सिरमौर: इन दिनों हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के नाहन में स्थित डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज चर्चा में है. इस अस्पताल की एक महिला डॉक्टर अपने काम की वजह से सुर्खियां बटोर रही हैं. इन महिला डॉक्टर का नाम अनिकेता शर्मा है. महिला डॉक्टर ने अपने इलाज से हाल ही में दो ऐसे लोगों को जिंदगी दी है जिनके इलाज के लिए PGI चंडीगढ़ ने भी हाथ खड़े कर दिए थे. मरीजों के परिजनों ने उम्मीद खो दी थी. महिला डॉक्टर ने पहले तो परिजनों को हिम्मत दी और बाद में सही समय पर सही इलाज देकर दोनों मरीजों को मौत के मुंह से खिंच लाया.
मरीजों के प्रति पूर्ण समर्पण
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मरीजों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव को लेकर हिमाचल की इस लेडी डॉक्टर को खूब शाबाशी मिल रही है. हिमाचल की बेटी अनिकेता शर्मा के डॉक्टर बनने के पीछे संघर्षों से भरी दास्तां और एक दृढ़ संकल्प था. मां की तकलीफ और बचपन में अस्पतालों के चक्कर ने इस होनहार बेटी की सोच को बदला और आज उन्हें एक काबिल डॉक्टर बना दिया. अब यह डॉक्टर बेटी ना केवल मरीजों के दर्द को अपना समझती है, बल्कि इलाज के साथ-साथ कई बार जरूरतमंद मरीजों की आर्थिक रूप से मदद करने से भी पीछे नहीं हटती. डॉ. अनिकेता शर्मा ने अपनी सफलता के पीछे तमाम उन चुनौतियों का जिक्र किया, जिन्हें पार कर आज वह इस मुकाम पर पहुंची हैं.
घुमारवीं की रहने वाली हैं डॉ. अनिकेता
हिमाचल के बिलासपुर जिले की घुमारवीं तहसील से ताल्लुक रखने वाली मेडिसिन विभाग में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनिकेता शर्मा ने घुमारवीं से ही अपनी पूरी स्कूलिंग की. उनकी माता बीना शर्मा रिटायर अध्यापिका हैं. कांगड़ा के टांडा मेडिकल कॉलेज से उन्होंने एमबीबीएस की. इसके बाद आईजीएमसी शिमला से मेडिसिन के क्षेत्र में एमडी की. ईएसआई परवाणु से करियर की शुरुआत की, जहां उन्होंने करीब 5 सालों तक सेवाएं दीं. साल 2019 से डॉ. अनिकेता नाहन मेडिकल कॉलेज में कार्यरत हैं. यहां पहले उन्होंने 3 सालों में सीनियर रेजीडेंसी पूरी की. उसके बाद साल 2022 से मेडिसिन विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर अपनी सेवाएं दे रही हैं.
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मां की बीमारी ने बना दिया डॉक्टर
डॉ. अनिकेता शर्मा ने बताया "डॉक्टर बनने के पीछे मेरी मां ही सबसे बड़ी प्रेरणा हैं. मेरी मां को सांस की ऐसी बीमारी थी जिसके कारण उन्हें बार-बार इन्फेक्शन हो जाता था और सांस लेने में काफी दिक्कत रहती थी. लिहाजा बचपन में अपनी मां के चेकअप के लिए सरकारी अस्पताल के बहुत चक्कर लगाए." महिला डॉक्टर ने बताया "जब मैं अपनी मां के साथ अस्पताल में चेकअप के लिए जाती थी तो यह अनुभव करती थी कि एक डॉक्टर का मरीज के साथ कैसा व्यवहार रहता है? डॉक्टर क्या मरीज को अच्छे से गाइड कर रहा है?" जो डॉक्टर मरीज के साथ अच्छा तालमेल बनाते थे वह अनिकेता शर्मा को अच्छे लगते थे. इन्हीं में से एक उनकी मां का इलाज करने वाले डॉक्टर भी थे. लिहाजा वह अपनी मां को यही बोलती थी कि उन्हीं डॉक्टर को दिखाएंगे. क्योंकि डॉक्टर साहब का मरीज के प्रति व्यवहार अच्छा था जिसकी वजह से अनिकेता शर्मा ने भी मेडिकल फील्ड में अपना करियर बनाने का मन बनाया.
