कोटा : पिछली कांग्रेस सरकार ने जिले के गोठड़ा कला में हुए चंबल नाव हादसे के बाद ब्रिज निर्माण की घोषणा की थी. इसके लिए साल 2021 में डीपीआर बनवाई गई और 2023 के बजट में 256 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी की गई थी, लेकिन डेढ़ साल बाद भी ब्रिज निर्माण की पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिली है. इसके चलते यह निर्माण नहीं हो पा रहा है. यह भी प्रदेश का सबसे लंबा ब्रिज बनने वाला है. इसकी लंबाई भी झरेल के बालाजी के नजदीक चंबल नदी पर बना रहे 1880 मीटर के ब्रिज के बराबर ही है. ऐसे में यह भी प्रदेश का सबसे लंबा ब्रिज होने वाला है, लेकिन निर्माण कब शुरू होगा. ये अभी कह पाना संभव नहीं हो पा रहा है.
सरकार ने इसके निर्माण की जिम्मेदारी सार्वजनिक निर्माण विभाग को सौंपी है. अधीक्षण अभियंता राजेश कुमार सोनी का कहना है कि फिलहाल यह प्रोजेक्ट स्वीकृत के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ में गया हुआ है. उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में ही दिल्ली में उसकी मीटिंग होगी और प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिल जाएगी. इसके निर्माण के लिए पहले से ही स्वीकृति राज्य सरकार ने जारी कर दी है.
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स्वीकृति के साथ ही फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के दिए गए दिशा-निर्देशों की पालना पूरी करवाई जाएगी और उसके बाद इसका निर्माण शुरू करवाने की प्रक्रिया होगी. इसमें निविदा जारी करने के बाद वर्क अलॉट करना और उसे राज्य सरकार से अनुमोदन के बाद कार्य शुरू करवाना है. पीडब्ल्यूडी के एसई राजेश कुमार सोनी का कहना है कि यह निर्माण साल 2025 में लगभग शुरू हो जाएगा.
झरेल के बालाजी से एक लेन अधिक चौड़ा होगा ये ब्रिज : चंबल नदी पर वर्तमान में सबसे बड़ा ब्रिज का निर्माण झरेल के बालाजी में चल रहा है. यह निर्माण साल 2025 में पूरा होने की तय समय सीमा है. हालांकि, इसमें थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन निर्माण तीन ब्रिज दो लेन का बनाया जा रहा है. यह सवाई माधोपुर से कोटा जिले को कनेक्ट कर रहा है, जबकि ब्रिज कोटा जिले के चंबल डीपरी गांव से बूंदी जिले के चांणदा खुर्द को जोड़ने वाला है. इस ब्रिज की चौड़ाई ज्यादा है और यह तीन लेन का बनाया जा रहा है. इसमें कैरिज-वे 10.5 मीटर का बनेगा, जबकि जरेल के बालाजी का कैरिज वे 7.5 मीटर का बनाया जाएगा.
![RAJASTHAN BIGGEST BRIDGE](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-12-2024/23166474_one.jpg)
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प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति में अटकी थी फाइल : ब्रिज की डीपीआर बनने के बाद वित्त विभाग ने सार्वजनिक निर्माण विभाग को वित्तीय स्वीकृति जारी करने के पहले एनवायरमेंटल क्लीयरेंस लेने के निर्देश दिए थे. इस पर एनवायरमेंटल क्लीयरेंस के लिए पीडब्ल्यूडी ने वाइल्डलाइफ डिपार्टमेंट में प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन क्लीयरेंस के लिए वाइल्डलाइफ डिपार्मेंट ने प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति मांग ली. उसके बाद ही प्रक्रिया को आगे नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ में भेजने की बात कही. ऐसे में दोनों विभागों के बीच पेंच फंस गया था. इसके बाद वित्त विभाग ने इसके निर्माण के लिए फाइनेंशियल अप्रूवल जारी कर दी थी. इस ब्रिज निर्माण के लिए 256 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी, तब यह प्रक्रिया आगे बढ़ी है.
![RAJASTHAN BIGGEST BRIDGE](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-12-2024/23166474_two.jpg)
प्रोजेक्ट कॉस्ट का जमा करना होगा 2 करोड़ : पीडब्ल्यूडी के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर राजेश कुमार सोनी का कहना है कि ब्रिज निर्माण की स्वीकृति वाइल्डलाइफ से मिलने के बाद कई औपचारिकताएं पूरी करनी होती है. इसके लिए प्रोजेक्ट कॉस्ट का दो फीसदी पैसा भी जमा करना होता है. यह राशि भी करीब 5 करोड़ के आसपास है. इसके अलावा वन विभाग स्ट्रक्चर का निर्माण भी करवाता है, जिसमें एक चौकी का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है.
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हादसे को बीत गए 4 साल, लेकिन कागजों से बाहर नहीं आ पाया निर्माण कार्य : कोटा जिले के इटावा इलाके से 16 दिसंबर, 2020 को नाव में तीन दर्जन से ज्यादा लोग सवार होकर चंबल नदी क्रॉस कर बूंदी स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर जा रहे थे. उसी दौरान चंबल नदी के बीच में नाव पलट गई. उस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें बच्चे, बुजुर्ग व महिलाएं शामिल थी. साथ ही इस नाव में बड़ी संख्या में दो पहिया वाहन भी थे. इस हादसे के बाद राज्य सरकार ने ब्रिज निर्माण की घोषणा की थी, लेकिन हादसे के 4 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक इस ब्रिज निर्माण का कार्य कागजों से बाहर नहीं पाया है.
गैंता माखीदा की जगह इस ब्रिज से गुजरेंगे लोग : तीन लेन के इस ब्रिज के निर्माण के लिए भी डीपीआर में 2 साल का समय लग गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि ब्रिज निर्माण के बाद गैंता माखीदा ब्रिज से निकलने वाला पूरा ट्रैफिक इस पर डायवर्ट हो जाएगा. इससे कोटा जिले के इटावा और बारां जिले के लोग के साथ-साथ मध्यप्रदेश के लाखों लोग भी लाभान्वित होंगे. इस रास्ते के बाद बूंदी जिले के इंद्रगढ़ से उनियारा होते हुए जयपुर की तरफ लोग जा सकेंगे, जिससे जयपुर की दूरी भी कम हो जाएगी. ऐसे में वर्तमान में सबसे लंबा ब्रिज गैंता माखीदा 1652 मीटर है, लेकिन चंबल नदी पर ही खातौली के नजदीक झरेल के बालाजी ब्रिज का निर्माण हो रहा है. यह 1880 लंबा है. इसी के बराबर लंबाई का यह गोठड़ा कलां ब्रिज भी होगा.