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वाराणसी में डिजिटल अरेस्ट कर 10 लाख 48 हजार की धोखाधड़ी, मुरादाबाद में सॉफ्टवेयर इंजीनियर से ठगे 11 लाख - digital arrest tax fraud - DIGITAL ARREST TAX FRAUD

गिरफ्तारी का डर दिखाकर साइबर ठगों ने सुसुवाही निवासी ने करीब 10 लाख से ज्यादा रुपए ऐंठ लिए. शिकायत पर सक्रिय हुई साइबर पुलिस ने ठगों के खाते फ्रीज कराकर भुक्तभोगी के रुपए वापस दिलाए.

साइबर ठगों ने की ठगी
साइबर ठगों ने की ठगी (फोटो क्रेडिट : Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 24, 2024, 1:48 PM IST

वाराणसी/मुरादाबाद : डिजिटल अरेस्ट (DIGITAL ARREST) के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हुए एक पीड़ित की धनराशि को वापस कराने में वाराणसी के साइबर थाने की पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने पीड़ित के 10 लाख रुपये से ज्यादा की धनराशि को वापस कराया है. वहीं, साइबर ठगों ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख से अधिक रुपये ठग लिए.

दरअसल, वाराणसी के चितईपुर थाना क्षेत्र के सुसुवाही के रहने वाले राम नरेश सिंह को बीते 9 मई 2024 की सुबह एक डिलीवरी कंपनी से कॉल आया. फिर वीडियो और WhatsApp कॉल करके राम नरेश के नाम से पार्सल होने की बात कही गई. वहीं, राम नरेश की तहरीर के अनुसार उनकी कॉल को साइबर क्राइम मुंबई को ट्रांसफर करके उन्हें डराकर बैंक वेरीफाई करने के नाम पर 10 लाख 47 हजार 808 रुपये की धोखाधड़ी कर ली गई.

वहीं, इस संबंध में साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने बताया कि टीम ने त्वरित कार्रवाई की है. पीड़ित के बैंक के नोडल अधिकारी का सहयोग लेते हुए जिस खाते में पैसा गया था उससे संपूर्ण धनराशि 10 लाख 47 हजार 808 रुपये बेनिफिसियरी खाते को सीज कराया गया था. वहीं, उच्चाधिकारियों के आदेश के बाद राम नरेश सिंह के खाते में धोखाधड़ी की संपूर्ण धनराशि 10 लाख 47 हजार 808 रुपये वापस कराई गई.

क्या है डिजिटल अरेस्ट : वहीं, साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने DIGITAL ARREST के विषय मे बताया कि इस फ्राॅड में आपको एक कम्प्यूटर जनरेटेड वाइस काॅल आती है या फिर नार्मल काॅल आती है और बताया जाता है कि जो आपका पार्सल जा रहा था कैंसिल हो गया है. अधिक जानकारी के लिए हमारे कस्टमर केयर अधिकारी से बात कीजिए. जैसे ही काॅल कनेक्ट की जाती है तो उनके द्वारा बताया जाता है कि आपके पार्सल में गैरकानूनी सामान था, या फिर कोई सामान लेकर जा रहा था, जिसमें आपके नाम का आधार और सिम कार्ड लगा है.

उन्होंने बताया कि अगर आपको लगता है कि आपके आधार या सिमकार्ड का दुरुपयोग हुआ है तो आप तुरन्त एफआईआर कराइये, नहीं तो आपको जेल भेज दिया जाएगा. फिर वहां से अपना एविडेंस देते रहिएगा तो पीड़ित को लगता है कि यहीं पर हम अपनी एफआईआर दर्ज करा दें. इसके बाद सामने वाला कस्टमर केयर अधिकारी बताता है कि ये हाई सिक्योरिटी का मामला है, सारी बातें गोपनीय रखिएगा किसी से अभी शेयर नहीं कीजिएगा.

