लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या उसके पास हाईकोर्ट के राज्य विधि अधिकारियों के लिए ऐसी कोई योजना है जिसके तहत दुर्घटना आदि की स्थिति में उनकी आर्थिक मदद की जा सके. न्यायालय ने यह जानकारी भी मांगी है कि हाईकोर्ट सहित प्रदेश के तमाम सरकारी वकीलों के लिए क्या कोई बीमा योजना है?. इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार से उम्मीद जताई है कि दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल स्टैंडिग काउंसिल (स्थायी अधिवक्ता) नीरज चौरसिया के इलाज का खर्चा डिस्ट्रेस फंड या अन्य किसी स्रोत से पूरा किया जाए. जिससे उनकी जान बचाई जा सके. न्यायालय ने सरकारी वकील से कहा है कि वह आदेश से तत्काल सरकार को अवगत कराएं. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार तय की है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अधिवक्ता एचपी गुप्ता की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया. याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट में स्टैंडिग काउंसिल नीरज चैरसिया का 28 मई को उनके घर के पास एक्सीडेंट हो गया है. इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए. उनका इलाज गोमती नगर के एक अस्पताल में चल रहा है.
इलाज में प्रतिदिन पचास हजार रुपये का खर्च आ रहा है. इसे उनका परिवार वहन करने मे सक्षम नहीं है. कहा गया कि अवध बार एसोसिएशन ने एक लाख रुपये की मदद की है, लेकिन यह नाकाफी है. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के तमाम सरकारी अधिवक्ताओं की सैलरी 2016 से नहीं बढ़ी है जबकि इस बीच सरकार के अन्य कर्मचारियों की सैलरी में काफी इजाफा हुआ है. इस पर संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने गत 29 मई को मुख्यमंत्री, महाधिवक्ता और राज्य सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि सभी सरकारी अधिवक्ताओं की सैलरी में समुचित बढ़ोतरी की जाए.
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