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ड्रोन तकनीक से मत्स्य पालन में आएगा क्रांतिकारी बदलाव, लाइव डेमो में दिखाया आय बढ़ाने का तरीका

ड्रोन तकनीक के उपयोग से मत्स्य पालन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं. बिहार के मत्स्य पालकों को इसके बारे में जानकारी दी गयी.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 2 hours ago

Fisheries with drone technology.
ड्रोन तकनीक से मत्स्य पालन. (ETV Bharat)

पटनाः बिहार मत्स्य पालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चुका है. अब मछली के लिए बिहार को दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. मछली पालन को और हाईटेक करने की तैयारी चल रही है. मकसद है फ्रेश मछली बाजार तक आए. मछली पालक की लागत कम कर उनका मुनाफा बढ़ाया जाए. इसके लिए सरकार मत्स्य पलकों को अब ड्रोन तकनीक के जरिए मत्स्य पालन करने की सुविधा मुहैया कराएगी.

मत्स्य पालक जागरूकता कार्यक्रमः राजधानी पटना के ज्ञान भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में मत्स्य पालकों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम का उद्देश्य मत्स्य पालन के क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग के बारे में लोगों को जागरूक करना था. केंद्रीय मत्स्य पालन पशुपालन एवं डेयरी मंत्री ललन सिंह ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में शामिल हुए. नीतीश कुमार के अलावा बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और पशुपालन मंत्री रेणु देवी मौजूद थीं.

ड्रोन तकनीक से मत्स्य पालन. (ETV Bharat)

केंद्र सरकार का मिल रहा सहयोग: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि केंद्र के सहयोग से बिहार के विकास की रफ्तार और तेज होगी. राज्य के कार्यों को और बेहतर बनाने को केंद्र का सहयोग मिल रहा है. केंद्र से बिहार को आगे भी काफी लाभ होगा. ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर आयोजित वर्कशॉप के उद्घाटन के बाद लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मत्स्य उत्पादन में केंद्र सरकार काफी सहयोग कर रही है. 2022 से अबतक 80 करोड़ की मदद मिल चुकी है.

"बिहार में 2005 में 2.88 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता था, आज 8.73 लाख हो गया है. बिहार आज मछली के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है यही नहीं पहले हम मछली के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर रहते थे लेकिन आज बिहार स मछली का निर्यात भी किया जा रहा है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

Fisheries with drone technology
कार्यशाला का उद्घाटन करते सीएम. (ETV Bharat)

एनडीए के साथ रहने की बात दोहरायीः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नाम लिए बिना कहा कि वे अब एनडीए में ही रहेंगे और महागठबंधन के साथ कभी नहीं जाएंगे. मुख्यमंत्री ने महागठबंधन के साथ जाने को लेकर एकबार फिर सफाई दी. उन्होंने कहा कि अब कभी वह महागठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे, वह एनडीए के साथ हैं और मिलकर बिहार के विकास के लिए काम करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा, उनसे दो बार ऐसी गलती पहले हो चुकी है. भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे.

Fisheries with drone technology.
ड्रोन तकनीक से मत्स्य पालन. (ETV Bharat)

ड्रोन तकनीक से मत्स्य पालन में फायदाः केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि आज की तारीख में 60 हजार करोड़ के मछली का निर्यात किया जा रहा है. आने वाले दिनों में हम ड्रोन तकनीक के जरिए मत्स्य पलकों को तमाम तरह की सुविधा देने जा रहे हैं. ड्रोन से आपातकाल के दौरान उन्हें जीवन रक्षक जैकेट दिए जाएंगे, मछली में बीमारी फैलने की स्थिति में दवा का भी छिड़काव किया जा सकेगा, मछली को एक जगह से दूसरी जगह तक ड्रोन से पहुंचाया जा सकेगा. किसानों को इसका डेमो भी दिया गया.

Fisheries with drone technology
ड्रोन तकनीक का डेमो. (ETV Bharat)

मछली की बीमारी पता चलेगीः तालाब पर बहुत नीचे ड्रोन लाने पर उसमें मौजूद मछलियां साफ दिखने लगती हैं. इससे मछलियों की प्रमुख बीमारी लाल धब्बा का पता वक्त रहते चल जाता है. या फिर मछलियां तालाब में कैसा व्यवहार कर रही हैं ये भी पता चल जाता है. इसके बाद ड्रोन से ही तालाब में मछलियों के लिए दवाई का छिड़काव भी कर दिया जाता है. जबकि हाथ से दवाई का छिड़काव करने के चलते तालाब में कुछ न कुछ मछलियां छूट ही जाती हैं.

Fisheries with drone technology
ड्रोन तकनीक से मत्स्य पालन का डेमो. (ETV Bharat)

मछलियों को मिलेगा समान खानाः आमतौर पर तालाब के एक कोने पर तो कभी दूसरे और तीसरे कोने पर जाकर मछलियों को हाथ से दाना डाला जाता है. इसका नुकसान यह होता है कि तालाब में जो ताकतवर मछली होती हैं वो दाना खाने के लिए एकदम आगे यानि तालाब के किनारे पर आ जाती हैं. कमजोर मछली पीछे रह जाती है. लेकिन ड्रोन से जब दाना तालाब में डाला जाएगा तो वो बराबर रूप से पूरे तालाब में जाता है. तालाब के सभी हिस्से में मौजूद मछलियों को दाना खाने का मौका मिल जाता है.

