कुचामनसिटी: राजस्थान में फर्जी दस्तावेजों के जरिए आरएमसी (राजस्थान मेडिकल काउंसिल) में रजिस्ट्रेशन करवा कर फर्जी डॉक्टर बनाने के मामले के तार डीडवाना से भी जुड़ रहे हैं. जांच में सामने आया है कि फर्जी तरीके से डॉक्टर बनी एक महिला डीडवाना में निजी सोनोग्राफी सेंटर चला रही थी. डॉक्टर अजीत बलारा ने बताया कि यह सोनोग्राफी सेंटर जिले के सबसे बड़े बांगड़ राजकीय जिला अस्पताल के सामने संचालित हो रहा था, जहां फर्जी महिला डॉक्टर धड़ल्ले से महिलाओं की सोनोग्राफी कर रही थी.
इस मामले का खुलासा होने के बाद चिकित्सा विभाग हरकत में आया है और जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी के निर्देश पर ब्लॉक सीएमएचओ डॉक्टर अजीत बलारा ने बुधवार को इस सोनोग्राफी सेंटर को सीज कर दिया. बलारा चिकित्सा विभाग की टीम के साथ केंद्र पर पहुंचे और किराए के भवन में संचालित हो रहे इस सोनोग्राफी सेंटर पर ताला लगाकर उसे सीज कर दिया, लेकिन विभाग की इस कार्रवाई से पूर्व ही कथित महिला डॉक्टर सोनोग्राफी सेंटर से फरार हो गई और चिकित्सा विभाग की टीम को मौके पर कोई भी डॉक्टर या कार्मिक नहीं मिला.
ब्लॉक सीएमएचओ ने बताया कि इस मामले की जांच जारी है और विभागीय स्तर पर दिशा-निर्देश के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. आपको बता दें कि दस्तावेजों का वेरिफिकेशन किए बिना ही 12वीं पास लोगों को डॉक्टर बनाने के मामले में हुए खुलासा के बाद चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया है. इस मामले में जिन 8 फर्जी डॉक्टरों का खुलासा हुआ था, उनमें से एक महिला डीडवाना में सोनोग्राफी सेंटर चला रही थी. इससे पहले वह करौली के एक अस्पताल में भी प्रैक्टिस कर चुकी है.
अब इस मामले में सरकार ने एक्शन लेते हुए एसीबी को जांच सौंपी है, साथ ही आरएमसी से रजिस्ट्रार समेत तीन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है. चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है. चिकित्सा मंत्री ने आईएमसी के इस गड़बड़ी को स्कैम करार दिया. उन्होंने कहा कि मामले की पूरी जांच की जाएगी और किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा.