पहाड़ी दिखाएंगे : डॉ. तरुण कान्त ने बताया कि आफरी ने जोधपुर और पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थलीकरण रोकने के लिए वानिकी पर बहुत काम किया है और कई इलाकों को हरित बना दिया है. जोधपुर के समीप लूणा खारावास गांव की एक पहाड़ी, जिसे आफरी ने संरक्षित कर नया रूप दिया है, इस दल को दिखाने के लिए ले जाया जाएगा. वहां पर ओपन डिस्कशन भी आयोजित किया जाएगा.

जोधपुर : आफरी में डेजर्टिफिकेशन और लैंड डिग्रेडेशन रोकने के लिए किए गए कार्यों को देखने और सीखने के लिए विदेशी वैज्ञानिक जोधपुर आए हैं. अगले पांच दिनों तक वे क्षेत्र का भ्रमण करेंगे और आफरी में हुई रिसर्च के बारे में जानेंगे. इसके साथ ही, अपने देशों में इस विषय पर हो रहे प्रयासों और अनुसंधान पर अपने विचार साझा करेंगे.

भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.) के शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) के तत्वावधान में पांच दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में 15 देशों के प्रतिभागी शामिल हुए हैं. वे पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थलीकरण रोकने के लिए संस्थान द्वारा किए गए कार्यों को देखेंगे और अपने देशों में चल रहे अनुसंधान और प्रयासों से वाकिफ करवाएंगे.

डेजर्टिफिकेशन और लैंड डिग्रेडेशन (ETV Bharat Jodhpur)

इसे भी पढ़ें- डेजर्ट इकोसिस्टम को जानने जोधपुर में जुटे 13 राज्यों के वन सेवा अधिकारी

आफरी के निदेशक डॉ. तरुण कान्त ने बताया कि हमारे कार्यों के मॉडल के साथ-साथ फील्ड में किए गए काम दिखाने के लिए इन प्रतिभागियों को विजिट करवाई जाएगी. उन्होंने बताया कि इस ट्रेनिंग की शुरुआत भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद की महानिदेशक कंचन देवी की मौजूदगी में हुई. महानिदेशक ने बताया कि परिषद पूरे देश में आफरी जैसे नौ केंद्र संचालित कर रही है, जहां अलग-अलग प्रोजेक्ट चलते हैं. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम से इस समस्या से निपटने के लिए नए समाधान और तकनीकों पर काम किया जाएगा.

समस्या से ग्रसित देशों से आए वैज्ञानिक : डॉ. तरुण कान्त ने बताया कि दुनिया के कई देशों में मरुस्थलीकरण और लैंड डिग्रेडेशन बड़ी समस्या बन रही है. इसमें ऑस्ट्रेलिया, मंगोलिया, रवांडा, बोत्सवाना, कैमरून, अल्जीरिया, तुर्की, नेपाल, केन्या और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल हैं, जहां यह समस्या अलग-अलग रूपों में मौजूद है. निदेशक ने बताया कि इन 15 विभिन्न देशों के 19 प्रतिभागी इस प्रशिक्षण में हिस्सा ले रहे हैं. ये सभी प्रतिभागी खुद भी विभिन्न अनुसंधान कार्यों से जुड़े हैं और इस ज्वलंत समस्या पर काम कर रहे हैं.

लूणा खारावास की पहाड़ी दिखाएंगे : डॉ. तरुण कान्त ने बताया कि आफरी ने जोधपुर और पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थलीकरण रोकने के लिए वानिकी पर बहुत काम किया है और कई इलाकों को हरित बना दिया है. जोधपुर के समीप लूणा खारावास गांव की एक पहाड़ी, जिसे आफरी ने संरक्षित कर नया रूप दिया है, इस दल को दिखाने के लिए ले जाया जाएगा. वहां पर ओपन डिस्कशन भी आयोजित किया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.