देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 16 सितंबर को अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रदेशवासियों को बड़ी सौगात दी. सीएम की घोषणा के तहत प्रदेश में 100 यूनिट तक हर महीने बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को बिजली बिल में 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी. वहीं, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हर महीने 200 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी. सीएम धामी की इस घोषणा के बाद ही ऊर्जा विभाग ने विद्युत उपभोक्ताओं को सब्सिडी का लाभ दिए जाने संबंधित कागजी कार्रवाई शुरू कर दी है. इस योजना से उत्तराखंड सरकार पर सालाना करीब 130 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा.
राज्य में बिजली बिल का गणित: उत्तराखंड राज्य में लाखों विद्युत उपभोक्ताओं के कनेक्शन हैं, जिसमें से करीब 11 लाख 10 उपभोक्ता ऐसे हैं जो हर महीने 100 यूनिट तक बिजली का इस्तेमाल करते हैं. इसके साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में करीब 25 से 30 हजार बिजली कनेक्शन धारी हैं जो हर महीने 200 यूनिट तक बिजली का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में सीएम धामी की घोषणा के बाद प्रदेश के करीब 11 लाख 40 हजार उपभोक्ताओं को विद्युत सब्सिडी का लाभ मिलेगा, जिसकी प्रक्रिया शासन स्तर पर शुरू कर दी गई है.
इन लोगों को मिलेगा सब्सिडी का लाभ: राज्य सरकार की ओर से बिजली के बिल में दी जाने वाली सब्सिडी योजना की खास बात ये रहेगी कि महीने के हिसाब से उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ मिल सकेगा. यानी अगर कोई उपभोक्ता पहले महीने में 100 यूनिट तक बिजली खपत करता है तो उसको इस सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा, लेकिन अगर उपभोक्ता दूसरे महीने में 100 यूनिट से अधिक बिजली की खपत करता है तो उस महीने उस उपभोक्ता को सब्सिडी का लाभ नहीं दिया जाएगा. हालांकि, इस सब्सिडी का लाभ सीधे उपभोक्ता को नहीं दिया जाएगा. अगर उपभोक्ता किसी महीने 100 यूनिट तक बिजली कंज्यूम करता है तो उस उपभोक्ता का बिल 50 फीसदी डिस्काउंट के साथ जारी किया जाएगा.
उत्तराखंड पर है 78 हजार करोड़ का कर्ज- बता दें कि,
- उत्तराखंड में साल दर साल कर्ज का पहाड़ खड़ा हो रहा है.
- अभी उत्तराखंड पर 78 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है.
- बड़ी बात ये है कि उत्तराखंड सरकार को कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ता है.
- राज्य में साल 2019 और 2020 में यह कर्ज 65,96 करोड़ रुपए का था
- जबकि साल 2020 और 21 में लगभग 71 हजार का कर्ज था.
- साल 2021 और साल 2022 के वित्तीय वर्ष में यह कर्ज बढ़कर 77000 करोड़ रुपए हो गया.
- इसी तरह साल 2022 और 2023 में यह कर्ज 77,023 करोड़ रुपए हो गया.
- वहीं साल 2023 और साल 2024 के वित्तीय वर्ष में यह कर्ज 78,450 करोड़ रुपए हो गया है.
सरकार पर पड़ेगा सालाना करीब 130 करोड़ का बोझ: ज्यादा जानकारी देते हुए ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि इस योजना का होमवर्क बहुत जल्द पूरा किया जाएगा. इस योजना को लेकर वित्त विभाग के साथ ही शुरुआती दौर की चर्चा की जा चुकी है. ऐसे में जब योजना संबंधित प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जाएगा, तब विस्तृत रूप से चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि पिछले बिलों के आधार पर ऊर्जा विभाग ने जो आंकलन किया, उसके अनुसार राज्य सरकार पर सालाना करीब 130 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा, लेकिन यह महीने के हिसाब से बढ़ और घट सकता है.
ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि लाभार्थियों के लिए एक ही कैटेगरी रखी गई है. इसमें बीपीएल या अन्य चीजों को शामिल नहीं किया जाएगा. जो उपभोक्ता कम बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो सरकार की नजर में गरीब हैं. ऐसे में जो उपभोक्ता हर महीने 100 यूनिट तक बिजली खपत कर रहे हैं, वो इस योजना के लाभार्थी होंगे. इस योजना के तहत इन सभी उपभोक्ताओं का बिजली बिल आधा हो जाएगा. इस योजना के तहत जो सब्सिडी लाभार्थियों को दी जायेगी, उसका खर्च राज्य सरकार वहन करेगी.