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बच्चे को कंधे पर लेकर इधर से उधर भागते रहे परिजन, डॉक्टरों की हड़ताल ने ली मासूम की जान - doctors strike - DOCTORS STRIKE

Child Died In Nalanda: डॉक्टरों के हड़ताल ने एक तीन साल के बच्चे की बलि ले ली. खेलने के दौरान बच्चा तालाब में गिर गया था. परिजन उसे आनन-फानन में नालंदा सदर अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन इमरजेंसी में कोई डॉक्टर नहीं था. वहीं शव को परिजन बाइक पर लेकर अपने गांव वापस चले गए.

नालंदा में बच्चे की मौत
नालंदा में बच्चे की मौत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 17, 2024, 5:28 PM IST

Updated : Aug 17, 2024, 6:08 PM IST

हड़ताल के कारण बच्चे की गई जान (ETV Bharat)

नालंदा: बिहार की शिक्षा और स्वास्थ व्यवस्था अक्सर अपने कारनामों से सुर्खियों में बनी रहती है. ताजा मामला नालंदा जिले के एक मात्र ISO प्रमाणित सदर अस्पताल बिहारशरीफ का है, जहां एक 3 वर्षीय बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गयी.

इमरजेंसी सेवा बंद रहने के कारण बच्चे की मौत: बच्चा तालाब में डूब गया था, जिसे आनन-फानन में परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे. लेकिन इमरजेंसी में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था. परिजन आधे घंटे तक इधर से उधर भटकते रहे. किसी तरह से आधे घंटे बाद उसका इलाज शुरू हुआ, लेकिन तबतक मासूम की जान चली गई.

"बच्चे की उम्र तीन साल है. अस्पताल में कोई देखने वाला नहीं है. बच्चा तालाब में डूब गया था. अस्पताल में कोई नहीं है."- बच्चे के पड़ोसी

तालाब में डूब गया था मासूम: दरअसल नालंदा थाना क्षेत्र के बिदुपुर गांव निवासी सोनू भारती का 3 वर्षीय पुत्र टुगू कुमार खेलने के दौरान पास के छठ घाट के तालाब में डूब गया. जब परिजनों ने खोजबीन शुरू की तो वह पानी में डूबा मिला. जिसके बाद परिजन इलाज के लिए टुगू को निजी क्लीनिक ले गए, जहां मासूम की नाजुक हालात को देखते हुए सदर अस्पताल बिहारशरीफ लेकर आए.

समय पर नहीं मिला इलाज: जब इमरजेंसी गए तो वहां से बच्चा वार्ड SNCU ले गए. वहां करीब आधा घंटे तक डॉक्टर का इंतजार करते रहे. फिर खुद से इलाज करने लगे. उसके बाद SNCU सिक्योरिटी गार्ड ने कहा कि इमरजेंसी के डॉक्टर शव का पोस्टमार्टम करने गए थे. उसके बाद गार्ड के सहयोग से इमरजेंसी में भर्ती कर ANM और प्रशिक्षु ने इलाज शुरू किया.

ANM ने किया बच्चे का इलाज: ने 20 से 25 मिनट तक बच्चे का इलाज किया गया, फिर उसे मृत घोषित कर दिया गया.. इसके बाद परिजन बच्चे के शव को बाइक से वापस लेकर चले गए. आपको बता दें कि कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ हुई दरिंदगी को लेकर शनिवार को IMA के आह्वान पर सरकारी व गैर सरकारी क्लीनिक में इमरजेंसी सेवा छोड़कर सभी सेवाएं बाधित है.

हड़ताल से मरीजों को भारी परेशानी: इमरजेंसी सेवा बाधित होने के चलते मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हड़ताल पर रहने के कारण इमरजेंसी वार्ड में एक ही चिकित्सक थे जो पोस्टमार्टम करने में लगे थे. जिसके कारण काफी देरी से इलाज शुरू हुआ. सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि बालक की मौत के बाद शव को बाइक से ले जाया गया और सभी लोग तमाशबीन बने रहे.

सीएस ने क्या कहा: ये है सुशासन बाबू नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र की स्वास्थ व्यवस्था, जहां हाल ही में मिशन-60 और क्वालिटी के तहत करोड़ों रुपए खर्च हुए. बावजूद इसके सूरत तो बदल गई लेकिन सीरत जस की तस है. वहीं, इस संबंध में नालंदा सीएस डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मैं मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से अभी लौटा हूं, और मुझे इस घटना की जानकारी नहीं है.

