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फिर थमेंगी DTC की बसें!, 41 लाख यात्रियों की बढ़ सकती है मुसीबत, कर्मचारियों ने दिया दिल्ली सरकार को अल्टीमेटम - DTC EMPLOYEE STRIKE UPDATE

-डीटीसी कर्मचारियों के हड़ताल से 41 लाख लोगों को होगी सफर में परेशानी, आप सरकार चुनावी माहौल का फायदा उठाकर मांगों को कर रही नजरअंदाज.

DTC कर्मचारी फिर से कर सकते हैं हड़ताल
DTC कर्मचारी फिर से कर सकते हैं हड़ताल (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 29, 2024, 6:50 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों में नाराजगी एक बार फिर चरम की ओर बढ़ रही है. एक महीने पहले मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा की गई घोषणाओं पर अमल न होने के कारण ये कर्मचारी फिर से सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. कर्मचारियों की हड़ताल से दिल्ली की सड़कों पर बसों का संचालन बंद हो सकता है. इसका सीधा असर रोजाना बसों में सफर करने वाले करीब 41 लाख यात्रियों पर पड़ेगा.

घोषणाओं पर अमल न होने से नाराजगीः डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के अध्यक्ष ललित चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री आतिशी ने 9 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कर्मचारियों के वेलफेयर के लिए योजनाओं की घोषणा की थी. लेकिन अभी भी डीटीसी बोर्ड की बैठक तक नहीं बुलाई गई है, जिससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है. चौधरी का कहना है कि सरकार के वादे केवल पोस्टरों और भाषणों तक ही सिमट के रह गए हैं. आम आदमी पार्टी के विधायक अपने इलाकों में पोस्टर लगाकर वाहवाही लूट रहे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ भी लागू नहीं हुआ. ऐसे में अब कर्मचारी हमसे जवाब मांग रहे हैं.

डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि 30 दिसंबर तक सरकार ने आदेश जारी नहीं किया, तो वे हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे. डीटीसी कर्मचारी पहले भी हड़ताल कर चुके हैं. इससे दिल्ली की सड़कों पर बसों का संचालन ठप हो गया था. इसके बाद मुख्यमंत्री आतिशी ने मामले में हस्तक्षेप किया और मांगे मानने का आश्वासन दिया था. वहीं, ललित चौधरी का कहना है कि दिल्ली सरकार में विधायक कुलदीप कुमार से बात हुई तो विधायक ने कहा कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी डीटीसी कर्मचारियों की मांग की फाइल पर काम नहीं कर रहे हैं.

सोशल मीडिया पर हैशटैग चलाकर विरोधः डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर #DTC_Release_Circular हैशटैग चलाया गया है. इस हैशटैग पर हजारों पोस्ट किए गए हैं. जिनमें कर्मचारियों की नाराजगी और उनकी मांगों को उजागर किया गया. इस हैशटैग पर मुख्यमंत्री आतिशी व केजरीवाल को टैग करते हुए पोस्ट डाली गई है, जिसमें डीटीसी के 27 हजार कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी और उनका परिवार आपके किए गए वादों का इंतजार कर रही है, कृपया सर्कुलर रिलीज किया जाए.

आने वाले दिनों में बढ़ सकती है परेशानीः दिल्ली में बसों में करीब 41 लाख यात्री रोजाना सफर कर गंतव्य तक जाते हैं. अगर डीटीसी कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं, तो दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन पर भारी असर पड़ेगा. लाखों यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. डीटीसी कर्मचारियों की नाराजगी सरकार के लिए एक बड़ा संकट बन सकती है. समय रहते अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो दिल्ली की सड़कों पर एक बार फिर प्रदर्शन और हड़ताल का माहौल बन सकता है.

DTC कर्मचारी फिर से कर सकते हैं हड़ताल (ETV BHARAT)

सरकार की चुप्पी पर सवालः DTC कर्मचारियों का कहना है कि सरकार चुनावी माहौल का फायदा उठाकर उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है. कर्मचारियों को डर है कि अगर चुनाव की घोषणा हो गई और आचार संहिता लागू हो जाएगी तो उनकी मांगें लंबित हो जाएंगी. यदि सरकार डीटीसी कर्मचारियों के मामले में कुछ ठोस कदम नहीं उठाती है तो आगामी विधानसभा चुनाव में भी इसका असर देखने को मिलेगा और आम आदमी पार्टी को नुकसान हो सकता है.

