ETV Bharat / state

जलेबी के बिना अधूरा दशहरा मेला, जानें कैसे बिहार में दुर्गा पूजा से जुड़ी है ये मिठास

हरियाणा की जलेबी इन दिनों खूब सुर्खियां बढोरी. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बिहार में दुर्गा पूजा मेला और जलेबी का अटूट संबंध है.

author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

jalebi Sale increased in Masaurhi
जलेबी. (ETV Bharat)

पटनाः आज दशहरा धूमधाम से मनाया जा रहा है. दुर्ग पूजा या फिर कोई भी पर्व त्याोहर आने के साथ-साथ बिहार के ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में एक खास मिठास की खुशबू फैलने लगती है. यह मिठास है जलेबी की, जो न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि मेला घूमने के जश्न को और भी मीठा बना देती है. बिहार के हर नुक्कड़ और गली में मेला के समय सुबह जलेबी की खुशबू फैलने लगती है. मसौढ़ी के भी हर गली नुक्कड़ पर आज जलेबी की दुकान पर भीड़ देखी गयी.

मेला और जलेबी का अटूट बंधनः यह केवल मिठाई नहीं, बल्कि इस खास दिन की परंपरा का एक अहम हिस्सा है. चाहे कोई छोटा सा गांव हो या कस्बा, मेला में गरमा गरम जलेबी का स्वाद लेना मानो एक रस्म बन चुका है. मेला और जलेबी का यह अटूट बंधन यूं ही नहीं बना. यह मिठाई न केवल हमारे त्योहारों की शान है, बल्कि इसे बनाने और खाने का आनंद भी बेहद खास है. गोल-गोल घुमावदार जलेबियां, ताजे चीनी की चाशनी में डूबी हुई, मानो हमारे जीवन की मिठास और खुशहाली का प्रतीक हैं.

jalebi Sale increased in Masaurhi
बिक्री के लिए रखी जलेबी. (ETV Bharat)

भगवान राम को पसंद थी जलेबीः क्या आपने कभी सोचा कि मेला घूमने के दौरान आखिरकार लोग जलेबी खाने पर ही सबसे ज्यादा क्यों जोर देते हैं. दरअसल इसके पीछे कई कहानियां हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम को शशकुली नामक मिठाई बेहद पसंद थी. वे हर खुशी में जलेबी खाकर ही अपना मुंह मीठा करते थे. ऐसे में उनके भक्त भी उनके लिए जलेबी उपलब्ध कराने में लगे रहते हैं. भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान भी उनके लिए जलेबी उपलब्ध कराते थे.

बिहार की खासियत: बिहार में जलेबी का आनंद लेने का तरीका भी खास है. यहां की जलेबी का आकार और स्वाद दोनों ही अलग होते हैं. पूजा के अवसर पर लोग सुबह-सुबह उठकर जलेबी बनाने और उसे खाने की तैयारी करते हैं. दुकानदारों के लिए त्योहार का तीन से चार दिन व्यस्तता भरा होता है, क्योंकि इन दिनों जलेबी की मांग और बिक्री दोनों ही चरम पर होती है. मसौढ़ी में दशहरा में जलेबी खाने को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. मेला घूमने के दौरान देर रात तक लोगों ने जलेबी के स्वाद का आनंद उठाया.

"रावण वध के बाद भगवान राम ने जीत के जश्न में जलेबी खाया था. वे अपनी जीत का जश्न जलेबी खाकर ही मनाते थे. भगवान राम को शशकुली नामक मिठाई बेहद पसंद थी."- आचार्य गोपाल, मुख्य पुजारी, श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर

jalebi Sale increased in Masaurhi
जलेबी तैयार करता कारीगर. (ETV Bharat)

इसे भी पढ़ेंः पटना के मसौढ़ी में इस बार 50 फीट के रावण का होगा वध, जोर-शोर से तैयारी में जुटी दशहरा कमेटी - DURGA PUJA 2024

