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ट्रांसपोर्टरों का करोड़ों रुपये बकाया, 6 साल से बेड रेस्ट पर, परिवार के साथ एंबुलेंस से पहुंचे जयपुर - Transporters Problems

कोटा संभाग के ठेकेदार जयपुर 22 गोदाम स्थित ऑफिस पहुंच गए हैं. अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर धरना दे रहे हैं. ट्रांसपोर्टरों का करोड़ों रुपये बकाया.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

Dues of Crores Rupees
परिवार के साथ एंबुलेंस से पहुंच रहे जयपुर (ETV Bharat Kota)

कोटा/जयपुर: न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हुई खरीद के माल को ट्रांसपोर्ट कर गंतव्य तक पहुंचने वाले ठेकेदारों के करोड़ों रुपये सालों से बकाया हैं. यह ट्रांसपोर्टर हर तरह से अपना पैसा मांग चुके हैं, लेकिन इन्हें राजफैड के जरिए भुगतान नहीं हो रहा है. इस मामले को लेकर कोटा संभाग के ठेकेदार जयपुर 22 गोदाम स्थित राजफैड के ऑफिस पहुंच गए हैं, जहां पर वह अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर धरना दे रहे हैं. इसमें एक ठेकेदार बेड रेस्ट पर भी हैं, जो चलना फिरना तो दूर हिलडुल भी नहीं सकते. उन्हें एंबुलेंस के जरिए ले जाया गया है और उनकी पत्नी भी साथ में गई हैं. उनके करीब दो करोड़ से ज्यादा रुपये बकाया हैं.

ट्रांसपोर्टर संजय गोयल बीते कई सालों से बेड रेस्ट पर हैं. ऐसे में उनकी पत्नी संतोष उन्हें लेकर सोमवार सुबह जयपुर पहुंच गईं और 22 गोदाम स्थित राजफैड के ऑफिस में पहुंच गईं. संतोष का कहना है कि संजय गोयल के स्पाइन की प्रॉब्लम है. बेड से हिलडुल नहीं सकते. खाने से लेकर सभी नित्य क्रियाएं वे बेड पर ही करते हैं. ऐसी स्थिति होने के बावजूद भी सरकार उनका भुगतान नहीं कर रही है. करोड़ों रुपये उनके बकाया हैं. बीमार आदमी को परेशान किया जा रहा है. बार-बार वह जहर देकर मारने की बात कहने लग गए हैं.

पढे़ं : एसआई भर्ती : परीक्षा निरस्त करने की मांग, अभ्यर्थी बोले- कमेटी गठित कर सरकार ने की औपचारिकता - Rajasthan SI Recruitment

जैसे-जैसे पैसा आ रहा है वैसे कर रहे भुगतान, अभी अधिकारियों ने जयपुर बुलाया : राजफैड कोटा के कार्यवाहक क्षेत्रीय अधिकारी विष्णुदत्त शर्मा का कहना है कि जैसे ही आगे से भुगतान आ रहा है, वैसे ही पैसा दे रहे हैं. बीते एक माह में 1.28 करोड़ बकाया दिया है. अभी 3.85 नैफेड खरीद का बकाया है. वहीं, एफसीआई की खरीद का भी तीन करोड़ बकाया है, जिसके लिए भी प्रयासरत हैं. यह पूरा भुगतान जयपुर ऑफिस के जरिए ही किया जाना है. इस संबंध में हाल ही में हुई एनुअल जनरल मीटिंग में भी समिति के अध्यक्षों ने मुद्दा उठाया था. शर्मा का कहना है कि कुछ देर पहले ही अधिकारियों ने इनके भुगतान से संबंधित सूचना मांगी थी. इसके बाद हमें यह सूचना लेकर जयपुर बुलाया है.

2020 के बाद से है बकाया पैसा : ट्रांसपोर्टर दीपक अग्रवाल का कहना है कि साल 2020 के बाद ही उनका भुगतान हर साल बकाया रह जाता था. टेंडर नहीं डालने पर प्रशासन और अधिकारी उन्हें भुगतान का आश्वासन देते. इसके बाद में अगले साल भी माल को परिवहन कर देते थे. ऐसे में उन्हें कुछ भुगतान मिल जाता था और शेष बाकी रह जाता था. यह भुगतान हाड़ौती के चारों जिलों के ट्रांसपोर्टर का करीब 8 करोड़ के आसपास था. इनमें से कुछ भुगतान हमें दिया गया है, लेकिन अभी भी बाकी है. इसमें 2022 से लेकर 2023 और अप्रैल 2024 तक का भुगतान शेष है.

