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आबाद सरिस्का के लिए विस्थापन जरूरी, राज्य सरकार को भेजा प्रस्ताव - Displacement Necessary For Sariska

Displacement Necessary For Sariska, सरिस्का आबाद हो, इसके लिए यहां बसे गांवों का विस्थापन बेहद जरूरत है. यही वजह है कि सरिस्का प्रशासन ने विस्थापन की प्रक्रिया में तेजी लाकर राज्य सरकार को ग्रामीणों की समस्याओं के निराकरण के लिए प्रस्ताव भेजा है.

Displacement Necessary For Sariska
आबाद सरिस्का के लिए विस्थापन जरूरी (ETV BHARAT ALWAR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 20, 2024, 6:35 PM IST

सरिस्का के सीसीएफ संग्राम सिंह कटिहार (ETV BHARAT ALWAR)

अलवर : सरिस्का टाइगर रिजर्व बाघों से आबाद हो, इसके लिए यहां बसे गांवों की विस्थापन प्रक्रिया जल्द पूरी करने की जरूरत है. यही कारण है कि सरिस्का प्रशासन ने विस्थापन की प्रक्रिया में तेजी लाकर राज्य सरकार को ग्रामीणों की समस्याओं के निराकरण के लिए प्रस्ताव भेजा है.

सरिस्का के कोर व पैराफेरी क्षेत्र में बसे गांवों की धीमी विस्थापन प्रक्रिया ने टाइगर रिजर्व की खुशहाली पर ब्रेक लगा बाघों की वंश वृद्धि को भी प्रभावित किया है. इसका मुख्य कारण सरिस्का के जंगल में मानवीय दखल का ज्यादा होना रहा है. मानवीय दखल का ही परिणाम रहा कि 2005 में सरिस्का टाइगर रिजर्व पर बाघ विहिन होने का काला धब्बा लगा, लेकिन बाद में सरकार और सरिस्का प्रशासन ने पूर्व की घटनाओं से सबक लेते हुए सरिस्का को पुन: आबाद करने की दिशा में प्रयास शुरू किए और नतीजा अब 43 बाघों के रूप में देखा जा सकता है.

इसे भी पढ़ें - फर्जी आधार और राशन कार्ड बनवाकर उठाया विस्थापन पैकेज, मामले की जांच में जुटा सरिस्का प्रशासन - Sariska Displacement Package Scam

विस्थापन की प्रक्रिया में ये थी बाधा : सरिस्का टाइगर रिजर्व के कोर एरिया और पैराफेरी में 29 गांव बसे हैं. इनमें से 10 गांवों का विस्थापन सरकार की प्राथमिकता में है. करीब डेढ़ दशक में सरिस्का में गांवों में से अभी 5 गांव ही पूरी तरह विस्थापित हो पाए हैं, जबकि एक नाथूसर गांव के विस्थापन की प्रक्रिया जारी है.

ग्रामीणों की समस्या दूर करने के प्रयास तेज : सरिस्का के सीसीएफ संग्राम सिंह कटिहार ने बताया कि सरिस्का में बसे गांवों का विस्थापन जरूरी है. इसके लिए जरूरी है कि विस्थापित कर बसाए जाने वाले परिवारों को सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं मिले. ग्रामीणों की मुख्य समस्याओं में बिजली कनेक्शन,बोरिंग एवं अन्य सुविधाएं जरूरी है. विस्थापन वाली जगहों पर ये सभी सुविधाएं जल्द मुहैया कराने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे सरिस्का के गांवों में बसे परिवार वहां खुशी से जाने को सहमत हो सके. सरकार को भी इस सम्बन्ध में प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है.

इसे भी पढ़ें - सरिस्का:20 दिन बाद भी वनकर्मियों की पहुंच से दूर बाघ एसटी 2303, वापस लाने के लिए अब लगाया पिंजरा - Tiger came out of Sariska

सरिस्का में अभी 971 परिवारों का विस्थापन : सरिस्का में कुल 1471 परिवारों का विस्थापन होना है. इनमें 229 परिवारों के विस्थापन की प्रकिया चल रही है. सरिस्का प्रशासन अब तक 971 परिवारों का पूरी तरह विस्थापन कर चुका है. सरिस्का के 6 गांवों में 269 परिवारों का विस्थापन होना शेष है. इसके लिए अभी जमीन तलाशी जा रही है. सरिस्का से विस्थापित हुए परिवारों में से 691 ने जमीन का पैकेज और 511 परिवारों ने नगद पैकेज पर सहमति जताई है.