इसे भी पढ़ेंः आस्था या अंधविश्वास : छाता गांव में 'भूतों का मेला', प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए उमड़ी भीड़

पटनाः आज दशहरा धूमधाम से मनाया जा रहा है. दुर्ग पूजा या फिर कोई भी पर्व त्याोहर आने के साथ-साथ बिहार के ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में एक खास मिठास की खुशबू फैलने लगती है. यह मिठास है जलेबी की, जो न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि मेला घूमने के जश्न को और भी मीठा बना देती है. बिहार के हर नुक्कड़ और गली में मेला के समय सुबह जलेबी की खुशबू फैलने लगती है. मसौढ़ी के भी हर गली नुक्कड़ पर आज जलेबी की दुकान पर भीड़ देखी गयी.

मेला और जलेबी का अटूट बंधनः यह केवल मिठाई नहीं, बल्कि इस खास दिन की परंपरा का एक अहम हिस्सा है. चाहे कोई छोटा सा गांव हो या कस्बा, मेला में गरमा गरम जलेबी का स्वाद लेना मानो एक रस्म बन चुका है. मेला और जलेबी का यह अटूट बंधन यूं ही नहीं बना. यह मिठाई न केवल हमारे त्योहारों की शान है, बल्कि इसे बनाने और खाने का आनंद भी बेहद खास है. गोल-गोल घुमावदार जलेबियां, ताजे चीनी की चाशनी में डूबी हुई, मानो हमारे जीवन की मिठास और खुशहाली का प्रतीक हैं.

jalebi Sale increased in Masaurhi
बिक्री के लिए रखी जलेबी. (ETV Bharat)

भगवान राम को पसंद थी जलेबीः क्या आपने कभी सोचा कि मेला घूमने के दौरान आखिरकार लोग जलेबी खाने पर ही सबसे ज्यादा क्यों जोर देते हैं. दरअसल इसके पीछे कई कहानियां हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम को शशकुली नामक मिठाई बेहद पसंद थी. वे हर खुशी में जलेबी खाकर ही अपना मुंह मीठा करते थे. ऐसे में उनके भक्त भी उनके लिए जलेबी उपलब्ध कराने में लगे रहते हैं. भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान भी उनके लिए जलेबी उपलब्ध कराते थे.

बिहार की खासियत: बिहार में जलेबी का आनंद लेने का तरीका भी खास है. यहां की जलेबी का आकार और स्वाद दोनों ही अलग होते हैं. पूजा के अवसर पर लोग सुबह-सुबह उठकर जलेबी बनाने और उसे खाने की तैयारी करते हैं. दुकानदारों के लिए त्योहार का तीन से चार दिन व्यस्तता भरा होता है, क्योंकि इन दिनों जलेबी की मांग और बिक्री दोनों ही चरम पर होती है. मसौढ़ी में दशहरा में जलेबी खाने को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. मेला घूमने के दौरान देर रात तक लोगों ने जलेबी के स्वाद का आनंद उठाया.

"रावण वध के बाद भगवान राम ने जीत के जश्न में जलेबी खाया था. वे अपनी जीत का जश्न जलेबी खाकर ही मनाते थे. भगवान राम को शशकुली नामक मिठाई बेहद पसंद थी."- आचार्य गोपाल, मुख्य पुजारी, श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर

jalebi Sale increased in Masaurhi
जलेबी तैयार करता कारीगर. (ETV Bharat)

इसे भी पढ़ेंः पटना के मसौढ़ी में इस बार 50 फीट के रावण का होगा वध, जोर-शोर से तैयारी में जुटी दशहरा कमेटी - DURGA PUJA 2024

इसे भी पढ़ेंः आस्था या अंधविश्वास : छाता गांव में 'भूतों का मेला', प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए उमड़ी भीड़

Last Updated : 2 hours ago
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.