"अभी जाकर SNCU का निरीक्षण करते हैं. शव वाहन किसी को लेकर कहीं गया होगा. इसलिए बाइक से शव को लेकर परिजन गए हैं."- डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह, सीएस नालंदा

क्यों बंद हैं इमरजेंसी सेवा: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने गुरुवार को 17 अगस्त को 24 घंटे के देशव्यापी स्वास्थ्य सेवाओं के बंद का ऐलान किया था. आईएमए ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर के खिलाफ बंद का आह्वान किया है.

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हड़ताल के कारण बच्चे की गई जान (ETV Bharat)

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इमरजेंसी सेवा बंद रहने के कारण बच्चे की मौत: बच्चा तालाब में डूब गया था, जिसे आनन-फानन में परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे. लेकिन इमरजेंसी में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था. परिजन आधे घंटे तक इधर से उधर भटकते रहे. किसी तरह से आधे घंटे बाद उसका इलाज शुरू हुआ, लेकिन तबतक मासूम की जान चली गई.

"बच्चे की उम्र तीन साल है. अस्पताल में कोई देखने वाला नहीं है. बच्चा तालाब में डूब गया था. अस्पताल में कोई नहीं है."- बच्चे के पड़ोसी

तालाब में डूब गया था मासूम: दरअसल नालंदा थाना क्षेत्र के बिदुपुर गांव निवासी सोनू भारती का 3 वर्षीय पुत्र टुगू कुमार खेलने के दौरान पास के छठ घाट के तालाब में डूब गया. जब परिजनों ने खोजबीन शुरू की तो वह पानी में डूबा मिला. जिसके बाद परिजन इलाज के लिए टुगू को निजी क्लीनिक ले गए, जहां मासूम की नाजुक हालात को देखते हुए सदर अस्पताल बिहारशरीफ लेकर आए.

समय पर नहीं मिला इलाज: जब इमरजेंसी गए तो वहां से बच्चा वार्ड SNCU ले गए. वहां करीब आधा घंटे तक डॉक्टर का इंतजार करते रहे. फिर खुद से इलाज करने लगे. उसके बाद SNCU सिक्योरिटी गार्ड ने कहा कि इमरजेंसी के डॉक्टर शव का पोस्टमार्टम करने गए थे. उसके बाद गार्ड के सहयोग से इमरजेंसी में भर्ती कर ANM और प्रशिक्षु ने इलाज शुरू किया.

ANM ने किया बच्चे का इलाज: ने 20 से 25 मिनट तक बच्चे का इलाज किया गया, फिर उसे मृत घोषित कर दिया गया.. इसके बाद परिजन बच्चे के शव को बाइक से वापस लेकर चले गए. आपको बता दें कि कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ हुई दरिंदगी को लेकर शनिवार को IMA के आह्वान पर सरकारी व गैर सरकारी क्लीनिक में इमरजेंसी सेवा छोड़कर सभी सेवाएं बाधित है.

हड़ताल से मरीजों को भारी परेशानी: इमरजेंसी सेवा बाधित होने के चलते मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हड़ताल पर रहने के कारण इमरजेंसी वार्ड में एक ही चिकित्सक थे जो पोस्टमार्टम करने में लगे थे. जिसके कारण काफी देरी से इलाज शुरू हुआ. सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि बालक की मौत के बाद शव को बाइक से ले जाया गया और सभी लोग तमाशबीन बने रहे.

सीएस ने क्या कहा: ये है सुशासन बाबू नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र की स्वास्थ व्यवस्था, जहां हाल ही में मिशन-60 और क्वालिटी के तहत करोड़ों रुपए खर्च हुए. बावजूद इसके सूरत तो बदल गई लेकिन सीरत जस की तस है. वहीं, इस संबंध में नालंदा सीएस डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मैं मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से अभी लौटा हूं, और मुझे इस घटना की जानकारी नहीं है.

"अभी जाकर SNCU का निरीक्षण करते हैं. शव वाहन किसी को लेकर कहीं गया होगा. इसलिए बाइक से शव को लेकर परिजन गए हैं."- डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह, सीएस नालंदा

क्यों बंद हैं इमरजेंसी सेवा: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने गुरुवार को 17 अगस्त को 24 घंटे के देशव्यापी स्वास्थ्य सेवाओं के बंद का ऐलान किया था. आईएमए ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर के खिलाफ बंद का आह्वान किया है.

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Last Updated : Aug 17, 2024, 6:08 PM IST
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