उन्होंने बताया कि आपको विडियो काॅलिंग एप Skype डाउनलोड करा दिया जाता है. सामने फर्जी पुलिस वाले वर्दी में बैठे होते हैं और वो आपकी एफआईआर लिखना चालू करते हैं. जैसे ही आप अपनी घटना बताते हैं कि आधार या सिमकार्ड गलत यूज हुआ है. अपना नाम पता बताते हैं. तभी फर्जी पुलिस के तरफ से बैकग्राउंड से आवाज आने लगती है कि इसका नाम मनी लांड्रिंग में स्मलिंग भी नाम आया है. फर्जी पुलिस वाला कहता है कि आपको लाइन पर बने रहना होगा, क्योकि आपका नाम और भी केस में आया है.

उन्होंने बताया कि साइबर ठग जांच पूरी नहीं होने तक कैमरे के सामने बने रहने को बोलते हैं. कहा जाता है कि मनी लॉन्ड्रिंग वेरिफाई करने के लिए आपको अपने खाते की डिटेल और बैंक बैलेंस दिखाना होगा.अब जैसे ही पीड़ित दिखाता है कि खाते में इतना बैलेंस है तो कहते है ये पैसे आपको हमारे सुरक्षित आरबीआई के खाते में ट्रांसफर करना होगा. पैसे वेरिफाई करके ये पैसे आपको रिटर्न कर दिये जाएंगे.

वहीं, पीड़ित डर कर पैसे भेज देता है जो आरबीआई का ना होकर साइबर अपराधी का खाता होता है. फिर कहा जाता है कि हमारे आरबीआई के डिटेल में शो हो रहा है कि आपका और भी खाता है, ट्रेडिंग अंकाउंट भी है. जल्दी से जल्दी ये पैसे आप आरबीआई के वैलेट में भेजिये. फिर ऐसे ही बातों से डराकर लाखों करोड़ों रुपये ले लेते हैं और पूरे पैसे जाने के बाद एहसास होता है कि आपके साथ साइबर ठगी हुई है.

सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को 29 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर ठगी : मुरादाबाद में साइबर ठगों ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख से अधिक रुपये ठग लिए. साइबर ठगों ने पीड़ित को उनके नाम से आए एक पार्सल में करीब 140 ग्राम ड्रग्स होने की बात कह कर डराया धमकाया और रुपये ट्रांसफर करा लिए. पीड़ित को जब साइबर ठगी का एहसास हुआ तो उसने सिविल लाइन थाने पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराया.

साइबर क्राइम करने वाले लोग पहले आधार कार्ड अपडेट या बैंक वेरिफिकेशन के नाम पर लोगों से साइबर ठगी करते थे. अब ठगों ने नया तरीका निकाला है. कभी पुलिस द्वारा परिवार के किसी सदस्य को गिरफ्तार करने की बात पर ठगी कर लेते हैं तो कभी जान से मारने के नाम पर. लेकिन, मुरादाबाद में एक अलग ही या यूं कहें कि नया साइबर ठगी का मामला सामने आया है. जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को घर में डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख 95 हजार 504 रुपये ठग लिए.

मुरादाबाद सिविल लाइंस के आशियाना कॉलोनी निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि वह गुरुग्राम की एक कंपनी में कार्यरत हैं. 15 मई की दोपहर करीब 12 बजे उनके मोबाइल पर एक अंजान नंबर से फोन आया. फोन पर उनको बताया गया कि एक कंपनी का पार्सल वापस हुआ है. इसके बाद कॉल कंपनी कस्टमर केयर पर ट्रांसफर कर दी गई. कस्टमर केयर ने बताया कि मुंबई एयरपोर्ट पर नारकोटिक्स डिपार्टमेंट ने एक पार्सल पकड़ा है. जिसके अंदर पांच पासपोर्ट, तीन बैंक क्रेडिट कार्ड, कुछ कपड़े, एक लैपटॉप और 140 ग्राम एमडीएम ड्रग्स है. यह पार्सल ताइवान के लिए था. पासपोर्ट को मुंबई एयरपोर्ट पर नारकोटिक्स डिपार्टमेंट ने सीज कर दिया है. यह पार्सल उसके आधार से अटैच है. आपके आधार कार्ड का इस्तेमाल अवैध पैसा ट्रांसफर (हवाला) के लिए किया जा रहा है. उसके ऊपर मनी लांड्रिंग का केस बनेगा. सॉफ्टवेयर इंजीनियर को अलग-अलग तरह से डराया गया. पीड़ित ने साइबर ठगी करने वालों को बताया कि उन्होंने न तो अपना आधार कार्ड कहीं दिया है और न ही किसी तरह का कोई पार्सल भेजा है.

