किशनगंज: बिहार के किशनगंज जिले के दो शिक्षकों का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया है. मामला जिले के पोठिया प्रखंड के दो नियोजित शिक्षकों से जुड़ा है, जिनके डिप्लोमा इन एजुकेशन के प्रमाण पत्र को विश्वविद्यालय के द्वारा जांच के दौरान जाली बताते हुए किशनगंज शिक्षा विभाग को एक माह पूर्व ही पत्र भेजा था. इसके बावजूद एक माह बाद भी शिक्षा विभाग के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
किशनगंज डीईओ को जानकारी नहीं: दरअसल शिक्षा विभाग के द्वारा मध्य प्रदेश के स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय, सागर को वर्ष 2022 में पत्रांक 23, दिनांक 11 नवंबर 2022 को प्रखंड के जंगल बस्ती और हरिजन टोला चनामाना प्राथमिक विद्यालय में पदस्थापित रविन्द्र कुमार मंडल व सुधीर कुमार के डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएलएड) का अंक पत्र और प्रोवीजनल डिग्री सर्टिफिकेट को सत्यापन के लिए भेजा था, जो फर्जी मिला.
विश्वविद्यालय ने भेजा था पत्र: वहीं स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी के कुलसचिव ने 15 माह बाद सत्यापन के लिए भेजे गए पत्र का जवाब देते हुए किशनगंज जिला शिक्षा पदाधिकारी स्थापना को पत्रांक 156, दिनांक 15 फरवरी 2024 को पत्र लिखकर बताया कि सत्यापन के लिए भेजे गए दोनों शिक्षकों का डीएड प्रमाण पत्र फर्जी है. विश्वविद्यालय के द्वारा भेजे गए जाली प्रमाण पत्र संबंधित पत्र के बारे में जिला शिक्षा पदाधिकारी स्थापना राजेश सिन्हा को जानकारी तक नहीं है.
पत्र में प्रमाण पत्र फर्जी होने की जानकारी: पत्र में बताया है कि विश्वविद्यालय की परीक्षा शाखा ने सूचित किया है कि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित पोर्टल पर आवेदक रविंद्र कुमार मंडल, पिता राम प्रवेश मंडल संकाय डी.एलएड सत्र 2018-17 इनरोलमेंट नम्बर T40361821DEDURDU73 अंकपत्र, क्रमांक 456158 एवं 614610 और प्रोवीजनल डिग्री सर्टीफिकेट सिरियल नंबर 0456554523 दिनांक 13/11/2017 फेक है.
वहीं दुसरा छात्र सुधीर कुमार पिता जीवच गिरी संकाय डी.एड सत्र 2016-17, इनरोलमेंट न. 140364765DEDURU72 अंकपत्र क्रमांक- 614652, 456188 एवं प्रोवीजनल डिग्री सर्टीफिकेट सिरियल नंबर 0456554523 दिनांक 13/11/2017 फेक है.
डीईओ और डीपीओ का स्थानांतरण: दरअसल कुछ दिन पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी और डीपीओ स्थापना का स्थानांतरण हुआ है. जिला शिक्षा पदाधिकारी जिले में नए आए हैं, जबकि डीपीओ स्थापना का प्रभार डीपीओ माध्यमिक राजेश सिन्हा को दिया गया है. वहीं प्रभारी डीपीओ स्थापना को इसके बारे में जानकारी तक नहीं है, जिस कारण फर्जी प्रमाण पत्र की पुष्टि होने के बावजूद अब तक दोनों शिक्षक पर शिक्षा विभाग के द्वारा किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है.
"मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है. विश्वविद्यालय के द्वारा भेजे गए पत्र के बारे में भी नहीं मालूम. कार्यालय से पता कर लेता हूं, जो भी कार्रवाई होगी, करेंगे. मुझे कुछ दिन पूर्वी ही डीपीओ स्थापना का प्रभार मिला है."- राजेश सिन्हा, डीपीओ स्थापना
"मैं कुछ दिन पूर्व ही ज्वाइन किया हूं. मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है. डीपीओ स्थापना से जानकारी लेकर दोनों फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."- मोतिउर्रहमान, जिला शिक्षा पदाधिकारी
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