भोपाल : देश में हिंदू त्योहार के दो दिन वाले कंफ्यूजन को लेकर अब बड़ा फैसला होने जा रहा है. ये त्योहार दो दिन न मनाकर एक निश्चित तिथि पर मनाए जाएं इसके लिए महाकुंभ में 27 जनवरी को धर्म संसद होने जा रही है. धर्म संसद में मध्यप्रदेश के साधू संतों ने भी प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव में ये कहा गया है कि देश में हिंदू तीज त्योहार दो दिन मनाए जाने का मुद्दा उठाया जाए और ये तय किया जाए कि हिंदू धर्म के त्योहारों की एक तिथि निश्चित होगी.
जिस तरह से 2024 में दो दिन दीपावली मनाए जाने के मत में भिन्नता रही है, इसी तरह की स्थिति इस वर्ष भी बनेगी. लिहाजा इसके पहले ही धर्म संसद में इसे लेकर निर्णय किया जाए.
त्योहारों की तिथि को लेकर न हो भ्रम
27 जनवरी को महाकुंभ में धर्म संसद होने जा रही है. इसके पहले देश भर से साधु संत धर्म संसद में अपनी ओर से भी विषय भेज रहे हैं. मध्यप्रदेश के साधू संतों ने धर्म संसद में त्योहारों की तिथि निशचित करने का प्रस्ताव भेजा है.
अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेश प्रवक्ता अनिलानंद महाराज ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, '' हमें ये समझना होगा कि एक देश में त्योहार की तिथि दो क्यों हों. इस बार जिस तरह से दीपावली की तिथि के अलग-अलग मत आए उसमें निर्णय लिए जाने की आवश्यक्ता है. निर्णय ये लिया जाए कि आगे त्योहार की तिथि को लेकर विवाद की स्थिति ना बनें.''
शंकराचार्य बोले- त्योहारों की तिथि में एकरूपता जरुरी
धर्म संसद से पहले अलग-अलग पीठों के शंकराचार्यों ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा कि देश एक है, तो त्योहार दो दिन क्यों मनाए जाएं? इसका स्थाई समाधान निकाले जाने की आवश्यक्ता है. पुरी के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने का कहा, '' भारत में हिंदू धर्म के जितने भी तीज त्योहार हैं, उनकी तिथि को लेकर जो मतभिन्नता की स्थिति बन रही है. इस दिशा में अब पहल किए जाने की आवश्यक्ता है. पंचाग बनाने वालों को और अधिक मेहनत करने की जरुरत है.''
वहीं द्वारिका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने कहा, '' तीज त्योहारों को लेकर हिंदू धर्म में किसी तरह का भ्रम नहीं रहना चाहिए. इसके लिए सभी लोगों को आगे आकर हल निकलना चाहिए.''
2024 में दीपावली को लेकर हुआ था भ्रम
पिछले कुछ वर्षों से त्योहारों की तिथि को लेकर दो अलग-अलग राय सामने आ रही हैं. कई बार तिथियों के दो दिनों के बीच आने से भी ऐसा होता है. पिछले वर्ष दीपावली में भी इसी तरह का प्रश्न उठा था कि दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी या फिर एक नवम्बर को? जिसे लेकर अलग-अलग जगहों के आचार्य और धर्म गुरुओं ने अलग-अलग राय दी थी.
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