कस्टमर केयर का कहना है कि मुंबई क्राइम ब्रांच में अपनी शिकायत दर्ज करा दी गई है. इसके बाद स्काई एप और व्हाट्सएप नंबर से वीडियो कॉल आई. तब क्राइम ब्रांच अधिकारी ने कहा कि अगर वह अपने आपको बचाना चाहते हैं तो वित्तीय सत्यापन के लिए पैसे ट्रांसफर करने होंगे और जब तक सत्यापन पूरा न हो जाए कॉल नहीं काटनी है. वीडियो कॉल में पूरा सेटअप क्राइम ब्रांच का दिखाई दे रहा था. इसके बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर उनके झांसे में आ गए. पीड़ित ने आरोपी के बताए खाते में 8 लाख 22 हजार 484 और दूसरी बार 3 लाख 73 हजार 24 रुपये ट्रांसफर कर दिए. 15 मई 12 बजे से 16 मई को शाम 5 बजे यानिकि करीब 29 घंटे सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को साइबर ठगों ने घर के अंदर डिजिटल अरेस्ट रखा.

सीओ सिविल लाइन ने दी जानकारी : सीओ सिविल लाइंस अर्पित कपूर ने बताया कि एक साइबर ठगी का मामला सामने आया है. पीड़ित की तहरीर के आधार पर केस दर्ज किया गया है. साइबर सेल और साइबर अपराध थाने की पुलिस इस मामले में जांच पड़ताल कर रही है. जांच में जो भी मामला सामने आएगा उसके आधार पर आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी.

DIGITAL ARREST से सावधानियां व बचाव : साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने बताया कि अगर कोई आपको पुलिस या CBI अधिकारी बनकर डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो सबसे पहले आपको अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को सूचित करना चाहिए. तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इसकी शिकायत करानी चाहिए, इस बात से नहीं डरना चाहिए कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी.

वहीं सामान्य तौर पर पुलिस या कोई भी जांच एजेंसी आपको कॉल करके धमकी नहीं देगी. इसके लिए कानूनी प्रक्रिया होती है और उसी के तहत उसे पूरा किया जाता है. जिसमें आपका लोकल पुलिस स्टेशन के अधिकारी शामिल होते हैं और आपके घर पर पुलिस भौतिक रूप से जरूर आती है. अगर आपको कोई डराने या धमकाने की ऐसी कॉल आती है तो तुरंत आप उसकी सूचना पुलिस को दे दें. अगर कोई आपको किसी खास एजेंसी जैसे सीबीआई या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट व ट्राई का अधिकारी बताकर बात कर रहा है तो आप उस एजेंसी के नंबर पर कॉल करके इस बात की जानकारी दे सकते हैं और उनसे मदद मांग सकते हैं.

उन्होंने बताया कि सबसे जरूरी बात जब कोई आपसे कॉल पर पैसों की मांग करे तो आपको पैसे ट्रांसफर नहीं करने हैं. अपनी निजी जानकारी अथवा बैंक संबंधित कोई भी जानकारी बिल्कुल भी शेयर ना करें और और न ही आपको बैंक अकाउंट या कार्ड डिटेल शेयर करनी है. खुद को स्कैम और फ्रॉड जैसी घटनाओं से अपडेट रखें ताकि अगर कोई आपके साथ ऐसा कुछ भी करने का ट्राई करे तो आप पहले से ही अलर्ट हों और कोई आपको नुकसान न पहुंचा पाए.

