चमोली: कहते हैं इंसान में जज्बा और जुनून हो तो मिट्टी भी सोना उगल सकती है. चमोली के काश्तकार बंजर जमीन पर पसीना बहाकर इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं. जिले में काश्तकार परंपरागत खेती से साथ फूलों की खेती भी कर रहे हैं. इन दिनों काश्तकारों के खेत-खलिहान फूलों से महक रहे हैं. जो उनकी आमदनी का स्रोत भी बन रहा है.
गुलाब जल तैयार कर रहे काश्तकार: सीमांत जनपद चमोली में डेमस्क रोज की खेती काश्तकारों की आजीविका का अच्छा साधन बन रही है. डेमस्क रोज से तैयार गुलाब जल और तेल के विपणन से काश्तकारों को फायदा मिलने लगा है. मनरेगा के तहत जोशीमठ ब्लॉक के ग्राम पंचायत द्वींगतपोण में 35 परिवारों को डेमस्क रोज उत्पादन से जोड़ा गया था. इस सीजन में यहां काश्तकारों ने डेमस्क रोज से 400 लीटर से अधिक गुलाब जल और तेल तैयार कर अच्छी आय अर्जित की है.
काश्तकारों की आर्थिकी हुई मजबूत: काश्तकारों द्वारा चारधाम यात्रा मार्ग सहित स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से गुलाब जल का विपणन किया जा रहा है. गुलाब जल हाथों हाथ बिक रहा है और इससे अच्छी आय मिलने से काश्तकार बेहद खुश हैं. काश्तकारों ने बताया कि परंपरागत खेती के साथ उन्होंने डेमस्क गुलाब की खेती को भी अपनाया है. गुलाब की खेती को जंगली जानवरों से भी कोई खतरा नहीं रहता है. इसके अलावा असिंचित बंजर भूमि पर भी आसानी से गुलाब की खेती करने से उनको काफी फायदा मिल रहा है. जिला विकास अधिकारी ने बताया कि जनपद में मनरेगा के तहत स्वयं सहायता समूहों को पुष्प वाटिका बनाने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है.
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