जबलपुर। सोमवार को विद्युत नियामक आयोग ने मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के बिजली बिलों के दाम बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई की. इसमें केवल जबलपुर से 13 लोगों ने आपत्ति लगाई. बिजली मामलों की जानकार लोगों का कहना है कि बिजली कंपनियां हजारों करोड़ का राजस्व लाभ ले रही हैं, लेकिन उसके बावजूद घाटा दिखाकर आम जनता की जेब पर डाका डालना चाहती हैं. बिजली मामलों की जानकारी राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि मध्य प्रदेश में बिजली पहले ही बहुत ज्यादा महंगी है और इसे लगभग 15% तक काम करना चाहिए लेकिन सरकार और बिजली कंपनियां इसके दाम 3 से 4% तक बढ़वाने की अनुशंसा कर रही हैं.
बिजली बिल में बढ़ोत्तरी की मांग
मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग के सामने उपभोक्ताओं के बिजली बिल को लगभग 4 प्रतिशत तक बढ़ाने की मांग की है. पावर मैनेजमेंट कंपनी का कहना है कि उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने में उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनकी बिजली खरीदी और ट्रांसमिशन की लागत लगातार बढ़ रही है. इसलिए उन्हें बिजली बिल के दाम बढ़ाने पड़ेंगे. तब जाकर उनका घाटा कम हो पाएगा. बता दें कि मध्य प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कंपनी बिजली उत्पादक कंपनियों से बिजली खरीदती है. इसमें सरकार अपने पावर प्लांट के जरिए भी बिजली बनाती है. लेकिन मध्य प्रदेश की जरूरत के अनुसार पूरी बिजली सरकार के विद्युत उत्पादक संयंत्र नहीं बना पाए, ऐसी स्थिति में निजी कंपनियों से बिजली खरीदनी पड़ती है.
बिजली कंपनियां घाटा बताती हैं
आम उपभोक्ता तक पहुंचने में लगभग 20% बिजली का नुकसान भी होता है. इस घाटे को पूरा करने के लिए पावर मैनेजमेंट कंपनी विद्युत नियामक आयोग के सामने अपनी लागत और घाटे को बताती हैं. फिर विद्युत नियामक आयोग के माध्यम से बढ़े बिजली बिलों पर आपत्तियां मंगाई जाती हैं, जिसमें हर आम आदमी अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकता है. यह प्रक्रिया ऑनलाइन होती है लेकिन ज्यादातर लोग आपत्ति दर्ज नहीं करवाते. जबलपुर से विद्युत मंडल के रिटायर्ड कर्मचारी और बिजली मामलों की जानकारी इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने सुनवाई में अपनी आपत्ति दर्ज करवाई.
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बिजली बिल घटना चाहिए
राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने बिजली कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर यह पाया है कि बिजली कंपनियों का कुल खर्च लगभग 45000 करोड़ रुपये है और बिजली बिलों के माध्यम से इन्हें लगभग 55000 करोड़ रुपया मिलता है. ऐसी स्थिति में बिजली कंपनियां 10000 करोड़ के फायदे में हैं. जबकि वह अपने खातों में 2000 करोड़ का नुकसान दिखा रही हैं, यह गलत है. जब बिजली कंपनियां फायदे में हैं तो बिजली बिल नहीं बढ़ने चाहिए. बल्कि इन्हें घटना चाहिए. जबलपुर से ही नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच और भारत कृषक समाज ने विद्युत नियामक आयोग को बिजली बिल कम करने की अपील की है.