सरिस्का से गांवों का विस्थापन इसलिए जरूरी : वन्यजीव विशेषज्ञ व सरिस्का टाइगर फाउंडेशन के डायरेक्टर दिनेश दुर्रानी का कहना है कि सरिस्का में बसे गांवों से जंगल में मानवीय दखल बढ़ती है, इसका सीधा असर बाघ, पैंथर एवं अन्य वन्यजीवों की वंश वृद्धि पर पड़ता है. मानवीय दखल से वन्यजीवों की ब्रीडिंग में खलल पड़ता है, जिससे उनकी वंश वृद्धि प्रभावित होती है.

सरिस्का के सीसीएफ संग्राम सिंह कटिहार (ETV BHARAT ALWAR)

अलवर : सरिस्का टाइगर रिजर्व बाघों से आबाद हो, इसके लिए यहां बसे गांवों की विस्थापन प्रक्रिया जल्द पूरी करने की जरूरत है. यही कारण है कि सरिस्का प्रशासन ने विस्थापन की प्रक्रिया में तेजी लाकर राज्य सरकार को ग्रामीणों की समस्याओं के निराकरण के लिए प्रस्ताव भेजा है.

सरिस्का के कोर व पैराफेरी क्षेत्र में बसे गांवों की धीमी विस्थापन प्रक्रिया ने टाइगर रिजर्व की खुशहाली पर ब्रेक लगा बाघों की वंश वृद्धि को भी प्रभावित किया है. इसका मुख्य कारण सरिस्का के जंगल में मानवीय दखल का ज्यादा होना रहा है. मानवीय दखल का ही परिणाम रहा कि 2005 में सरिस्का टाइगर रिजर्व पर बाघ विहिन होने का काला धब्बा लगा, लेकिन बाद में सरकार और सरिस्का प्रशासन ने पूर्व की घटनाओं से सबक लेते हुए सरिस्का को पुन: आबाद करने की दिशा में प्रयास शुरू किए और नतीजा अब 43 बाघों के रूप में देखा जा सकता है.

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विस्थापन की प्रक्रिया में ये थी बाधा : सरिस्का टाइगर रिजर्व के कोर एरिया और पैराफेरी में 29 गांव बसे हैं. इनमें से 10 गांवों का विस्थापन सरकार की प्राथमिकता में है. करीब डेढ़ दशक में सरिस्का में गांवों में से अभी 5 गांव ही पूरी तरह विस्थापित हो पाए हैं, जबकि एक नाथूसर गांव के विस्थापन की प्रक्रिया जारी है.

ग्रामीणों की समस्या दूर करने के प्रयास तेज : सरिस्का के सीसीएफ संग्राम सिंह कटिहार ने बताया कि सरिस्का में बसे गांवों का विस्थापन जरूरी है. इसके लिए जरूरी है कि विस्थापित कर बसाए जाने वाले परिवारों को सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं मिले. ग्रामीणों की मुख्य समस्याओं में बिजली कनेक्शन,बोरिंग एवं अन्य सुविधाएं जरूरी है. विस्थापन वाली जगहों पर ये सभी सुविधाएं जल्द मुहैया कराने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे सरिस्का के गांवों में बसे परिवार वहां खुशी से जाने को सहमत हो सके. सरकार को भी इस सम्बन्ध में प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है.

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सरिस्का में अभी 971 परिवारों का विस्थापन : सरिस्का में कुल 1471 परिवारों का विस्थापन होना है. इनमें 229 परिवारों के विस्थापन की प्रकिया चल रही है. सरिस्का प्रशासन अब तक 971 परिवारों का पूरी तरह विस्थापन कर चुका है. सरिस्का के 6 गांवों में 269 परिवारों का विस्थापन होना शेष है. इसके लिए अभी जमीन तलाशी जा रही है. सरिस्का से विस्थापित हुए परिवारों में से 691 ने जमीन का पैकेज और 511 परिवारों ने नगद पैकेज पर सहमति जताई है.

सरिस्का से गांवों का विस्थापन इसलिए जरूरी : वन्यजीव विशेषज्ञ व सरिस्का टाइगर फाउंडेशन के डायरेक्टर दिनेश दुर्रानी का कहना है कि सरिस्का में बसे गांवों से जंगल में मानवीय दखल बढ़ती है, इसका सीधा असर बाघ, पैंथर एवं अन्य वन्यजीवों की वंश वृद्धि पर पड़ता है. मानवीय दखल से वन्यजीवों की ब्रीडिंग में खलल पड़ता है, जिससे उनकी वंश वृद्धि प्रभावित होती है.

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