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छत्तीसगढ़ सरकार के पूर्व महाधिवक्ता की फीस बकाया, जुगल किशोर गिल्डा ने हाईकोर्ट का खटखटाया दरवाजा

Former Advocate General Jugal Kishor Gilda छत्तीसगढ़ की पूर्व रमन सरकार के समय महाधिवक्ता रहे जुगल किशोर गिल्डा ने बकाया फीस को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.गिल्डा के मुताबिक रमन सरकार के समय सुप्रीम कोर्ट में की गई पैरवी की फीस उन्हें नहीं मिली है.वहीं इस मामले में सीएसआईडीसी ने गिल्डा की नियुक्ति को लेकर कोर्ट में अपना पक्ष रखा.

Former  Advocate General Jugal Kishor Gilda
छत्तीसगढ़ सरकार के पूर्व महाधिवक्ता की फीस बकाया
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 8, 2024, 12:41 PM IST

बिलासपुर : बीजेपी के रमन शासन में शासकीय मामलों की पैरवी करने वाले महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा ने हाईकोर्ट में कोर्ट बकाया फीस को लेकर याचिका लगाई है.इस याचिका में गिल्डा ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्हें रमन सरकार में महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था.जिसमें रमन सरकार के पक्ष में गिल्डा ने हाईकोर्ट समेत सुप्रीम कोर्ट तक शासन के मामलों की पैरवी की थी.लेकिन राज्य शासन ने उस समय गिल्डा को हाईकोर्ट के मामलों की फीस तो दी.लेकिन सुप्रीम कोर्ट में की गई पैरवी की फीस नहीं दी.जो तकरीबन एक करोड़ दस लाख के आसपास है.जिसके भुगतान के लिए अब जुगल किशोर गिल्डा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस मामले में जस्टिस राकेश मोहन पांडे की सिंगल बेंच में सुनवाई की गई.

कौन हैं जुगल किशोर गिल्डा ? : डॉ रमन सिंह की बीजेपी सरकार में हाई कोर्ट में नागपुर के अधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा को महाधिवक्ता बनाया गया था. वह काफी तेज तर्रार वकील रहे हैं. यही वजह रही कि रमन सिंह सरकार में की गई पैरवी में सरकार ने कई मामलों में जीत हासिल की.लेकिन रमन सरकार को कोर्ट में जीत दिलाने वाले जुगल किशोर गिल्डा खुद न्यायालय की शरण में हैं.

जुगल किशोर गिल्डा ने 23 जनवरी 2014 को महाधिवक्ता का पदभार ग्रहण किया था. उसके पूर्व गिल्डा जून 2006 से अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर थे. जुगल किशोर गिल्डा ने महाधिवक्ता रहते सर्वाधिक 94% मामलों में सफलता हासिल की थी. 2018 में राज्य में सरकार बदलने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगे. गिल्डा ने लंबे समय तक छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की हैं.जिसमें उन्होंने राज्य सरकार की ओर से पैरवी की है.

क्या है गिल्डा का आरोप ?: गिल्डा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में की गई पैरवी की फीस उन्हें नहीं मिली है.वहीं इस मामले में सीएसआईडीसी की ओर से कहा गया कि पूर्व महाधिवक्ता गिल्डा को सरकार ने नियुक्त नहीं किया था. जिस पर गिल्डा के वकील ने कहा कि वह सरकार की ओर से महाधिवक्ता नियुक्त थे. ऐसे में उन्हें अलग से नियुक्त करने का सवाल ही नहीं उठाता है. अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 26 फरवरी तय की गई है.

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बिलासपुर : बीजेपी के रमन शासन में शासकीय मामलों की पैरवी करने वाले महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा ने हाईकोर्ट में कोर्ट बकाया फीस को लेकर याचिका लगाई है.इस याचिका में गिल्डा ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्हें रमन सरकार में महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था.जिसमें रमन सरकार के पक्ष में गिल्डा ने हाईकोर्ट समेत सुप्रीम कोर्ट तक शासन के मामलों की पैरवी की थी.लेकिन राज्य शासन ने उस समय गिल्डा को हाईकोर्ट के मामलों की फीस तो दी.लेकिन सुप्रीम कोर्ट में की गई पैरवी की फीस नहीं दी.जो तकरीबन एक करोड़ दस लाख के आसपास है.जिसके भुगतान के लिए अब जुगल किशोर गिल्डा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस मामले में जस्टिस राकेश मोहन पांडे की सिंगल बेंच में सुनवाई की गई.

कौन हैं जुगल किशोर गिल्डा ? : डॉ रमन सिंह की बीजेपी सरकार में हाई कोर्ट में नागपुर के अधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा को महाधिवक्ता बनाया गया था. वह काफी तेज तर्रार वकील रहे हैं. यही वजह रही कि रमन सिंह सरकार में की गई पैरवी में सरकार ने कई मामलों में जीत हासिल की.लेकिन रमन सरकार को कोर्ट में जीत दिलाने वाले जुगल किशोर गिल्डा खुद न्यायालय की शरण में हैं.

जुगल किशोर गिल्डा ने 23 जनवरी 2014 को महाधिवक्ता का पदभार ग्रहण किया था. उसके पूर्व गिल्डा जून 2006 से अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर थे. जुगल किशोर गिल्डा ने महाधिवक्ता रहते सर्वाधिक 94% मामलों में सफलता हासिल की थी. 2018 में राज्य में सरकार बदलने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगे. गिल्डा ने लंबे समय तक छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की हैं.जिसमें उन्होंने राज्य सरकार की ओर से पैरवी की है.

क्या है गिल्डा का आरोप ?: गिल्डा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में की गई पैरवी की फीस उन्हें नहीं मिली है.वहीं इस मामले में सीएसआईडीसी की ओर से कहा गया कि पूर्व महाधिवक्ता गिल्डा को सरकार ने नियुक्त नहीं किया था. जिस पर गिल्डा के वकील ने कहा कि वह सरकार की ओर से महाधिवक्ता नियुक्त थे. ऐसे में उन्हें अलग से नियुक्त करने का सवाल ही नहीं उठाता है. अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 26 फरवरी तय की गई है.

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