जयपुर. राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में हर दिन तकरीबन 10 हजार से अधिक मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. अस्पताल की ओपीडी में आमतौर पर सबसे अधिक मरीज चिकित्सकीय परामर्श लेने पहुंचते हैं और इस दौरान मरीजों को घंटों परामर्श के लिए लंबी कतार में इंतजार करना पड़ता है, लेकिन अब सवाई मानसिंह अस्पताल प्रशासन ने मरीज को इस लंबी कतार से मुक्ति दिलाने के लिए नई व्यवस्था शुरू करने जा रहा है.
एसएमएस अस्पताल की विभिन्न विभागों की ओपीडी में डिजिटल स्क्रीन लगाई जा रही है. इस डिजिटल स्क्रीन के माध्यम से मरीज बिना लाइन में लगे अपनी बारी का इंतजार कर सकता है. दरअसल, सवाई मानसिंह अस्पताल में क्यू मैनेजमेंट सिस्टम के तहत भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास अस्पताल प्रशासन की ओर से किया जा रहा है.
इस तरह मिलेगी राहत : सवाई मानसिंह अस्पताल में राजस्थान से ही नहीं, बल्कि उसके आसपास के राज्यों से भी मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. ऐसे में आमतौर पर सबसे अधिक भीड़ धनवंतरी ओपीडी में देखने को मिलती है, जहां चिकित्सकीय परामर्श के लिए मरीज को लंबी लाइन में लगा पड़ता है, लेकिन अब अस्पताल में डिजिटल स्क्रीन पर मरीज अपनी बारी का इंतजार कर सकेंगे. सबसे पहले मरीज जब रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची कटवाने पहुंचेगा तो मरीज की समस्या के अनुसार उसे विभाग अलॉट किया जाएगा.
उदाहरण के लिए रजिस्ट्रेशन काउंटर पर यदि मरीज कहता है कि उसे सिर में दर्द है तो उसे न्यूरो संबंधित चिकित्सकीय परामर्श के लिए भेजा जाएगा. इस दौरान पर्ची पर विभाग के कमरा नंबर के साथ एक अन्य नंबर भी एलॉट कर दिया जाएगा. इसके बाद जब मरीज संबंधित विभाग में पहुंचेगा तो स्क्रीन पर चल रहे नंबर के अनुसार उसे अपनी बारी का इंतजार करना होगा. इस दौरान उसे लाइन में लगने की जरूरत नहीं होगी.
तीन विभागों में शुरू : अस्पताल प्रशासन की यह कवायद फिलहाल अस्पताल के तीन विभागों में शुरू की गई है. सवाई मानसिंह अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. मनीष अग्रवाल का कहना है कि अस्पताल में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए क्यू मैनेजमेंट सिस्टम धीरे-धीरे लागू किया जा रहा है. प्रारंभिक तौर पर अस्पताल के तीन विभागों में इस पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है, जिसमें इम्यूनोलॉजी, न्यूरोसर्जरी और कार्डियोलॉजी विभाग में डिजिटल स्क्रीन्स लगाई गई है और इन विभागों में मरीजों को अब लाइन में लगा नहीं पड़ेगा. स्क्रीन पर अपने नंबर का इंतजार करके मरीज चिकित्सा के परामर्श ले सकेगा. इसके बाद धीरे-धीरे अस्पताल के सभी विभागों में इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा.