धनबादः कोयला कारोबारी प्रमोद सिंह के कई ठिकानों पर ईडी की छापेमारी चल रही है. धनबाद के सरायढेला थाना क्षेत्र के सहयोगी नगर फेज 3 स्थित प्रमोद सिंह के आवास पर अहले सुबह से ईडी की टीम छापेमारी कर रही है. प्रमोद सिंह पर आय से अधिक संपत्ति मामले को लेकर छापेमारी चल रही है. पूर्व में स्वास्थ्य विभाग में संविदा कर्मी रहते प्रमोद सिंह ने करोड़ों का घपला किया था. इसके अलावा अश्वनी शर्मा के घर पर भी ईडी की टीम ने दबिश दी है. धनबाद में प्रमोद सिंह के घर पर हुई ईडी की छापेमारी से अश्वनी शर्मा के तार जुड़े हैं.
बताते चलें कि झरिया सह जोड़ापोखर स्वास्थ्य केंद्र में हुए लगभग सात करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले में सरकार 5 साल पहले रेस हुई थी. सरकार के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने इस संबंध में पूर्व सिविल सर्जन डा. शशि भूषण सिंह को 15 अक्टूबर 2021 तक विभाग के समक्ष प्रस्तुत होकर स्पष्टीकरण का जवाब देने को कहा था.
उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि वे समय पर नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ झारखंड पेंशन नियमावली के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. उन्हें पेंशन के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है. विद्यानंद शर्मा ने कहा था कि एनआरएचएम घोटाले में पूर्व सिविल सर्जन डा. शशि भूषण सिंह और डा. अरुण कुमार सिन्हा के अलावा एसीबी ने 10 आरोपितों के खिलाफ केस किया है. पहली नजर में इनके खिलाफ साक्ष्य सही पाया गया है.
संयुक्त सचिव के अनुसार दो सितंबर 2021 को डॉ शशिभूषण के नियुक्ति पत्र में अंकित पते पर स्पष्टीकरण समर्पित करने के लिए पत्र भेजा गया था, लेकिन वह पत्र लौट आया. डाक विभाग को वहां ताला लगा मिला. डॉ. शशिभूषण का जवाब विभाग को नहीं मिल पाया था.
सात करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले की खबर मीडिया प्रकाशित हुई थी. इसमें बताया गया था कि इस घोटाले के एक आरोपित अश्विनी शर्मा को स्वास्थ्य विभाग ने दोबारा नौकरी पर रख लिया है. खबर प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ विभाग हरकत में आ गया और आरोपित कर्मी अश्विनी शर्मा को नौकरी से हटा दिया.
एनआरएचएम घोटाला 2016 में सामने आया था. इसके बाद 2019 से एसीबी ने जांच शुरू की. मुख्य आरोपित प्रमोद सिंह के साथ एसीबी ने दो पूर्व सिविल सर्जन समेत 10 कर्मियों को आरोपित बनाकर 2019 में केस किया. एसीबी ने माना कि दोनों पूर्व सिविल सर्जनों की अनदेखी के कारण रुपये का गबन हुआ था.
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