वहीं, अगर इसके बावजूद आपके साथ साइबर फ्रॉड हो जाता है तो आप 1930 नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर कॉल करके तुरंत इस बात की शिकायत दर्ज कराएं या https://cybercrime.gov.in/ अथवा https://sancharsaathi.gov.in/ पर रिपोर्ट करें, साथ ही सोशल मीडिया साइट एक्स पर @cyberdost के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

यह भी पढ़ें : साइबर क्राइम पुलिस की गिरफ्त में दो जालसाज; 13 राज्यों के 39 लोगों से की करोड़ों की ठगी - Cyber Crime Police Action

यह भी पढ़ें : साइबर क्राइम सीरीज : इन्वेस्टमेंट के नाम पर कहीं फ्रॉड के तो नहीं हो रहे शिकार ? - Cyber Crime Series Investment Scams

वाराणसी/मुरादाबाद : डिजिटल अरेस्ट (DIGITAL ARREST) के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हुए एक पीड़ित की धनराशि को वापस कराने में वाराणसी के साइबर थाने की पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने पीड़ित के 10 लाख रुपये से ज्यादा की धनराशि को वापस कराया है. वहीं, साइबर ठगों ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख से अधिक रुपये ठग लिए.

दरअसल, वाराणसी के चितईपुर थाना क्षेत्र के सुसुवाही के रहने वाले राम नरेश सिंह को बीते 9 मई 2024 की सुबह एक डिलीवरी कंपनी से कॉल आया. फिर वीडियो और WhatsApp कॉल करके राम नरेश के नाम से पार्सल होने की बात कही गई. वहीं, राम नरेश की तहरीर के अनुसार उनकी कॉल को साइबर क्राइम मुंबई को ट्रांसफर करके उन्हें डराकर बैंक वेरीफाई करने के नाम पर 10 लाख 47 हजार 808 रुपये की धोखाधड़ी कर ली गई.

वहीं, इस संबंध में साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने बताया कि टीम ने त्वरित कार्रवाई की है. पीड़ित के बैंक के नोडल अधिकारी का सहयोग लेते हुए जिस खाते में पैसा गया था उससे संपूर्ण धनराशि 10 लाख 47 हजार 808 रुपये बेनिफिसियरी खाते को सीज कराया गया था. वहीं, उच्चाधिकारियों के आदेश के बाद राम नरेश सिंह के खाते में धोखाधड़ी की संपूर्ण धनराशि 10 लाख 47 हजार 808 रुपये वापस कराई गई.

क्या है डिजिटल अरेस्ट : वहीं, साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने DIGITAL ARREST के विषय मे बताया कि इस फ्राॅड में आपको एक कम्प्यूटर जनरेटेड वाइस काॅल आती है या फिर नार्मल काॅल आती है और बताया जाता है कि जो आपका पार्सल जा रहा था कैंसिल हो गया है. अधिक जानकारी के लिए हमारे कस्टमर केयर अधिकारी से बात कीजिए. जैसे ही काॅल कनेक्ट की जाती है तो उनके द्वारा बताया जाता है कि आपके पार्सल में गैरकानूनी सामान था, या फिर कोई सामान लेकर जा रहा था, जिसमें आपके नाम का आधार और सिम कार्ड लगा है.

उन्होंने बताया कि अगर आपको लगता है कि आपके आधार या सिमकार्ड का दुरुपयोग हुआ है तो आप तुरन्त एफआईआर कराइये, नहीं तो आपको जेल भेज दिया जाएगा. फिर वहां से अपना एविडेंस देते रहिएगा तो पीड़ित को लगता है कि यहीं पर हम अपनी एफआईआर दर्ज करा दें. इसके बाद सामने वाला कस्टमर केयर अधिकारी बताता है कि ये हाई सिक्योरिटी का मामला है, सारी बातें गोपनीय रखिएगा किसी से अभी शेयर नहीं कीजिएगा.

उन्होंने बताया कि आपको विडियो काॅलिंग एप Skype डाउनलोड करा दिया जाता है. सामने फर्जी पुलिस वाले वर्दी में बैठे होते हैं और वो आपकी एफआईआर लिखना चालू करते हैं. जैसे ही आप अपनी घटना बताते हैं कि आधार या सिमकार्ड गलत यूज हुआ है. अपना नाम पता बताते हैं. तभी फर्जी पुलिस के तरफ से बैकग्राउंड से आवाज आने लगती है कि इसका नाम मनी लांड्रिंग में स्मलिंग भी नाम आया है. फर्जी पुलिस वाला कहता है कि आपको लाइन पर बने रहना होगा, क्योकि आपका नाम और भी केस में आया है.