लोगों के दर्द को अपना जानकर किया इलाज
डॉक्टर अनिकेता शर्मा ने बताया "डॉक्टरी के प्रोफेशन को लोगों की सेवा के लिए चुना था. मुझे प्राइवेट अस्पतालों से अच्छी इनकम भी ऑफर हुई लेकिन मैंने सरकारी अस्पताल में डॉक्टर बनना चुना क्योंकि सरकारी अस्पताल में गरीब लोग भी इलाज करवाने आते हैं जिनकी मैं हेल्प करना चाहती थी. क्योंकि मैं खुद भी ऐसे ही बैकग्राउंड से ऊपर उठी हूं." लिहाजा वह अब तक निरंतर सरकारी क्षेत्र में ही अपनी सेवाएं दे रही हैं.
सरकारी अस्पतालों में भी मिलता है अच्छा इलाज
डॉ अनिकेता ने कहा जब भी उनके पास कोई मरीज आए तो उन्हें यह ना लगे कि सरकारी अस्पताल में कोई पूछता नहीं है. लोगों की यह धारणा सही नहीं है कि सरकारी अस्पतालों में बेहतर उपचार नहीं मिलता. जैसे निजी क्षेत्र में डॉक्टरों द्वारा लोगों को सलाह देते हुए बेहतर उपचार का प्रयास रहता है, उसी तरह सरकारी अस्पताल में भी बेहतर उपचार मिलता है. प्रत्येक डॉक्टर की तरह वह भी हर उस गरीब व्यक्ति को वही ट्रीटमैंट देने के लिए प्रयासरत रहती हैं, जो एक प्रोटोकॉल ट्रीटमेंट होता है और यह मेरी ड्यूटी है.
मरीजों से व्यवहार के लिए हो रही चर्चा
डॉ. अनिकेता शर्मा का मानना है कि मरीजों से डॉक्टर का प्रेमपूर्वक व्यवहार होना चाहिए जिससे मरीज को हौसला मिलता है और इलाज में आसानी होती है. जब किसी मरीज का इलाज डॉक्टर प्यार के साथ करता है तो बदले में डॉक्टर को मरीज से उससे कहीं ज्यादा स्नेह मिलता है. डॉ. अनिकेता शर्मा ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा आईजीएमसी शिमला में सेवा के दौरान एक महिला मरीज से बनी बॉन्डिंग आज भी मरीज को नाहन खींच लाती है. डॉ. अनिकेता के मुताबिक उनकी एक मरीज साल 2011 में शिमला आईजीएमसी में सेवाओं के दौरान उनके पास इलाज के लिए आई थी. महिला मरीज को ऐसा ऑटोइम्यून डिसऑर्डर था, जो क्रॉनिकल प्रोग्रेस करता है और फर्स्ट टाइम उन्होंने ही इस महिला मरीज का उपचार किया था. उस वक्त से लेकर आज 2025 तक जहां-जहां उनकी पोस्टिंग हुई, वह महिला मरीज उनके पास ही उपचार करवाने के लिए आती है. हालांकि उन्होंने बार-बार सलाह दी कि वह शिमला में ही उपचार करवाएं लेकिन संभवतः मरीज के साथ बनी उनकी बॉन्डिंग ही उन्हें ऐसा करने को मजबूर करती है.
बता दें कि हाल ही में डॉ अनिकेता शर्मा ने नाहन में एक 37 वर्षीय पप्पू नाम के मरीज का उपचार कर उसे नया जीवन दिया, पप्पू का लिवर करीब 90 से 95 प्रतिशत काम करना बंद चुका था. ये मरीज कोमा में जा चुका था और फेफड़ों में पानी भरने से उसकी जान पर बन आई थी. मरीज को PGI चंडीगढ़ से परिजन इलाज के लिए नाहन मेडिकल कॉलेज लाए जहां मरीज इलाज मिलने के बाद खुद चलकर अपने घर गया.
इसके अलावा एक 75 साल की बुजुर्ग महिला नाजरो देवी जिसे परिजन चंडीगढ़ PGI से वापस नाहन मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए लाए. मरीज ब्रेन स्ट्रोक के कारण कोमा में चला गया था जिसे डॉक्टर ने इलाज देकर पहले कोमा से बाहर लाया और ठीक 21 दिनों के बाद इलाज देकर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया. फिलहाल दोनों ही मरीजों की हालत में सुधार है जिसके चलते मरीज के परिजनों ने डॉक्टर साहिबा का आभार व्यक्त किया है.