जोधपुर: कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव दिव्या मदेरणा ने प्रदेश में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव व गत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में मारवाड़ में पार्टी की हुई हार को लेकर पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सचिन पायलट ने दोनों चुनावों में परफार्म किया, गोविंद सिंह डोटासरा ने शेखावाटी में पार्टी को जीत दिलाई, लोकसभा चुनाव में 11 सीटें जीती, लेकिन मारवाड़ में हम यह नहीं कर पाए.
हाल ही में एक साक्षात्कार में जब उनसे पूछा गया था कि प्रदेश कांग्रेस में सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा या पूर्व सीएम अशोक गहलोत किस चेहरे के साथ पार्टी को आगे बढ़ना चाहिए. इसके जवाब में दिव्या ने कहा कि मैं अभी राजनीतिक रूप से वहां नहीं पहुंची हूं, जो यह कह सकूं कि एक चेहरा राजस्थान को आगे ले जाएगा. यह निर्णय आलाकमान का है. उनका ही यह विशेषाधिकार है, लेकिन यह बात जरूर है कि विधानसभा व लोकसभा चुनाव में सचिन पायलट और गोविंद सिंह डोटासरा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. यानी शेखावाटी और पूर्वी राजस्थान में पार्टी को आशातित सफलता मिली, लेकिन मारवाड़ में पार्टी को हार देखनी पड़ी.
मारवाड़ में सामाजिक तानाबाना टूटा: पूर्व विधायक ने मारवाड़ में हुई हार का कारण बताते हुए कहा कि क्योंकि मारवाड़ का सामाजिक तानाबाना 1998 के बाद से टूट गया था. जिसका खामियाजा जोधपुर सहित पूरे मारवाड़ को उठाना पड़ रहा है. इसका खामियाजा हमें भी भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि फिलहाल हमें बीजेपी से मुकाबला सामूहिक रूप से आलाकमान के निर्णय के विश्वास के साथ मिलकर करना होगा.
गहलोत के हाथ थी कमान: विधानसभा व लोकसभा चुनाव दोनों में मारवाड़ में पार्टी की कमान पूर्व सीएम अशोक गहलोत के हाथ थी. जोधपुर लोकसभा की 10 विधानसभा सीटों में पार्टी को 8 पर हार का सामना करना पड़ा. पूरे मारवाड़ की 33 सीटों में 23 सीटें भाजपा ने जीत ली. इसी तरह से लोकसभा की 4 सीटों में सिर्फ बाड़मेर जीत सकी. इस जीत का श्रेय भी हरीश चौधरी को जाता है. ऐसे में पूर्व सीएम अशोक गहलोत अपने क्षेत्र में पायलट और डोटासरा के अनुरूप पार्टी को सफलता नहीं दिला पाए थे.
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1998 के बाद शुरू हुआ बिखराव: दिव्या मदेरणा ने मारवाड़ में कांग्रेस की स्थिति के लिए 1998 के बाद सामाजिक तानाबाना टूटना बताया. 1998 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने जोरदार तरीके से जीता था. उस चुनाव में कांग्रेस का चेहरा परसराम मदेरणा थे, लेकिन सीएम अशोक गहलोत को बनाया गया. मदेरणा की अनदेखी से जाटों में नाराजगी हुई. यहीं से मारवाड़ में कांग्रेस के जाटों में बिखराव हुआ. कई नेता बीजेपी में चले गए, जो अब कांग्रेस के सामने चुनाव लड रहे हैं.