उन्होंने बताया कि साइबर ठग जांच पूरी नहीं होने तक कैमरे के सामने बने रहने को बोलते हैं. कहा जाता है कि मनी लॉन्ड्रिंग वेरिफाई करने के लिए आपको अपने खाते की डिटेल और बैंक बैलेंस दिखाना होगा.अब जैसे ही पीड़ित दिखाता है कि खाते में इतना बैलेंस है तो कहते है ये पैसे आपको हमारे सुरक्षित आरबीआई के खाते में ट्रांसफर करना होगा. पैसे वेरिफाई करके ये पैसे आपको रिटर्न कर दिये जाएंगे.

वहीं, पीड़ित डर कर पैसे भेज देता है जो आरबीआई का ना होकर साइबर अपराधी का खाता होता है. फिर कहा जाता है कि हमारे आरबीआई के डिटेल में शो हो रहा है कि आपका और भी खाता है, ट्रेडिंग अंकाउंट भी है. जल्दी से जल्दी ये पैसे आप आरबीआई के वैलेट में भेजिये. फिर ऐसे ही बातों से डराकर लाखों करोड़ों रुपये ले लेते हैं और पूरे पैसे जाने के बाद एहसास होता है कि आपके साथ साइबर ठगी हुई है.

सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को 29 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर ठगी : मुरादाबाद में साइबर ठगों ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख से अधिक रुपये ठग लिए. साइबर ठगों ने पीड़ित को उनके नाम से आए एक पार्सल में करीब 140 ग्राम ड्रग्स होने की बात कह कर डराया धमकाया और रुपये ट्रांसफर करा लिए. पीड़ित को जब साइबर ठगी का एहसास हुआ तो उसने सिविल लाइन थाने पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराया.

साइबर क्राइम करने वाले लोग पहले आधार कार्ड अपडेट या बैंक वेरिफिकेशन के नाम पर लोगों से साइबर ठगी करते थे. अब ठगों ने नया तरीका निकाला है. कभी पुलिस द्वारा परिवार के किसी सदस्य को गिरफ्तार करने की बात पर ठगी कर लेते हैं तो कभी जान से मारने के नाम पर. लेकिन, मुरादाबाद में एक अलग ही या यूं कहें कि नया साइबर ठगी का मामला सामने आया है. जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को घर में डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख 95 हजार 504 रुपये ठग लिए.

मुरादाबाद सिविल लाइंस के आशियाना कॉलोनी निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि वह गुरुग्राम की एक कंपनी में कार्यरत हैं. 15 मई की दोपहर करीब 12 बजे उनके मोबाइल पर एक अंजान नंबर से फोन आया. फोन पर उनको बताया गया कि एक कंपनी का पार्सल वापस हुआ है. इसके बाद कॉल कंपनी कस्टमर केयर पर ट्रांसफर कर दी गई. कस्टमर केयर ने बताया कि मुंबई एयरपोर्ट पर नारकोटिक्स डिपार्टमेंट ने एक पार्सल पकड़ा है. जिसके अंदर पांच पासपोर्ट, तीन बैंक क्रेडिट कार्ड, कुछ कपड़े, एक लैपटॉप और 140 ग्राम एमडीएम ड्रग्स है. यह पार्सल ताइवान के लिए था. पासपोर्ट को मुंबई एयरपोर्ट पर नारकोटिक्स डिपार्टमेंट ने सीज कर दिया है. यह पार्सल उसके आधार से अटैच है. आपके आधार कार्ड का इस्तेमाल अवैध पैसा ट्रांसफर (हवाला) के लिए किया जा रहा है. उसके ऊपर मनी लांड्रिंग का केस बनेगा. सॉफ्टवेयर इंजीनियर को अलग-अलग तरह से डराया गया. पीड़ित ने साइबर ठगी करने वालों को बताया कि उन्होंने न तो अपना आधार कार्ड कहीं दिया है और न ही किसी तरह का कोई पार्सल भेजा है.