परिवहन मंत्री दे चुके हैं इस्तीफाः कैलाश गहलोत दिल्ली के परिवहन मंत्री थे. नवंबर में डीटीसी कर्मचारियों की हड़ताल चल रही थी. 16 नवंबर को कैलाश गहलोत ने सरोजिनी नगर में महिलाओं के लिए डेडिकेटेड पिंक बस डिपो का उद्घाटन किया. इस दौरान डीटीसी कर्मचारियों ने अपनी मांगे न पूरी होने पर जमकर विरोध किया था. इसके अगले दिन कैलाश गहलोत ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. साथ ही पार्टी भी छोड़ दी. फिलहाल वह अब भारतीय जनता पार्टी में हैं.

डीटीसी कर्मचारी इन मांगों को लेकर हैं नाराज:

  1. सैलरी बढ़ोतरी: सरकार ने वादा किया था, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया. कर्मचारियों ने बेसिक डीए व ग्रेड पे की मांग की थी.
  2. मेडिकल सुविधाएं: कर्मचारियों को मेडिकल लाभ नहीं मिल रहे. ईएसआई की भी सुविधा कर्मचारियों को नहीं मिल रही है. इससे कर्मचारी परेशान हैं.
  3. साप्ताहिक अवकाश और छुट्टियां: पक्के कर्मचारियों की तरह वीक ऑफ और छुट्टियों की सुविधा की मांग की गई थी. अभी तक साप्ताहिक अवकाश तक नहीं मिल रहा है.
  4. घर के नजदीक तैनाती: कर्मचारियों को उनके निवास के पास डिपो में तैनात करने की मांग की थी. जिससे कि वह समय पर ड्यूटी पर पहुंच सकें. बड़ी संख्या में कर्मचारियों का तबादला दूर-दूर के डिपो में कर दिया गया था.

दिल्ली में बसों का भी गहरा रहा संकटः दिल्ली में वर्तमान में 7454 बसों का संचालन हो रहा है. इसमें से 2002 इलेक्ट्रिक बसें हैं. दिल्ली सरकार ने लक्ष्य रखा था कि वर्ष 2025 के अंत तक 10,480 नई बसों को दिल्ली की सड़कों पर उतारेंगे. इसमें 80 प्रतिशत बसें इलेक्ट्रिक होंगी. लेकिन सरकार अपने इस लक्ष्य से बहुत पीछे है. दिल्ली में डीटीसी के बेड़े में चल रही करीब 90 प्रतिशत सीएनजी बसें ओवरएज हो चुकी हैं. विशेष अनुमति लेकर इनका संचालन किया जा रहा है, यही वजह है कि रोजाना बसें चलते हुए सड़क पर खराब हो रही हैं. इससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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नई दिल्लीः दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों में नाराजगी एक बार फिर चरम की ओर बढ़ रही है. एक महीने पहले मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा की गई घोषणाओं पर अमल न होने के कारण ये कर्मचारी फिर से सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. कर्मचारियों की हड़ताल से दिल्ली की सड़कों पर बसों का संचालन बंद हो सकता है. इसका सीधा असर रोजाना बसों में सफर करने वाले करीब 41 लाख यात्रियों पर पड़ेगा.

घोषणाओं पर अमल न होने से नाराजगीः डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के अध्यक्ष ललित चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री आतिशी ने 9 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कर्मचारियों के वेलफेयर के लिए योजनाओं की घोषणा की थी. लेकिन अभी भी डीटीसी बोर्ड की बैठक तक नहीं बुलाई गई है, जिससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है. चौधरी का कहना है कि सरकार के वादे केवल पोस्टरों और भाषणों तक ही सिमट के रह गए हैं. आम आदमी पार्टी के विधायक अपने इलाकों में पोस्टर लगाकर वाहवाही लूट रहे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ भी लागू नहीं हुआ. ऐसे में अब कर्मचारी हमसे जवाब मांग रहे हैं.

डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि 30 दिसंबर तक सरकार ने आदेश जारी नहीं किया, तो वे हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे. डीटीसी कर्मचारी पहले भी हड़ताल कर चुके हैं. इससे दिल्ली की सड़कों पर बसों का संचालन ठप हो गया था. इसके बाद मुख्यमंत्री आतिशी ने मामले में हस्तक्षेप किया और मांगे मानने का आश्वासन दिया था. वहीं, ललित चौधरी का कहना है कि दिल्ली सरकार में विधायक कुलदीप कुमार से बात हुई तो विधायक ने कहा कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी डीटीसी कर्मचारियों की मांग की फाइल पर काम नहीं कर रहे हैं.

