पटना: दीपावली को लेकर तैयारी काफी जोरों पर चल रही है. हर कोई अपने हिसाब से खरीदारी में लगा है. इस पर्व पर बनने वाली हाथी, घोड़े, ऊंट खिलौने की मिठाईयों की भी काफी मांग होती है. इनकी पौराणिक महत्ता रही है. मसौढ़ी के बाजारों में इन मिठाइयों की काफी धूम मची हुई है.
हाथी घोड़े ऊंट की मिठाई की बढ़ी मांग: मान्यता है कि चीनी से बने हाथी-घोड़े के खिलौनानुमा मिठाइयों, बताशे और इलायची दाने से मां लक्ष्मी को भोग लगाने पर माता की कृपा बनी रहती है. यही वजह है कि लोग इन मिठाइयों की खरीदारी करते हैं. हालांकि इस व्यवसाय पर आधुनिकता का रंग नहीं चढ़ा है. आज भी बाजार में इन मिठाइयों की डिमांड रहती है.
शहरों से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में डिमांड: खासकर ग्रामीण इलाको में आज भी यह संस्कृति और सभ्यता जिंदा है. दरअसल दीपावली के मौके पर बनाए जाने वाली चीनी की खिलौनानुमा मिठाइयों की मसौढ़ी में काफी धूम मची है. कहा जाता है कि इसके बिना दीपावली अधूरी है. हर घर में लोग खिलौनानुमा मिठाइयां खरीदते हैं, जिसको लेकर मसौढ़ी बाजार में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं.
इसके भोग से मां लक्ष्मी होती हैं प्रसन्न: मिठाई बनाने वाले कारीगर रात दिन एक कर मिठाइयां बना रहे हैं. इसके बारे में कई लोगों का कहना यह भी है कि माता लक्ष्मी के पूजन में चीनी से बनी हुई मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. सबसे ज्यादा बच्चे खिलौनानुमा मिठाई के प्रति आकर्षित होते हैं. ऐसे में आज भी शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में इन मिठाइयों की डिमांड अधिक है.
दिवाली कल: कई लोगों का मानना है कि इसकी चर्चा पुराणों में भी कही गई है, क्योंकि माता लक्ष्मी का हाथी घोड़ा ऊंट से काफी पुराना संबंध रहा है. ऐसे में लक्ष्मी पूजन में खिलौने की मिठाइयां लोग भोग के रूप में लगाते हैं. तब से इस परिपाटी की शुरुआत हुई है और शहर की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर या देखने को मिलता है. बता दें कि गुरुवार यानी कि कल दिवाली है.
"लक्ष्मी माता को भोग लाया जाता है. हाथी घोड़ा ऊंट के रूप में चीनी की मिठाई बनाई जाती है. इसके भोग से माता प्रसन्न होती है."- दीपक कुमार, दुकानदार, मसौढ़ी बाजार
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