पटना: बिहार में 3 अप्रैल को राज्यसभा की 6 सीट खाली हो जाएंगी. महागठबंधन में राज्यसभा सीटों का बंटवारा हो गया, लेकिन भाकपा माले को इस बार भी मौका नहीं मिला. इसका दर्द माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य के बयान में छलका है. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि वाम दलों के कुल 16 विधायक हैं. राज्यसभा सीट की दावेदारी बनती थी, लेकिन कांग्रेस के खाते में सीट गई है और गठबंधन धर्म निभाते हुए पार्टी ने त्याग किया है.
राज्यसभा सीट नहीं मिलने से दीपांकर का छलका दर्द: माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कहा की पार्टी को एक सीट राज्यसभा में भी मिलनी चाहिए थी और विधान परिषद में भी मिलनी चाहिए. हमने विधानसभा चुनाव में भी समझौता किया था. इस बार भी समझौता करना पड़ा है. मल्लिकार्जुन खरगे का कल उनके पास फोन आया था. तेजस्वी यादव से भी बातचीत हुई. उसके बाद महागठबंधन के निर्णय के आधार पर इस बार के लिए पार्टी की ओर से राज्यसभा की दावेदारी को उन्होंने स्थगित कर दिया.
"वाम दलों के कुल 16 विधायक हैं. राज्यसभा सीट की दावेदारी बनती थी, लेकिन कांग्रेस के खाते में सीट गई है और गठबंधन धर्म निभाते हुए पार्टी ने त्याग किया है. चुनाव लड़ने पर पार्टी तय करेगी, लेकिन अगले चुनाव में पार्टी अपनी दावेदारी मजबूती से रखेगी. लोकसभा में नए समीकरण में उन्हें सम्मानजनक सीटें की उम्मीदें हैं." -दीपांकर भट्टाचार्य, माले महासचिव
चुनाव में सम्मानजनक सीटें की उम्मीदें: दीपांकर भट्टाचार्य ने खुद के लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि यह सब पार्टी तय करेगी. अगले चुनाव में पार्टी अपनी दावेदारी मजबूती से रखेगी. लोकसभा में नए समीकरण में उन्हें सम्मानजनक सीटें की उम्मीदें हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब साथ थे तो उन लोगों ने 5 सीट की दावेदारी पेश की थी. अब अधिक सीटों की दावेदारी है. जल्द ही महागठबंधन में सीटों को लेकर के सब कुछ तय होगा. इसलिए चुनाव में गठबंधन लिए पार्टी ने जो त्याग किया है. उसके आधार पर उन्हें उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनाव में उन्हें सम्मानजनक सीटें मिलेगी.
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