सोशल मीडिया पर हैशटैग चलाकर विरोधः डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर #DTC_Release_Circular हैशटैग चलाया गया है. इस हैशटैग पर हजारों पोस्ट किए गए हैं. जिनमें कर्मचारियों की नाराजगी और उनकी मांगों को उजागर किया गया. इस हैशटैग पर मुख्यमंत्री आतिशी व केजरीवाल को टैग करते हुए पोस्ट डाली गई है, जिसमें डीटीसी के 27 हजार कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी और उनका परिवार आपके किए गए वादों का इंतजार कर रही है, कृपया सर्कुलर रिलीज किया जाए.

आने वाले दिनों में बढ़ सकती है परेशानीः दिल्ली में बसों में करीब 41 लाख यात्री रोजाना सफर कर गंतव्य तक जाते हैं. अगर डीटीसी कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं, तो दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन पर भारी असर पड़ेगा. लाखों यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. डीटीसी कर्मचारियों की नाराजगी सरकार के लिए एक बड़ा संकट बन सकती है. समय रहते अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो दिल्ली की सड़कों पर एक बार फिर प्रदर्शन और हड़ताल का माहौल बन सकता है.

DTC कर्मचारी फिर से कर सकते हैं हड़ताल (ETV BHARAT)

सरकार की चुप्पी पर सवालः DTC कर्मचारियों का कहना है कि सरकार चुनावी माहौल का फायदा उठाकर उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है. कर्मचारियों को डर है कि अगर चुनाव की घोषणा हो गई और आचार संहिता लागू हो जाएगी तो उनकी मांगें लंबित हो जाएंगी. यदि सरकार डीटीसी कर्मचारियों के मामले में कुछ ठोस कदम नहीं उठाती है तो आगामी विधानसभा चुनाव में भी इसका असर देखने को मिलेगा और आम आदमी पार्टी को नुकसान हो सकता है.

परिवहन मंत्री दे चुके हैं इस्तीफाः कैलाश गहलोत दिल्ली के परिवहन मंत्री थे. नवंबर में डीटीसी कर्मचारियों की हड़ताल चल रही थी. 16 नवंबर को कैलाश गहलोत ने सरोजिनी नगर में महिलाओं के लिए डेडिकेटेड पिंक बस डिपो का उद्घाटन किया. इस दौरान डीटीसी कर्मचारियों ने अपनी मांगे न पूरी होने पर जमकर विरोध किया था. इसके अगले दिन कैलाश गहलोत ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. साथ ही पार्टी भी छोड़ दी. फिलहाल वह अब भारतीय जनता पार्टी में हैं.

डीटीसी कर्मचारी इन मांगों को लेकर हैं नाराज:

  1. सैलरी बढ़ोतरी: सरकार ने वादा किया था, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया. कर्मचारियों ने बेसिक डीए व ग्रेड पे की मांग की थी.
  2. मेडिकल सुविधाएं: कर्मचारियों को मेडिकल लाभ नहीं मिल रहे. ईएसआई की भी सुविधा कर्मचारियों को नहीं मिल रही है. इससे कर्मचारी परेशान हैं.
  3. साप्ताहिक अवकाश और छुट्टियां: पक्के कर्मचारियों की तरह वीक ऑफ और छुट्टियों की सुविधा की मांग की गई थी. अभी तक साप्ताहिक अवकाश तक नहीं मिल रहा है.
  4. घर के नजदीक तैनाती: कर्मचारियों को उनके निवास के पास डिपो में तैनात करने की मांग की थी. जिससे कि वह समय पर ड्यूटी पर पहुंच सकें. बड़ी संख्या में कर्मचारियों का तबादला दूर-दूर के डिपो में कर दिया गया था.

दिल्ली में बसों का भी गहरा रहा संकटः दिल्ली में वर्तमान में 7454 बसों का संचालन हो रहा है. इसमें से 2002 इलेक्ट्रिक बसें हैं. दिल्ली सरकार ने लक्ष्य रखा था कि वर्ष 2025 के अंत तक 10,480 नई बसों को दिल्ली की सड़कों पर उतारेंगे. इसमें 80 प्रतिशत बसें इलेक्ट्रिक होंगी. लेकिन सरकार अपने इस लक्ष्य से बहुत पीछे है. दिल्ली में डीटीसी के बेड़े में चल रही करीब 90 प्रतिशत सीएनजी बसें ओवरएज हो चुकी हैं. विशेष अनुमति लेकर इनका संचालन किया जा रहा है, यही वजह है कि रोजाना बसें चलते हुए सड़क पर खराब हो रही हैं. इससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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