गया: बिहार के गयाजी धाम में चल रहे पितृपक्ष मेले में सात समंदर पार से विदेशियों का जत्था पहुंचा है. ये विदेशी गयाजी धाम में पितरों के मोक्ष की कामना के लिए निमित पिंडदान का कर्मकांड करेंगे. विदेशी जत्था अफ्रीका, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, रूस, यूक्रेन और यमन से गया आया है. गया जी पहुंचकर उन्होंने विष्णु पद मंदिर में भगवान विष्णु के चरण चिन्ह के दर्शन किए.
विष्णुपद मंदिर में करें चरण चिन्ह के दर्शन: गया पहुंचते ही अफ्रीका, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, यूक्रेन, रसिया, यमन आदि देशों से आए विदेशी तीर्थयात्री गया जी तीर्थ क्षेत्र में पहुंचे हैं. गया जी तीर्थ क्षेत्र में उन्होंने भ्रमण किया और भगवान विष्णु के चरण चिन्ह के दर्शन किए. मोक्ष भूमि गया जी के प्रति विदेशियों की श्रद्धा लगातार बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि अब हर साल पितृपक्ष मेले की अवधि के बीच सात समुंदर पार से विदेशियों का जत्था गया जी धाम को पहुंचता है.
पिछले बार भी आए दर्जनों विदेशी तीर्थयात्री: साल 2023 में पितृपक्ष मेले में भी दर्जनों विदेशी तीर्थयात्री पिंडदान करने गया जी को पहुंचे थे. गया जी में पहुंचकर उन्होंने फल्गु तट, अक्षय वट और विष्णु पद में पिंडदान का कर्मकांड किया. पिछली बार आए विदेशी तीर्थ यात्रियों में काफी संख्या में महिला तीर्थ यात्री शामिल है. इस बार पुरुष और महिला तीर्थयात्री दोनों पहुंचे हैं. फिलहाल 15 विदेशी तीर्थयात्री गया जी को पहुंचे हैं.
पिंडदान करने पहुंचे कई देशों से 15 तीर्थ यात्री: इस संबंध में विदेश में इस्कॉन मंदिर से जुड़े स्वामी लोकनाथ गौड़ ने बताया कि विभिन्न देशों जैसे अफ्रीका, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, यूक्रेन, रसिया एवं यमन से तीर्थ यात्री गया जी पहुंच चुके हैं. गया जी पहुंचकर देवघाट तट का भ्रमण किया और विष्णु पद मंदिर में भगवान विष्णु के चरण चिन्ह के दर्शन भी किये. अभी फिलहाल 15 विदेशी तीर्थयात्री आ चुके हैं. इसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल है. सोमवार यानी की 30 सितंबर को ये पिंडदान का कर्मकांड करेंगे.
"पूर्वजों-पितरों के मोक्ष की कामना का पर्व पितृपक्ष मेला होता है. इसके प्रति विदेशियों की आस्था बढ़ रही है. यही वजह है, कि अफ्रीका, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, यूक्रेन, रसिया, यमन से विदेशी तीर्थ यात्री गयाजी पहुंचे हैं. अभी 15 तीर्थ यात्री पहुंच चुके हैं. 30 सितंबर को यह सभी पिंडदान का कर्मकांड करेंगे और यह पूर्वजों के मोक्ष की कामना करेगें."-स्वामी लोकनाथ गौड़, इस्कॉन मंदिर से जुड़े प्रचारक
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