इसे भी पढ़ेंः नौकरी छोड़कर 'जॉब क्रिएटर' बने ऋषिकेश, 16 लाख लोगों को दिया रोजगार, करोड़ों में टर्न ओवर - Success Story

पटनाः बिहार मत्स्य पालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चुका है. अब मछली के लिए बिहार को दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. मछली पालन को और हाईटेक करने की तैयारी चल रही है. मकसद है फ्रेश मछली बाजार तक आए. मछली पालक की लागत कम कर उनका मुनाफा बढ़ाया जाए. इसके लिए सरकार मत्स्य पलकों को अब ड्रोन तकनीक के जरिए मत्स्य पालन करने की सुविधा मुहैया कराएगी.

मत्स्य पालक जागरूकता कार्यक्रमः राजधानी पटना के ज्ञान भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में मत्स्य पालकों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम का उद्देश्य मत्स्य पालन के क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग के बारे में लोगों को जागरूक करना था. केंद्रीय मत्स्य पालन पशुपालन एवं डेयरी मंत्री ललन सिंह ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में शामिल हुए. नीतीश कुमार के अलावा बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और पशुपालन मंत्री रेणु देवी मौजूद थीं.

ड्रोन तकनीक से मत्स्य पालन. (ETV Bharat)

केंद्र सरकार का मिल रहा सहयोग: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि केंद्र के सहयोग से बिहार के विकास की रफ्तार और तेज होगी. राज्य के कार्यों को और बेहतर बनाने को केंद्र का सहयोग मिल रहा है. केंद्र से बिहार को आगे भी काफी लाभ होगा. ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर आयोजित वर्कशॉप के उद्घाटन के बाद लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मत्स्य उत्पादन में केंद्र सरकार काफी सहयोग कर रही है. 2022 से अबतक 80 करोड़ की मदद मिल चुकी है.

"बिहार में 2005 में 2.88 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता था, आज 8.73 लाख हो गया है. बिहार आज मछली के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है यही नहीं पहले हम मछली के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर रहते थे लेकिन आज बिहार स मछली का निर्यात भी किया जा रहा है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

Fisheries with drone technology
कार्यशाला का उद्घाटन करते सीएम. (ETV Bharat)

एनडीए के साथ रहने की बात दोहरायीः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नाम लिए बिना कहा कि वे अब एनडीए में ही रहेंगे और महागठबंधन के साथ कभी नहीं जाएंगे. मुख्यमंत्री ने महागठबंधन के साथ जाने को लेकर एकबार फिर सफाई दी. उन्होंने कहा कि अब कभी वह महागठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे, वह एनडीए के साथ हैं और मिलकर बिहार के विकास के लिए काम करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा, उनसे दो बार ऐसी गलती पहले हो चुकी है. भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे.

Fisheries with drone technology.
ड्रोन तकनीक से मत्स्य पालन. (ETV Bharat)

ड्रोन तकनीक से मत्स्य पालन में फायदाः केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि आज की तारीख में 60 हजार करोड़ के मछली का निर्यात किया जा रहा है. आने वाले दिनों में हम ड्रोन तकनीक के जरिए मत्स्य पलकों को तमाम तरह की सुविधा देने जा रहे हैं. ड्रोन से आपातकाल के दौरान उन्हें जीवन रक्षक जैकेट दिए जाएंगे, मछली में बीमारी फैलने की स्थिति में दवा का भी छिड़काव किया जा सकेगा, मछली को एक जगह से दूसरी जगह तक ड्रोन से पहुंचाया जा सकेगा. किसानों को इसका डेमो भी दिया गया.

Fisheries with drone technology
ड्रोन तकनीक का डेमो. (ETV Bharat)

मछली की बीमारी पता चलेगीः तालाब पर बहुत नीचे ड्रोन लाने पर उसमें मौजूद मछलियां साफ दिखने लगती हैं. इससे मछलियों की प्रमुख बीमारी लाल धब्बा का पता वक्त रहते चल जाता है. या फिर मछलियां तालाब में कैसा व्यवहार कर रही हैं ये भी पता चल जाता है. इसके बाद ड्रोन से ही तालाब में मछलियों के लिए दवाई का छिड़काव भी कर दिया जाता है. जबकि हाथ से दवाई का छिड़काव करने के चलते तालाब में कुछ न कुछ मछलियां छूट ही जाती हैं.

Fisheries with drone technology
ड्रोन तकनीक से मत्स्य पालन का डेमो. (ETV Bharat)

मछलियों को मिलेगा समान खानाः आमतौर पर तालाब के एक कोने पर तो कभी दूसरे और तीसरे कोने पर जाकर मछलियों को हाथ से दाना डाला जाता है. इसका नुकसान यह होता है कि तालाब में जो ताकतवर मछली होती हैं वो दाना खाने के लिए एकदम आगे यानि तालाब के किनारे पर आ जाती हैं. कमजोर मछली पीछे रह जाती है. लेकिन ड्रोन से जब दाना तालाब में डाला जाएगा तो वो बराबर रूप से पूरे तालाब में जाता है. तालाब के सभी हिस्से में मौजूद मछलियों को दाना खाने का मौका मिल जाता है.

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