पटनाः 5जी के जमाने में लोग सभी काम मोबाइल और और कंप्यूटर पर कर रहे हैं. इस कारण लोग स्वास्थ्य समस्याओं से भी जूझत हैं. मोबाइल और कंप्यूटर पर काम करने से सबसे ज्यादा समस्या आंख को होती है. स्क्रीन टाइम अधिक होने के कारण ड्राई आईज की समस्या आम बात हो गयी है. लोग आंखों को ठीक करने के लिए तरह तरह की दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो आगे चलकर नुकसान दायक होगा.
आई ड्रॉप खतरनाकः ड्राई आईज की समस्या से निपटने के लिए लोग बाजार से तरह-तरह के आई ड्रॉप खरीद ले रहे हैं. आंखों में डालना शुरू कर दे रहे हैं. लेकिन यह आंखों की सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक हो रहा है. यह आंखों की रोशनी तक छिन सकता है. ऐसे में लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है. सवाल है तो आखिर में क्या करें जिससे ड्राई आईज की समस्या को खत्म किया जा सके. इसके बारे में आईजीआईएमएस के नेत्र रोक विशेषज्ञ ने खास जानकारी दी.
काला मोतिया का खतराः नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विभूति सिन्हा ने बताया कि लंबे समय तक बिना चिकित्सीय परामर्श के एस्टेरॉइड वाले आई ड्रॉप के इस्तेमाल से ग्लूकोमा अथवा काला मोतिया का खतरा बढ़ गया है. एस्टेरॉइड वाले आई ड्रॉप का अधिक इस्तेमाल से आंखों में प्रेशर बढ़ता है. प्रेशर बढ़ने से ऑप्टिकल नर्व डैमेज होती है. जिससे मरीज ग्लूकोमा का शिकार हो जाता है.
"ड्राई आईज की समस्या पर आई ड्रॉप जो उपयोग किए जाते हैं उसमें स्टेरॉयड की मात्रा होती है. लंबे समय तक इसका उपयोग आंखों की रोशनी छीन सकता है. ग्लूकोमा के अधिकांश मरीज जो अस्पताल में आ रहे हैं उनमें एस्टेरॉइड वाले आई ड्रॉप लेने की हिस्ट्री मिल रही है." -डॉक्टर विभूति सिन्हा, नेत्र रोग विशेषज्ञ
क्या है घरेलु उपाय? डॉ विभूति सिन्हा ने बताया कि ड्राई आईज की समस्या हो रही है तो कुछ देर के लिए स्क्रीन देखना बंद करें. आंखों को ठंडे पानी से धोएं. आंखों पर तेज पानी का छिंटा ना मारे. आंखों की बर्फ से सेकाई करें. इसके अलावा खीरा अथवा आलू काटकर उसके स्लाइस को कुछ समय के लिए आंखों पर रखें. इससे आंखों को ठंडक मिलती है.
बिना डॉक्टरी सलाह ड्रॉप नहीं डालेंः ड्राई आईज की समस्या अधिक परेशान कर रही है तो नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें. खुद से कोई भी आई ड्रॉप खरीद कर उसका इस्तेमाल नहीं करें. खाने-पीने में ताजी हरी सब्जियों का सेवन करें इसके अलावा विटामिन बी6 और विटामिन सी के साथ-साथ फैटी एसिड युक्त भोजन का सेवन करें. इससे इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा.
यह भी पढ़ेंः बच्चों के लिए घातक है यह वायरस, संक्रमित 45 से 75 फीसदी की मौत, बिहार में क्या है तैयारी? - CHANDIPURA VIRUS HEALTH