पाकुड़ः बांग्लादेशी घुसपैठ और संथाल परगना प्रमंडल में डेमोग्राफिक चेंज का मामला भले ही बीजेपी लगातार पुरजोर तरीके से उठाती रही है, लेकिन निर्वाचक आयोग की जांच में मामला अलग ही पाया गया है. झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के निर्देश पर हुई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है.
निर्वाचक निबंधक पदाधिकारी पाकुड़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र सह अपर समाहर्ता द्वारा ज्ञापांक 149(नि॰) राजस्व और दिनांक 27.07.2024 द्वारा गठित जांच टीम में शामिल पदाधिकारियों और भाजपा प्रतिनिधिमंडल के संयुक्त हस्ताक्षर से समर्पित रिपोर्ट में कुछ अलग ही मामला सामने आया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि मुस्लिम बहुल इलाकों के बूथों में मतदाताओं की अप्रत्याशित वृद्धि की वजह घुसपैठिए नहीं हैं, बल्कि जनसंख्या वृद्धि है.
वोटरों की संख्या बढ़ने के बताए गए तीन कारण
जांच रिपोर्ट में वोटरों की संख्या में वृद्धि के जो प्रमुख कारण बताए गए हैं उनमें मुस्लिम बहुल बूथ होने के कारण जनसंख्या वृद्धि दर ज्यादा होना एक प्रमुख वजह बतायी गई है. इतना ही नहीं वोटरों की संख्या में वृद्धि के दर्शाए गए तीन प्रमुख कारणों में चुनाव आयोग के द्वारा अभियान के तहत छूटे हुए सभी 18 वर्ष या उससे ऊपर के व्यक्तियों का नाम मतदाता सूची में दर्ज कराना, राजनीतिक पार्टियों द्वारा छूटे हुए योग्य व्यक्तियों का पंजीकरण के लिए जागरूक करना भी है.
12 अगस्त को बीडीओ ने भेजी थी रिपोर्ट
यह रिपोर्ट 12 अगस्त को सहायक निर्वाचक निबंधक सह प्रखंड विकास पदाधिकारी समीर अलफ्रेड मुर्मू ने अपने कार्यालय के पत्रांक 1816 के जरिए अपर समाहर्ता को भेजी थी. जिसमें सदर बीडीओ के अलावे सहायक निर्वाचक निबंधक सह बीडीओ बरहरवा सन्नी कुमार दास, पाकुड़ सीओ भागीरथ महतो और भारतीय जनता पार्टी के अनुग्रहित प्रसाद साह और पूर्व जिलाध्यक्ष विवेकानंद तिवारी के हस्ताक्षर हैं.
इन छह बूथों की वोटर लिस्ट की हुई जांच
जांच टीम में शामिल पदाधिकारियों और भाजपा के प्रतिनिधियों ने पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र के 6 मतदान केंद्र 68, 153, 174, 216, 378 और 434 पहुंचकर मतदाता सूची से मतदाताओं की पहचान और इन बूथों पर हुई अप्रत्याशित वृद्धि की जांच की थी.
क्या है जांच रिपोर्ट में
समर्पित रिपोर्ट के मुताबिक जांच के दौरान जिन बूथों पर मतदाताओं के अप्रत्याशित वृद्धि की वजह विदेशी घुसपैठ बताया गया था यह आरोप सही नहीं पाया गया. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सभी मतदाता बूथ क्षेत्र के ही रहने वाले हैं. समर्पित रिपोर्ट के मुताबिक जांच टीम में शामिल पदाधिकारियों और भाजपा के प्रतिनिधियों ने भौतिक जांच के दौरान वोटर लिस्ट के मिलान में सभी मतदाताओं न केवल सही पाया, बल्कि संबंधित बूथ क्षेत्र का निवासी भी पाया.
मात्र छह बूथों का भौतिक सत्यापन
हालांकि जांच टीम में शामिल पदाधिकारियों और भाजपा प्रतिनिधियों ने लिखित शिकायत में दर्शाए गए पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र के 208 मतदान केंद्रों के विरुद्ध मात्र 6 बूथों का ही भौतिक सत्यापन क्यों किया ये तो स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन बताया जाता है कि कुछ बूथों को जांच के दायरे से बाहर रखा गया है. जबकि इन बूथों पर भी मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है.
जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट खुलासा हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश स्तर के नेता भले ही मुस्लिम इलाकों के बूथों पर मतदाताओं की अप्रत्याशित वृद्धि की वजह विदेशी घुसपैठियों को जो करार दे रहे हों, लेकिन जांच रिपोर्ट में यह आरोप टिक नहीं पा रहा है.
भाजपा नेता राकेश प्रसाद ने लगाए थे गंभीर आरोप
भाजपा नेता राकेश प्रसाद ने अपनी शिकायत में मुस्लिम इलाकों में मतदाताओं के अप्रत्याशित वृद्धि को गलत तरीके से सूची में नाम दर्ज कराने का आरोप लगाया था, लेकिन 12 अगस्त 2024 को पदाधिकारियों द्वारा समर्पित जांच रिपोर्ट जिसमें भाजपा से जुड़े दो नेताओं के भी हस्ताक्षर है इसमें भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष के लगाए गए आरोप से संबंधित कोई जिक्र नहीं है.
जांच में केवल मतदाता सूची का मिलान हुआ
जांच टीम में शामिल प्रदेश कार्य समिति सदस्य अनुग्रहित प्रसाद साह ने बताया कि पदाधिकारियों की टीम के साथ कई बूथों के मतदाताओं से पूछताछ की गई थी. उनका नाम मतदाता सूची से मिलान किया गया और कई आवश्यक दस्तावेज भी जांच की गई. जिसमें यह मामला सामने आया कि इन अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में जनसंख्या की वृद्धि ज्यादा हुई है और कई लोग एक बूथ से दूसरे बूथ में अपना नाम ट्रांसफर करा लिया है. साथ ही बहुत से ऐसे लोग मिले जो पश्चिम बंगाल से भी आकर बसे हैं.
बांग्लादेशी घुसपैठ की नहीं हुई जांच
भाजपा नेता ने कहा कि जहां तक बांग्लादेशी घुसपैठ की जांच की बात है तो इस जांच से इसका कोई संबंध नहीं है, क्योंकि मतदाताओं की अप्रत्याशित वृद्धि की जांच की गई है, न की बांग्लादेशी घुसपैठ का. उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठ की जांच के लिए शासन प्रशासन को अलग से व्यवस्था करनी होगी तभी जांच संभव है.
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