कस्टमर केयर का कहना है कि मुंबई क्राइम ब्रांच में अपनी शिकायत दर्ज करा दी गई है. इसके बाद स्काई एप और व्हाट्सएप नंबर से वीडियो कॉल आई. तब क्राइम ब्रांच अधिकारी ने कहा कि अगर वह अपने आपको बचाना चाहते हैं तो वित्तीय सत्यापन के लिए पैसे ट्रांसफर करने होंगे और जब तक सत्यापन पूरा न हो जाए कॉल नहीं काटनी है. वीडियो कॉल में पूरा सेटअप क्राइम ब्रांच का दिखाई दे रहा था. इसके बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर उनके झांसे में आ गए. पीड़ित ने आरोपी के बताए खाते में 8 लाख 22 हजार 484 और दूसरी बार 3 लाख 73 हजार 24 रुपये ट्रांसफर कर दिए. 15 मई 12 बजे से 16 मई को शाम 5 बजे यानिकि करीब 29 घंटे सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को साइबर ठगों ने घर के अंदर डिजिटल अरेस्ट रखा.

सीओ सिविल लाइन ने दी जानकारी : सीओ सिविल लाइंस अर्पित कपूर ने बताया कि एक साइबर ठगी का मामला सामने आया है. पीड़ित की तहरीर के आधार पर केस दर्ज किया गया है. साइबर सेल और साइबर अपराध थाने की पुलिस इस मामले में जांच पड़ताल कर रही है. जांच में जो भी मामला सामने आएगा उसके आधार पर आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी.

DIGITAL ARREST से सावधानियां व बचाव : साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने बताया कि अगर कोई आपको पुलिस या CBI अधिकारी बनकर डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो सबसे पहले आपको अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को सूचित करना चाहिए. तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इसकी शिकायत करानी चाहिए, इस बात से नहीं डरना चाहिए कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी.

वहीं सामान्य तौर पर पुलिस या कोई भी जांच एजेंसी आपको कॉल करके धमकी नहीं देगी. इसके लिए कानूनी प्रक्रिया होती है और उसी के तहत उसे पूरा किया जाता है. जिसमें आपका लोकल पुलिस स्टेशन के अधिकारी शामिल होते हैं और आपके घर पर पुलिस भौतिक रूप से जरूर आती है. अगर आपको कोई डराने या धमकाने की ऐसी कॉल आती है तो तुरंत आप उसकी सूचना पुलिस को दे दें. अगर कोई आपको किसी खास एजेंसी जैसे सीबीआई या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट व ट्राई का अधिकारी बताकर बात कर रहा है तो आप उस एजेंसी के नंबर पर कॉल करके इस बात की जानकारी दे सकते हैं और उनसे मदद मांग सकते हैं.

उन्होंने बताया कि सबसे जरूरी बात जब कोई आपसे कॉल पर पैसों की मांग करे तो आपको पैसे ट्रांसफर नहीं करने हैं. अपनी निजी जानकारी अथवा बैंक संबंधित कोई भी जानकारी बिल्कुल भी शेयर ना करें और और न ही आपको बैंक अकाउंट या कार्ड डिटेल शेयर करनी है. खुद को स्कैम और फ्रॉड जैसी घटनाओं से अपडेट रखें ताकि अगर कोई आपके साथ ऐसा कुछ भी करने का ट्राई करे तो आप पहले से ही अलर्ट हों और कोई आपको नुकसान न पहुंचा पाए.

वहीं, अगर इसके बावजूद आपके साथ साइबर फ्रॉड हो जाता है तो आप 1930 नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर कॉल करके तुरंत इस बात की शिकायत दर्ज कराएं या https://cybercrime.gov.in/ अथवा https://sancharsaathi.gov.in/ पर रिपोर्ट करें, साथ ही सोशल मीडिया साइट एक्स पर @cyberdost के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

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