पटना : बिहार में गंगा इन दिनों अपने रौद्र रूप में है. पटना में गंगा नदी अपने खतरे के निशान से काफी ऊपर बह रही है. गंगा की पानी में करंट काफी तेज है और तेज बहाव में कोई भी वस्तु काफी तेज गति से बहती हुई नजर आ रही है. गंगा नदी के आसपास के इलाके में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. पटना सदर क्षेत्र से सटे नकटा दियारा इलाका और सबलपुर दियारा इलाका में सभी घर बाढ़ की पानी में जलमग्न हो गए हैं. नकटा दियारा क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए पटना जिला प्रशासन ने दीघा जनार्दन घाट पर सहायता कैंप बनाया गया है.
मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने में जुटा प्रशासन : जिला प्रशासन की ओर से यहां बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए आश्रय स्थल बनाया गया है. यहां 3000 से अधिक लोग आश्रय लिए हुए हैं. लोगों के लिए यहां पीने क्या शुद्ध पानी से लेकर चार वक्त भोजन की व्यवस्था की गई है. जिला प्रशासन की ओर से मवेशियों के लिए चारा और दाना की व्यवस्था करायी गयी है. सैकड़ों की संख्या में मवेशी आश्रय स्थल में है. इसके अलावा सहायता के लिए जिला प्रशासन का हेल्प डेस्क है और मेडिकल टीम तैयार की गई है. मेडिकल कैंप में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से आए बीमार लोग अपना इलाज करा रहे हैं.
'लोगों में पैर सड़ने की समस्या सबसे अधिक' : मेडिकल कैंप में मरीजों को देख रहे डॉक्टर विमल कुमार ने बताया कि यहां सभी मूलभूत जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध हैं. इसके अलावा एंबुलेंस की भी व्यवस्था है ताकि गंभीर मरीज को नजदीकी अस्पताल रेफर किया जा सके. पैर सड़ने सहित कई समस्याओं का इलाज किया जा रहा है.
''कैंप में महिलाओं की संख्या अधिक दिख रही है जिसमें मूल रूप से महिलाओं में पेट दर्द और पानी के कारण पैर सड़ने की समस्या अधिक है. इसके अलावा स्किन में जलन और सर्दी खांसी बुखार की भी काफी समस्या है. जरूरी दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है और आराम की सलाह दी जा रही है.''- डॉक्टर विमल कुमार
स्कूल में रह रहे लोग : मेडिकल कैंप में दिखाने पहुंची महिला रूबी देवी ने बताया कि उनके गांव नकटा दियारा में बाढ़ आयी हुई है. तबीयत खराब हुआ तो वह पटना में शरण स्थली में आ गई हैं. यहां खाने-पीने का व्यवस्था है और शौचालय का भी प्रबंध किया गया है. उन लोगों के लिए स्पेशल पिंक टॉयलेट है. यहां उन्होंने डॉक्टर से दिखाया है, खाना खाया है और फिर यहां से जाकर स्कूल में आराम करेंगी. यहां से पास के एक सरकारी स्कूल में रहने-सोने का प्रबंध किया गया है. जिला प्रशासन से काफी सहयोग मिल रहा है.
'गांव में अभी भी फंसे हैं हजारों लोग' : धर्मवीर ने बताया कि वह अपने पशुओं को लेकर के यहां आए हुए हैं. उन्हें मवेशियों के लिए जिला प्रशासन की ओर से चारे का प्रबंध कराया जा रहा है. यहां शरण स्थली में लगभग 3000 लोग आए हुए हैं लेकिन गांव में अभी भी 12000 से अधिक लोग हैं.
''गांव में कोई घर ऐसा नहीं है जो बाढ़ के पानी में नहीं डूबा हुआ है. हर घर में कमर भर या उससे ऊपर पानी है. अभी भी काफी मवेशी वहां फंसे हुए हैं, जिन्हें भाई बंधु लोग नाव से ला रहे हैं. पीने की पानी की सुविधा मिल रही है लेकिन फिर भी शरण स्थली में गुजर बसर ही किया जा रहा है.''- धर्मवीर, बाढ़ पीड़ित
'पुरुषों के लिए शौचालय नहीं' : युवक अभिषेक कुमार ने बताया कि वह लोग यहां खाना पीना खा लिए हैं और फिर गांव के लोगों के लिए चुरा मीठा लेकर के जा रहे हैं. यहां शरण स्थली में पुरुषों के लिए शौचालय की सुविधा नहीं है. सुबह में स्कूल में बने संथाली के पास चलन शौचालय उपलब्ध था लेकिन वह भी दिन में चला गया है. शौचालय की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए.
''गांव में अभी बाढ़ की स्थिति भयावह है और गांव में लोगों को कोई मदद नहीं मिल पा रहा है. हजारों की तादाद में गांव में लोग फंसे हुए हैं और ना तो कोई समाजसेवी, ना ही कोई राजनीतिक दल के लोग और ना ही प्रशासन के लोग गांव तक मदद पहुंच पा रहे हैं.''- अभिषेक कुमार, बाढ़ पीड़ित
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