कोटा/जयपुर: न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हुई खरीद के माल को ट्रांसपोर्ट कर गंतव्य तक पहुंचने वाले ठेकेदारों के करोड़ों रुपये सालों से बकाया हैं. यह ट्रांसपोर्टर हर तरह से अपना पैसा मांग चुके हैं, लेकिन इन्हें राजफैड के जरिए भुगतान नहीं हो रहा है. इस मामले को लेकर कोटा संभाग के ठेकेदार जयपुर 22 गोदाम स्थित राजफैड के ऑफिस पहुंच गए हैं, जहां पर वह अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर धरना दे रहे हैं. इसमें एक ठेकेदार बेड रेस्ट पर भी हैं, जो चलना फिरना तो दूर हिलडुल भी नहीं सकते. उन्हें एंबुलेंस के जरिए ले जाया गया है और उनकी पत्नी भी साथ में गई हैं. उनके करीब दो करोड़ से ज्यादा रुपये बकाया हैं.

ट्रांसपोर्टर संजय गोयल बीते कई सालों से बेड रेस्ट पर हैं. ऐसे में उनकी पत्नी संतोष उन्हें लेकर सोमवार सुबह जयपुर पहुंच गईं और 22 गोदाम स्थित राजफैड के ऑफिस में पहुंच गईं. संतोष का कहना है कि संजय गोयल के स्पाइन की प्रॉब्लम है. बेड से हिलडुल नहीं सकते. खाने से लेकर सभी नित्य क्रियाएं वे बेड पर ही करते हैं. ऐसी स्थिति होने के बावजूद भी सरकार उनका भुगतान नहीं कर रही है. करोड़ों रुपये उनके बकाया हैं. बीमार आदमी को परेशान किया जा रहा है. बार-बार वह जहर देकर मारने की बात कहने लग गए हैं.

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जैसे-जैसे पैसा आ रहा है वैसे कर रहे भुगतान, अभी अधिकारियों ने जयपुर बुलाया : राजफैड कोटा के कार्यवाहक क्षेत्रीय अधिकारी विष्णुदत्त शर्मा का कहना है कि जैसे ही आगे से भुगतान आ रहा है, वैसे ही पैसा दे रहे हैं. बीते एक माह में 1.28 करोड़ बकाया दिया है. अभी 3.85 नैफेड खरीद का बकाया है. वहीं, एफसीआई की खरीद का भी तीन करोड़ बकाया है, जिसके लिए भी प्रयासरत हैं. यह पूरा भुगतान जयपुर ऑफिस के जरिए ही किया जाना है. इस संबंध में हाल ही में हुई एनुअल जनरल मीटिंग में भी समिति के अध्यक्षों ने मुद्दा उठाया था. शर्मा का कहना है कि कुछ देर पहले ही अधिकारियों ने इनके भुगतान से संबंधित सूचना मांगी थी. इसके बाद हमें यह सूचना लेकर जयपुर बुलाया है.

2020 के बाद से है बकाया पैसा : ट्रांसपोर्टर दीपक अग्रवाल का कहना है कि साल 2020 के बाद ही उनका भुगतान हर साल बकाया रह जाता था. टेंडर नहीं डालने पर प्रशासन और अधिकारी उन्हें भुगतान का आश्वासन देते. इसके बाद में अगले साल भी माल को परिवहन कर देते थे. ऐसे में उन्हें कुछ भुगतान मिल जाता था और शेष बाकी रह जाता था. यह भुगतान हाड़ौती के चारों जिलों के ट्रांसपोर्टर का करीब 8 करोड़ के आसपास था. इनमें से कुछ भुगतान हमें दिया गया है, लेकिन अभी भी बाकी है. इसमें 2022 से लेकर 2023 और अप्रैल 2024 तक का भुगतान शेष है.

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