पाकुड़: जिस शहरी जलापूर्ति योजना का लाभ लेने के लिए बीते 12 वर्षों से नगर परिषद क्षेत्र के लगभग 60 हजार लोग इंतजार कर रहे थे, अब उनका इंतजार जल्द खत्म होने वाला है. 40 करोड़ 70 लाख रुपये की राशि से शहरी जलापूर्ति योजना के तहत पश्चिम बंगाल के पुठीमारी गंगा में बनाए गए इंटकवेल से पाकुड़ नगर परिषद क्षेत्र के बल्लभपुर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी पहुंच गया है.
पहले फेज में छह वार्डों में होगी पानी की सप्लाई
पहले चरण में शहरी जलापूर्ति योजना को धरातल पर उतारने वाली एजेंसी पेयजल स्वच्छता विभाग कालिकापुर जलमीनार से 6 वार्डों के लोगों को पीने का पानी पहुंचाने का काम प्रयोग के तौर पर करेगा और उसके बाद शहरी क्षेत्र के सभी 21 वार्डों में गंगा का पानी लोगों के घरों तक पाइपलाइन के जरिये पहुंचाया जाएगा.
वर्ष के अंत तक पूरे शहर होगी पानी की सप्लाई
पाकुड़ डीसी मृत्युंजय कुमार बरनवाल की माने तो इस वर्ष के अंत तक शहर के सभी वार्डों में पाइपलाइन के माध्यम से शहरी जलापूर्ति योजना से लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जाएगा. इस योजना के क्रियाशील होने से शहरवासियों को न केवल पेयजल समस्या से मुक्ति मिलेगी, बल्कि जलस्तर के नीचे चले जाने की समस्या से भी लोगों को निजात मिलेगी.
2011-12 में योजना को मिली थी स्वीकृति
बता दें कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में नगर विकास विभाग ने शहरी जलापूर्ति योजना को धरातल पर उतारने का फैसला लिया था. वित्तीय वर्ष 2011-12 में 40 करोड़ 70 लाख रुपये की योजना की स्वीकृति दी गयी थी. योजना चालू भी हुई, लेकिन बीच में ही संवेदक के काम छोड़कर भाग जाने के कारण इसकी प्रगति धीमी पड़ गई.
इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल और रेल प्रशासन से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में भी विलंब होने की वजह से योजना का काम तय समय सीमा 2017 तक पूरा नहीं हो पाया. शहरी जलापूर्ति योजना की धीमी प्रगति को लेकर कई संगठनों द्वारा आंदोलन किया गया था. साथ ही शासन-प्रशासन से भी पत्राचार किया गया.
पाकुड़ डीसी का प्रयास लाया रंग
योजना की धीमी प्रगति को लेकर डीसी मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने नगर परिषद, पेयजल स्वच्छता विभाग और संवेदक के साथ समीक्षा बैठक की थी और उनकी समस्याओं से अवगत होने के बाद संबंधित विभागों के पदाधिकारियों से संपर्क किया था.
इस योजना को गति देने के लिए डीसी के स्तर से समय-समय पर निगरानी और अनुश्रवण किया जाता रहा, जिसका परिणाम यह निकला कि इंटकवेल से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक गंगा का पानी पहुंच गया है.
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